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वसीयत (Will) के आधार पर नामांतरण से इनकार कानून, भ्रम और सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट चेतावनी !

वसीयत (Will) के आधार पर नामांतरण से इनकार , 

कानून, भ्रम और सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट चेतावनी ,

राजस्व प्रशासन बनाम विधि का शासन (Rule of Law)

Author =Ramendra Rathore

भारत में भूमि एवं संपत्ति से जुड़े विवादों का सबसे सामान्य, संवेदनशील और निर्णायक चरण है — Mutation (नामांतरण)

दुर्भाग्यवश, दशकों से यह प्रशासनिक प्रवृत्ति देखने में आई है कि तहसील, उपखंड (SDM) और कभी-कभी जिला स्तर पर यह कहकर नामांतरण से इनकार कर दिया जाता है कि—

“वसीयत (Will) के आधार पर नामांतरण नहीं होगा, पहले सिविल कोर्ट से आदेश लाइए।”

यह धारणा न केवल कानून के विपरीत है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से खारिज की जा चुकी है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णायक शब्द

Jitendra Singh v. State of Madhya Pradesh

(Civil Appeal No. 3690 of 2021, निर्णय दिनांक 06 जुलाई 2021)

सुप्रीम कोर्ट ने इस ऐतिहासिक निर्णय में दो टूक शब्दों में कहा—

“केवल इस आधार पर कि दावा वसीयत (Will) पर आधारित है, राजस्व अधिकारी नामांतरण से इनकार नहीं कर सकते।
ऐसा इनकार अवैध (Illegal) होगा।”

➡️ यह निर्णय पूरे देश के राजस्व प्रशासन पर बाध्यकारी है।


कोर्ट की प्रमुख कानूनी व्याख्या

1. Mutation (नामांतरण) का वास्तविक उद्देश्य

  • केवल यह दर्शाना कि भूमि पर वर्तमान में कौन काबिज है

  • राजस्व किससे वसूला जाए

  • स्वामित्व (Title) का अंतिम निर्धारण नहीं

👉 Mutation ≠ Ownership


2. राजस्व अधिकारी की संवैधानिक सीमाएँ

  • तहसीलदार / SDM सिविल कोर्ट नहीं हैं

  • वे:

    • ❌ वसीयत की वैधता पर ट्रायल नहीं कर सकते

    • ❌ गवाहों की जिरह नहीं कर सकते

    • ❌ साक्ष्य अधिनियम लागू नहीं कर सकते

➡️ राजस्व अधिकारी का कार्य प्रशासनिक है, न्यायिक नहीं।


3. आपत्ति का सही और वैधानिक मंच

  • यदि किसी व्यक्ति को वसीयत पर आपत्ति है —

    • उसका उपाय सिविल कोर्ट में है

    • Mutation रोकना उपाय नहीं है

“Disputed Will = Civil Court Jurisdiction”


संवैधानिक और विधिक आधार

(1) Rajasthan Land Revenue Act, 1956 — धारा 136

  • राजस्थान में नामांतरण की प्रक्रिया धारा 136 के अंतर्गत संचालित होती है

  • इसका स्पष्ट उद्देश्य:

    • राजस्व अभिलेखों का अद्यतन (Updating of Records)

❗ अधिनियम में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि:

  • Will के आधार पर नामांतरण निषिद्ध है


(2) Indian Succession Act, 1925 — धारा 63

वसीयत की वैधता की आवश्यक शर्तें:

  • वसीयतकर्ता का हस्ताक्षर

  • दो गवाहों की उपस्थिति

  • वसीयतकर्ता की स्वेच्छा (Free Will)

➡️ यदि ये तत्व प्रथम दृष्टया (Prima Facie) मौजूद हैं, तो
राजस्व अधिकारी को नामांतरण करना ही होगा।


हाई कोर्ट्स का निरंतर और एकरूप दृष्टिकोण

भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों ने बार-बार यही सिद्धांत दोहराया है—

  • Mutation does not confer title

  • Revenue entries are fiscal in nature

  • Disputed Will = Civil Court jurisdiction

“राजस्व अधिकारी कानून के संरक्षक हैं,
विवाद के निर्णायक नहीं।”

(— विभिन्न हाई कोर्ट निर्णयों का सार)


प्रशासनिक जड़ता बनाम विधि का शासन

यह विषय केवल संपत्ति का नहीं, बल्कि Rule of Law का है।

जब:

  • सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट व्यवस्था के बावजूद

  • तहसील स्तर पर मनमानी होती है

  • आम नागरिक को वर्षों की मुकदमेबाजी में धकेला जाता है

  • और राजस्व रिकॉर्ड को “विवादित” बताकर रोका जाता है

तो यह सीधे-सीधे उल्लंघन है—

  • Article 14समानता का अधिकार

  • Article 300Aसंपत्ति का संवैधानिक अधिकार


निष्कर्ष (Conclusion)

🔹 Will के आधार पर नामांतरण से इनकार — अवैध है
🔹 राजस्व अधिकारी न्यायाधीश नहीं हैं
🔹 सिविल विवाद = सिविल कोर्ट
🔹 Mutation केवल प्रशासनिक प्रक्रिया है

➡️ कानून की अवहेलना प्रशासनिक सुविधा नहीं हो सकती।


Ramendra Rathore

National PresidentNational Public Welfare & Cultural Council
Former State Vice PresidentABVP
Youth & Public Policy Expert

Founder
Raja Bhagirath Prakriti Raksha Sena
Nature Army Movement
Mohan Shree Music and Film – Global Music Platform

Entrepreneur | Environmental Reformer | Public Policy Strategist

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