Search
Close this search box.

Delhi में LG होंगे असली बॉस! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘LG को सरकार की सलाह मानना आवश्यक नहीं’

Delhi में LG होंगे असली बॉस! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'LG को सरकार की सलाह मानना आवश्यक नहीं'

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

Delhi सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने LG को बड़ा राहत दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के उपराज्यपाल बिना दिल्ली कैबिनेट की सलाह के भी अल्डरमेन नियुक्त कर सकते हैं। इस फैसले ने दिल्ली सरकार को बड़ा झटका दिया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1993 के कानून में पहली बार परिवर्तन के समय, नियुक्ति का अधिकार गवर्नर को दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर स्वतंत्र रूप से एमसीडी (म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली) में 10 अल्डरमेन की नियुक्ति कर सकते हैं।

Delhi में LG होंगे असली बॉस! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'LG को सरकार की सलाह मानना आवश्यक नहीं'

क्या है नियम?

एक व्यक्ति को अल्डरमेन तब चुना जा सकता है जब उसके पास नगरपालिका कार्यों का अनुभव और ज्ञान हो। अल्डरमेन को जनता के हित में नगरपालिका निगम के निर्णयों में सहायता करने का अधिकार होता है। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1975 के अनुसार, लेफ्टिनेंट गवर्नर एमसीडी में 25 वर्ष से ऊपर की उम्र के 10 लोगों को अल्डरमेन के रूप में नियुक्त कर सकते हैं। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि VK Saxena ने भाजपा कार्यकर्ताओं को अल्डरमेन के पद के लिए नामित किया, जबकि उनके पास इस पद पर कार्य करने के लिए आवश्यक अनुभव नहीं था।

दिल्ली में 250 पार्षद होते हैं, जो जनता द्वारा चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं। इसके लिए दिल्ली में एमसीडी चुनाव होते हैं। वहीं, गवर्नर 10 पार्षदों की नियुक्ति कर सकते हैं। हालांकि, राज्य में कुल पार्षदों की संख्या 250 तक घटाने का प्रस्ताव दिया गया है। दिल्ली सरकार चाहती थी कि गवर्नर पार्षदों की नियुक्ति उनकी सलाह पर करें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ फैसला सुनाया।

संजय सिंह की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली LG को एमसीडी में अल्डरमेन नियुक्ति का अधिकार दिए जाने पर AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका है और आप सभी अधिकार LG को दे रहे हैं, जिससे निर्वाचित सरकार को दरकिनार किया जा रहा है। मुझे लगता है कि यह लोकतंत्र और भारतीय संविधान के लिए अच्छा नहीं है। मैं पूरी सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि हम इस फैसले से पूरी तरह असहमत हैं। यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है और सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणियों के पूरी तरह विपरीत है… पूरा आदेश पढ़ने के बाद हम अगला कदम तय करेंगे।”

SatishRana
Author: SatishRana

Leave a Comment

और पढ़ें

  • Buzz4 Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool