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Kekri News: ब्रह्माणी माता की मूर्ति ने 100 साल पुरानी अपनी मूल रूप में वापसी की, श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

Kekri News: ब्रह्माणी माता की मूर्ति ने 100 साल पुरानी अपनी मूल रूप में वापसी की, श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

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Kekri News: नवरात्रि के दिनों में देशभर में लोग मां आदिशक्ति की पूजा में जुटे हैं। नवरात्रि के आगमन के साथ ही विभिन्न स्थलों पर माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। इस दौरान विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे में, केकड़ी जिले के बागेरा गांव में स्थित ऐतिहासिक ब्रह्माणी माता का मंदिर इस नवरात्रि में एक खास कारण से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

बागेरा का ब्रह्माणी माता मंदिर

बागेरा का यह मंदिर, जो दाई नदी के किनारे स्थित है, देश के 108 शक्तिपीठों में शामिल है। इस बार मंदिर विकास समिति द्वारा मां के लिए एक नई चांदी की पोशाक बनाने का निर्णय लिया गया था। लगभग एक महीने पहले, जब समिति के आह्वान पर पोशाक बनाने वाले सुनार सुरेश सोनी मंदिर पहुंचे और मां के लिए नई पोशाक बनाने की तैयारी करने लगे, तभी चोला और कामी, जो वर्षों से मां को चढ़ाए गए थे, अपने आप गिरने लगे। जैसे ही चोला हटाया गया, मां का एक नया और अद्वितीय चतुर्भुज (चार-भुजा) रूप प्रकट हुआ। मां के इस नए रूप के प्रकट होते ही पोशाक बनाने का निर्णय स्थगित कर दिया गया। मान्यता है कि मां हर 100 वर्ष में अपने मूल रूप में लौटती हैं।

Kekri News: ब्रह्माणी माता की मूर्ति ने 100 साल पुरानी अपनी मूल रूप में वापसी की, श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

श्रद्धालुओं का अद्वितीय अनुभव

यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं, विशेषकर गांव के बुजुर्ग लोग, कहते हैं कि इस बार मां के चतुर्भुजधारी रूप को देखना उनके लिए जीवन में पहली बार है। पहले वे केवल मां के चेहरे को ही देख पाते थे। इसके पीछे का कारण बताया गया कि यहां सेवा और पूजा करने वाले लोगों द्वारा मां को चोला चढ़ाने की परंपरा वर्षों से चल रही है, जिसके कारण धीरे-धीरे मां का मूल रूप ढक गया और केवल उनका चेहरा ही दिखाई देता रहा।

पुरोहित का दृष्टिकोण

पुरोहित नंदकिशोर पाठक ने बताया कि इस बार नवरात्रा में, दूर-दूर से श्रद्धालु यहां चार-भुजा मूल रूप के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं, जो लगभग 100 वर्षों बाद पहली बार देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बागेरा गांव में स्थित इस मंदिर में ब्रह्माणी माता की मूर्ति को पुष्कर के ब्राह्मणों द्वारा स्थापित किया गया था, जो आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

धार्मिक अनुष्ठान और श्रद्धा

काली पहाड़ी के पैर में राज्य राजमार्ग 116 पर स्थित इस ब्रह्माणी माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु दूर-दूर से अपनी इच्छाओं के साथ यहां दंडवत और पदयात्रा करते हुए पहुंचते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के बाद यहां भजन संध्या, सवामणी आदि जैसे कई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस स्थान की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है, जिसके कारण अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति की आराधना का पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस समय के दौरान मंदिरों में विशेष आयोजन, पूजन और भजन संध्या होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य अनुभव प्रदान करती है। बागेरा का ब्रह्माणी माता का मंदिर इस समय अपने चतुर्भुजधारी रूप के दर्शन के कारण और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गया है।

समाज में एकता और श्रद्धा

ब्रह्माणी माता का यह मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और श्रद्धा का प्रतीक भी है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का एक समान उद्देश्य होता है— मां से आशीर्वाद प्राप्त करना और अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना। इस प्रकार, यह स्थान लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने का कार्य भी करता है।

पर्यटन का केंद्र

ब्रह्माणी माता का मंदिर अब केवल धार्मिक तीर्थ स्थल नहीं रहा, बल्कि यह पर्यटन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। स्थानीय कला, संस्कृति और परंपराओं को देखने का यह एक अद्वितीय अवसर है, जिससे न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा मिलता है।

SatishRana
Author: SatishRana

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