दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति प्रसाद मामले की सुनवाई
आज सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति प्रसाद के लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित इस्तेमाल के मामले में सुनवाई हुई। इस संदर्भ में, आंध्र प्रदेश सरकार के वकील मुकुल रोहतगी और याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल के बीच तीखी दलीलें पेश की गईं। इस स्थिति में, कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उसने सीबीआई निदेशक की निगरानी में एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया। इसमें सीबीआई, राज्य पुलिस और FSSAI के अधिकारी शामिल होंगे। इस प्रकार, करोड़ों भक्तों की आस्था को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया।
मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए महत्वपूर्ण बयानों का सारांश
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि मामले की जांच राज्य की SIT द्वारा की जानी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा। इस पर, मेहता ने सुझाव दिया कि SIT की निगरानी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए।
जज जे गवई ने कहा, “हमने पढ़ा है कि अगर जांच कराई जाए, तो माननीय मुख्यमंत्री को कोई आपत्ति नहीं है।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “मैंने इस मामले की जांच की है। यदि इस आरोप में कोई सच्चाई है, तो यह अस्वीकार्य है। खाद्य सुरक्षा का मामला भी महत्वपूर्ण है।”
इसके विपरीत, कपिल सिब्बल (याचिकाकर्ता के वकील) ने कहा, “पहले से ही बयान मौजूद हैं। एक स्वतंत्र संस्था की आवश्यकता है। निष्पक्ष स्वतंत्र जांच का आदेश दिया जाना चाहिए।”
आंध्र प्रदेश सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने उत्तर दिया, “सीएम ने जो कहा, वह सितंबर में था। यह अनुचित था, क्योंकि मीडिया ने केवल कुछ पंक्तियों को संदर्भ से बाहर रखा।”
इस बीच, सिद्धार्थ लूथरा (TDP के वकील) ने कहा, “4 जुलाई तक जो आया, उसकी जांच नहीं की गई।”
कपिल सिब्बल ने फिर प्रश्न किया, “आपने उन्हें पहाड़ी पर जाने की अनुमति क्यों दी? आप प्रभारी थे।”
लूथरा ने उत्तर दिया, “लेकिन टेंडर आपने दिया था।”
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: स्वतंत्र जांच की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राजनीति करोड़ों लोगों की आस्था पर हावी हो रही है।” इसलिए, उसने स्वतंत्र जांच के लिए एक नई SIT का गठन किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIT में 2 CBI अधिकारी, 2 राज्य सरकार के अधिकारी और 1 FSSAI अधिकारी शामिल होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगर जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों में कोई दम है, तो यह गंभीर मुद्दा है। यह करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। इस वजह से, हम नहीं चाहते कि यह सियासी ड्रामा बन जाए।”
सुनवाई की प्रक्रिया और उपस्थित वकील
इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने की। वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। याचिकाकर्ताओं का पक्ष कपिल सिब्बल ने रखा, जबकि आंध्र प्रदेश की ओर से मुकुल रोहतगी ने दलीलें दीं। इसके अलावा, केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर तुषार मेहता ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। टीडीपी की तरफ से सिद्धार्थ लूथरा ने भी कोर्ट में अपने तर्क रखे।