Jhunjhunu: झुंझुनू में हाल ही में एक विवाद ने शहर की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है। सरकारी अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर आक्रोशित नागरिकों ने उपराष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक भ्रष्टाचार के आरोपित अधिकारी को पदस्थ किया गया है। इस अधिकारी पर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं, भूमि माफिया के साथ साठगांठ और अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप हैं।
भ्रष्टाचार के आरोपित को पदस्थ किए जाने का मामला
जागृति मंच के सचिव अशोक मोदी ने आरोप लगाया कि नगर परिषद में आयुक्त अनिता खीचड़ को भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों का समर्थन प्राप्त है, इसीलिए वह बार-बार इस पद पर तैनात की जाती हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या आयुक्त खीचड़ दोनों पार्टियों की काली कमाई की हिस्सेदार हैं। भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की बात की थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। मोदी ने आरोप लगाया कि आयुक्त अनिता खीचड़ को झुंझुनू में स्थायी रूप से तैनात रखा जा रहा है, जो कि जनहित के खिलाफ है।
ज्ञापन में उठाए गए आरोप
अशोक मोदी ने बताया कि अनिता खीचड़ ने झुंझुनू नगर परिषद के आयुक्त के पद का कार्यभार सातवीं बार संभाला है। कांग्रेस शासन के दौरान हजारों शिकायतों के बावजूद वह यहीं तैनात रहीं और अब भाजपा शासन में भी भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार की जा रही हैं। मोर्चा सचिव और अध्यक्ष ने जिला प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और स्वायत्त शासन विभाग के उपनिदेशक विनोद पुरोहित को ज्ञापन सौंपते हुए अनुरोध किया कि आयुक्त को पद पर स्थायी रूप से रखा जाए। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि खीचड़ ने भूमि माफिया के साथ साठगांठ की है और अवैध निर्माण को बढ़ावा दिया है।
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप
ज्ञापन में कहा गया है कि आयुक्त अनिता खीचड़ की तैनाती के बाद से झुंझुनू में अवैध निर्माण के काम तेज हो गए हैं। उनकी तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार की घटनाएं बढ़ी हैं और नगर परिषद के कामकाज में अनियमितताओं का दौर जारी है। लोगों का कहना है कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायतों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है, और वह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की वचनबद्धता को धता बता रही हैं।
जनसाधारण का गुस्सा और प्रशासनिक जवाबदेही
जनता का गुस्सा इस बात को लेकर है कि जो अधिकारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे हैं, उन्हें पद पर बनाए रखना प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है। अशोक मोदी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस नीति की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
पदस्थापनाओं की पारदर्शिता और शासन की भूमिका
इस विवाद ने शासन और प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा किया है। जनता का कहना है कि प्रशासनिक पदस्थापनाओं में पारदर्शिता होनी चाहिए और ऐसे अधिकारियों को पद पर बनाए रखना जो भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, यह शासन की जवाबदेही को कम करता है।
भविष्य की दिशा और समाधान
अब देखना यह होगा कि प्रशासन और सरकार इस मुद्दे पर किस प्रकार की कार्रवाई करती है। क्या वे जनता की शिकायतों पर ध्यान देंगे और भ्रष्टाचार के आरोपित अधिकारियों के खिलाफ ठोस कदम उठाएंगे? या फिर इसे नजरअंदाज कर देंगे?
यह मामला झुंझुनू की राजनीति और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है, और इसका समाधान न केवल स्थानीय जनता के विश्वास को बहाल करेगा, बल्कि शासन की पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।