India-Turkey Relations: भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देना भारत के लिए एक गंभीर कूटनीतिक मुद्दा बन गया है. तुर्की द्वारा पाकिस्तान को ड्रोन देने और सैन्य सहयोग प्रदान करने के बाद भारत ने तुर्की के साथ चल रहे व्यापारिक और निवेश समझौतों की गहन समीक्षा शुरू कर दी है.
India-Turkey Relations: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य टकराव के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने से भारत-तुर्की संबंधों में खटास आ गई है. तुर्की ने न केवल पाकिस्तान को ड्रोन मुहैया कराए बल्कि कथित तौर पर ड्रोन हमलों में सहायता के लिए अपने सैनिक भी भेजे. इस कदम ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को गहरा कर दिया है और इसके असर अब आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर भी दिखाई देने लगे हैं.
भारत में तुर्की के निवेश पर पुनर्विचार
भारत सरकार अब तुर्की के साथ किए गए व्यापारिक समझौतों और निवेश परियोजनाओं की व्यापक समीक्षा कर रही है. खासकर ऑटोमोबाइल, आईटी, मेट्रो रेल और सुरंग निर्माण जैसे क्षेत्रों में जहां तुर्की की कंपनियों की भागीदारी है. वहां जांच और पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली जैसे राज्यों में तुर्की कंपनियों की कई परियोजनाएं फिलहाल निगरानी में हैं.
भारत और तुर्की के बीच 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 10.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹89,794 करोड़) तक पहुंच गया था. वहीं इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 तक तुर्की ने भारत में 240.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर (₹2,054 करोड़) की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की है. जिससे वह भारत में निवेश करने वाले देशों की सूची में 45वें स्थान पर आता है.
अटल सुरंग और मेट्रो परियोजनाएं भी रडार पर
2020 में जम्मू-कश्मीर स्थित अटल सुरंग परियोजना में एक तुर्की कंपनी को इलेक्ट्रोमैकेनिकल पार्ट्स की आपूर्ति का ठेका मिला था. इसके अलावा, 2024 में RVNL (रेल विकास निगम लिमिटेड) ने एक तुर्की कंपनी के साथ मेट्रो रेल परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया था. अब इन सभी परियोजनाओं की समीक्षा की जा रही है, और कुछ मामलों में इन्हें रद्द भी किया जा सकता है.
