Jhunjhunu: झुंझुनू के RICO क्षेत्र स्थित एक निजी स्कूल में शिक्षक सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। इस अवसर पर उन्होंने आम जनता से अपील की कि कोई भी व्यक्ति उनके आवास पर आकर अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकता है।
शिक्षकों के प्रति आभार और संस्कृति की रक्षा
शिक्षक दिवस के मौके पर बेढ़म ने शिक्षकों से भारतीय संस्कृति की विरासत नई पीढ़ी को सौंपने की शपथ लेने की अपील की। उन्होंने सेवानिवृत्त शिक्षकों से भी अनुरोध किया कि वे अपने वंशजों को हर दिन एक घंटे के लिए संस्कृति संरक्षण का पाठ पढ़ाएं। उनका कहना था कि संस्कृति की रक्षा और उसे अगली पीढ़ी को सौंपना हम सभी की जिम्मेदारी है।
राज्य सरकार की शिक्षा के क्षेत्र में पहल
बेढ़म ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिक्षा के क्षेत्र में राज्य को अग्रणी बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में राज्य को मजबूत बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इससे पहले, उन्होंने सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की नीतियों पर चर्चा की थी।
‘एक राज्य-एक चुनाव’ और अपराध निवारण पर विचार
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बेढ़म ने ‘एक राज्य-एक चुनाव’ और अपराध निवारण पर रिपोर्टरों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे समाज के सुरक्षा और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं और सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।
उपस्थित विशिष्टजन
इस समारोह में जिला प्रमुख हर्षिनी कुल्हारी, बनवारी लाल सैनी, पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार, पूर्व विधायक सुभाष पूनिया, शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. घासी राम वर्मा, विशम्बर पूनिया, पवन मावंदिया, राजेश बाबल, कमल कांट शर्मा, मुरारी सैनी, महेंद्र चंदवा, विजय गोपाल मोतसरा, और पूर्व कृषि वैज्ञानिक हनुमान प्रसाद जैसे कई प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे।
निष्कर्ष
शिक्षक सम्मान समारोह में गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म का संदेश स्पष्ट था कि भारतीय संस्कृति की विरासत को नई पीढ़ी को सौंपना हम सभी की जिम्मेदारी है। शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की प्रगति को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की और ‘एक राज्य-एक चुनाव’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार की नीतियों को स्पष्ट किया। इस तरह के समारोह न केवल शिक्षकों के योगदान को मान्यता देते हैं बल्कि समाज में संस्कृति और शिक्षा के महत्व को भी उजागर करते हैं।