Rajasthan: राजस्थान के बिसलपुर डेम ने एक बार फिर से अपनी क्षमता की सीमा को छू लिया है। बिसलपुर डेम, जो राजधानी जयपुर, टोंक और अजमेर की प्यास बुझाने का काम करता है, ने आज 315.8 मीटर तक पहुंचकर अपने पूरी क्षमता के स्तर 315.50 मीटर को पार कर लिया है। यदि बारिश और जलप्रवाह की स्थिति बनी रहती है, तो डेम के गेट खोलने का सायरन बज सकता है। यह घटना कई वर्षों के बाद हो रही है और यह डेम की महत्वपूर्ण स्थिति को दर्शाती है।
डेम का इतिहास और वर्तमान स्थिति
बिसलपुर डेम का निर्माण 2004 में पूरा हुआ था और उस साल इसके भरे जाने का पहला मौका था। उसके बाद, इस डेम ने 2006, 2014, 2016 और 2019 में भी पूरी तरह से भर जाने का अनुभव किया। हाल ही में, उदयपुर और चित्तौड़ में हुई भारी बारिश के कारण डेम में पानी का प्रवाह बढ़ गया है। वर्ष 2023 की शुरुआत में, डेम का जलस्तर 309.39 मीटर था, लेकिन अगस्त में भारी बारिश के बाद पानी की लगातार आमद ने इसे 315 मीटर के पार पहुंचा दिया है।
डेम का महत्व और जलापूर्ति
बिसलपुर डेम का प्रमुख उद्देश्य टोंक जिले को जल आपूर्ति करना और सिंचाई के लिए पानी को रिजर्व करना है। इसके अतिरिक्त, जयपुर और अजमेर को भी जल आपूर्ति के लिए पानी भेजा जाता है। टोंक जिले के लिए 8 टीएमसी पानी को सिंचाई के लिए रिजर्व किया गया है, जबकि 16.2 टीएमसी पानी पीने के पानी के लिए रिजर्व किया गया है। इसके अलावा, 8.15 टीएमसी पानी वाष्पीकरण और अन्य खर्चों के लिए निर्धारित किया गया है।
हर दिन लगभग 950 से 1000 एमएलडी पानी बिसलपुर डेम से पीने के पानी के लिए टोंक, अजमेर और जयपुर जिलों को भेजा जाता है। इस पानी के माध्यम से इन तीन जिलों के लगभग 2000 शहरों और गांवों को पीने का पानी प्रदान किया जा रहा है।
गेट खोलने की संभावना और आपातकालीन प्रबंधन
डेम के गेट खोलने की संभावना के मद्देनजर, प्रशासन ने आपातकालीन प्रबंधन की तैयारी शुरू कर दी है। यदि जलस्तर बढ़ता रहा, तो डेम के गेट खोलने के लिए सायरन बज सकता है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों को सतर्क किया जाएगा। प्रशासन ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे क्षेत्रीय जलस्तर की निगरानी करें और संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई करें।
स्थानीय समुदाय और भविष्य की योजनाएं
स्थानीय समुदाय ने इस वृद्धि को राहत के रूप में देखा है, क्योंकि बिसलपुर डेम से प्राप्त पानी उनके दैनिक जीवन और कृषि गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि, लगातार जलप्रवाह और बारिश की स्थिति की वजह से कुछ क्षेत्रों में जलभराव की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसके समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन और जल प्रबंधन विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।
भविष्य में, डेम के जलस्तर को नियंत्रित करने और उचित जल प्रबंधन के लिए नई योजनाओं की आवश्यकता होगी। इन योजनाओं में पानी की पुनर्चक्रण विधियों को अपनाना और जल संरक्षण की दिशा में काम करना शामिल हो सकता है।