साल 2011 में हुई आखिरी जनगणना के डेटा के अनुसार देश में 43.63% आबादी की पहली भाषा हिंदी है। यह आंकड़ा करीब 11 साल पहले का है। देश के 125 करोड़ लोगों में से 53 करोड़ लोग अपनी मातृभाषा हिंदी को ही मानते थे। हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। आज इस मौके पर जानते हैं हिंदी में पढ़ाई करने के बाद करियर ऑप्शन के बारे में..
हिंदी पढ़ने के लिए ये हैं टॉप यूनिवर्सिटीज
- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
- जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
- दिल्ली यूनिवर्सिटी
- जोधपुर यूनिवर्सिटी
- उदयपुर यूनिवर्सिटी
1. टीचिंग एंड एकेडमिक्स- MA हिंदी करने पर आप सरकारी टीचर भी बन सकते हैं। पूरे देश में 10वीं तक के बच्चों को हिंदी पढ़ाई ही जाती है। केंद्रीय विद्यालय में हिंदी के अध्यापकों की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा अगर आपने हिंदी में रिसर्च की है तो हायर एजुकेशन की ओर रुख कर सकते हैं।
2. कंटेंट राइटिंग एंड जर्नलिज्म- हिंदी कंटेंट राइटर्स मीडिया हाऊस, वेबसाइट्स, एडवर्टाइजिंग एजेंसी, मल्टी नेशनल कंपनीज, पब्लिशिंग कंपनीज में नौकरी कर सकते हैं। इसके अलावा टीवी, रेडियो, हिंदी न्यूजपेपर, मैगजीन और ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म्स में जर्नलिस्ट या रिपोर्टर बन सकते हैं।
3. ट्रांसलेटर एंड इंटरप्रेटर- बहुत सारी गवर्नमेंट बॉडीज, पब्लिशिंग हाउसेज और मल्टी नेशनल कंपनीज में हिंदी ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर की जरूरत होती है।
4. सिविल सर्विसेज- सिविल सेवा के लिए हिंदी को एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर चुन सकते हैं। यह एक स्कोरिंग सब्जेक्ट हो सकता है।
5. सरकारी नौकरी- अलग-अलग सराकरी विभागों, बैंको, पब्लिक सेक्टर ऑर्गनाइजेशन में हिंदी ऑफिसर रखा जाता है। हिंदी ऑफिसर का काम हिंदी भाषा को प्रमोट करना और ऑफिशियल कम्युनिकेशन में हिंदी लैंग्वेज को कैसे यूज किया जाए इसका ध्यान रखना होता है। इसके अलावा सरकारी डिपार्टमेंट्स में ट्रांसलेटर की नौकरी भी की जा सकती है। कार्यालयों में हिंदी अनुवादक, हिंदी अधिकारी बनने के लिए ग्रेजुएशन लेवल पर हिंदी और मास्टर्स लेवल पर इंग्लिश या दूसरी किसी भाषा से डिग्री होनी चाहिए। इसके अलावा ग्रेजुएशन लेवल पर कोई दूसरा लैंग्वेज सब्जेक्ट और मास्टर्स लेवल पर हिंदी हो तो आप हिंदी अनुवादक, हिंदी अधिकारी, राजभाषा अधिकारी की सरकारी नौकरी पा सकते हैं।
6. पब्लिशिंग एंड एडिटिंग- हिंदी मैगजीन्स, बुक्स, न्यूजपेपर में एडिटर या प्रूफरीडर बन सकते हैं।
7. फिल्म एंड टीवी- एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आप स्क्रिप्टराइटर, वॉयस ओवर आर्टिस्ट, एंकर, सॉन्ग राइटर आदी बन सकते हैं।
8. कॉर्पोरेट सेक्टर- कंटेंट डेवलपर के तौर पर MNC कंपनीज में काम कर सकते हैं। इसके अलावा आप सोशल मीडिया मार्केटिंग या पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बनकर हिंदी लैंग्वेज में कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन हैंडल कर सकते हैं।
इसके अलावा अगर आप हिंदी लैंग्वेज एक्सपर्ट हैं और विदेश जाना चाहते हैं तो भी आपके पास ढेरों ऑप्शन्स हैं। विदेश में बहुत से कॉलेज और यूनिवर्सिटी है हिंदी लैंग्वेज पढ़ाते हैं। वहां टीचिंग की जा सकती है। भारत के बहुत से डॉक्यूमेंट्स हिंदी में पब्लिश होते हैं जिसे ट्रांसलेट करने के लिए दूसरे देशों में एक हिंदी लैंग्वेज एक्सपर्ट की जरूरत होती है। टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में हिंदी बोलने वालों की काफी डिमांड है। साथ ही बहुत सारी इंटरनेशनल मैगजीन्स है जो हिंदी में भी कंटेंट पब्लिश करती हैं। यहां हिंदी कंटेंट राइटर्स की डिमांड होती है।
भारत में हिंदी संपर्क की भाषा बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी के हिंदी डिपार्टमेंट के रिटायर्ड HOD सदानंद शाही कहते हैं कि ग्रेजुएशन लेवल पर हिंदी का ज्ञान सभी स्टूडेंट्स को होना चाहिए क्योंकि हिंदी मातृभाषा के साथ-साथ संपर्क की भाषा है। देश में हर आदमी के लिए अलग-अलग भाषाएं हैं। कोई भोजपुरी, कोई अवधि, कोई छत्तीसगढ़ी बोल रहा है। इन अलग-अलग जगहों से जब स्टूडेंट्स कॉलेज में आते हैं तो उन्हें बेहतर कम्यूनिकेट करने के लिए हिंदी सीखनी चाहिए। मगर हिंदी प्रदेशों से आने वाले लोग सोचते हैं कि हिंदी तो मातृभाषा है, इसको सीखने की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि हिंदी प्रदेशों में कई बार लिंग का दोष, कभी वचन का दोष दिखाई देता है। व्याकरणिक गलतियां नजर आती हैं।
आजादी की लड़ाई में हिंदी अंतर प्रांतीय कम्युनिकेशन की भाषा बनी प्रोफेशर शाही कहते हैं कि हिंदी भाषा 19वीं शताब्दी में स्वाधीनता आंदोलन के समय पर विकसित हुई। स्वाधीनता आंदोलन हिंदी भाषा के जरिए ही पूरे देश में फैल पाया। हिंदी की खास बात है कि ये अंतर प्रांतीय संवाद के लिए हिंदी सबसे उपयुक्त भाषा है क्योंकि हिंदी एक यूनिवर्सल भाषा है। देश के हर कोने में इसे किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता है। तो हिंदी एक नहीं है बल्कि कई हिंदियां है जो तमाम लोकल भाषाओं के साथ मिलकर, उनकी ध्वनियों को अपने में शामिल करते हुए, उनके शब्दों को खुद में मिलाते हुए, जरूरत के हिसाब से विकसित हुई है और ये हिंदी की सबसे बड़ी ताकत है। इसलिए चाहे सुभाष चंद्र बोस हो, जवाहरलाल नेहरू हों, महात्मा गांधी हों या फिर चाहे रविंद्रनाथ टैगोर हो सभी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की हिमायत की क्योंकि इसमें क्षमता है पूरे देश की भाषा बनने की।