नई दिल्ली: हरियाणा में सरकार बनाने का सपना देखने वाली कांग्रेस अब चौतरफा घिरती नजर आ रही है।
कांग्रेस की हार के बाद, सहयोगी दलों शिवसेना, तृणमूल, AAP और RJD ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। शिवसेना (उद्धव) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है कि कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों का सम्मान नहीं किया और स्थानीय नेताओं की अनुशासनहीनता पर नियंत्रण नहीं कर पाई। सामना ने लिखा, ‘हरियाणा में I.N.D.I.A गठबंधन नहीं था… कांग्रेस नेता अति आत्मविश्वासी थे। समाजवादी पार्टी या AAP को साथ लिया जा सकता था और नतीजे अलग होते।’
AAP नेता राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक शायरी पोस्ट की, जिसमें लिखा है, ‘हमारी आरजू की फिक्र करते तो कुछ और बात होती, हमारी हसरत का ख्याल रखते तो एक अलग शाम होती… अगर साथ-साथ चलते तो कुछ और बात होती।’ चड्ढा ने शायरी के जरिए कांग्रेस पर बड़ा तंज कसा है।
कांग्रेस के रवैये पर सवाल
तृणमूल सांसद साकेत गोखले ने कहा, ‘यह रवैया चुनावी नुकसान की ओर ले जाता है – ‘अगर हमें लगता है कि हम जीत रहे हैं, तो हम किसी क्षेत्रीय दल को साथ लेकर नहीं करेंगे, लेकिन जिन राज्यों में हम नीचे हैं, वहां क्षेत्रीय दलों को से हाथ मिलाकर चलेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘अहंकार, अधिकार और क्षेत्रीय दलों को नीचा दिखाना आपदा का नुस्खा है। सीखो!’ RJD के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध मेहता ने कहा, ‘गठबंधन के सिद्धांतों का सम्मान होना चाहिए। बड़े दलों को क्षेत्रीय दलों का सम्मान करना चाहिए… सभी को त्याग करना होगा।’
जनाधार पर ध्यान देने की नसीहत
एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन बीजेपी ने राज्य की 90 सीटों में से 48 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। कांग्रेस को 37 सीटों से संतोष करना पड़ा। शिवसेना ने अपने संपादकीय में कांग्रेस से अपने जनाधार पर ध्यान देने का आग्रह किया और भाजपा के ‘मजबूत संगठन और रणनीति’ की ओर इशारा किया। सामना ने लिखा, ‘मराठी जनमत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के खिलाफ है। महाराष्ट्र में हमारा गठबंधन जीतेगा… लेकिन राज्य में कांग्रेस नेताओं को हरियाणा से बहुत कुछ सीखना होगा।’
‘आप गठबंधन पर इस तरह की टिप्पणी…’
शिवसेना (उद्धव) सांसद संजय राउत ने कहा कि हरियाणा चुनाव परिणाम उनके राज्य में संबंधों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने सामना में प्रकाशित संपादकीय का खंडन किया। उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि हैं… महाराष्ट्र में ज्योतिराव फुले और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की विचारधारा है। हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे…’ पटोले ने शिवसेना नेता संजय राउत के बयानों पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि उन्होंने यह किस आधार पर कहा। आप गठबंधन पर इस तरह की टिप्पणी सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकते… हमें पूरी तरह से आपत्ति है…’
हुड्डा भी निशाने पर
सामना ने कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा की आलोचना करते हुए कहा कि उनके असहयोग के कारण पार्टी को नुकसान हुआ। सामना ने लिखा, ‘सवाल उठा है… क्या हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने नाव डुबो दी। हुड्डा की भूमिका ऐसी लग रही थी जैसे वह मास्टरमाइंड हों … और वह जिसे चाहते थे वही उम्मीदवार होगा। कुमारी शैलजा जैसे पार्टी नेताओं को सरेआम अपमानित किया गया… और कांग्रेस उन्हें रोकने में विफल रही।’
कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा उठा रही बीजेपी?
हुड्डा और शैलजा के बीच ‘मुख्यमंत्री कौन होगा’ की भिड़ंत को कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के एक बड़े कारण के रूप में देखा जा रहा है। सामना ने लिखा, ‘पिछली बार, एमपी और छत्तीसगढ़ में, यह माना जा रहा था कि बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी… लेकिन कांग्रेस की आंतरिक कलह बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुई।’ दोनों राज्यों में, युवा नेताओं का समर्थन करने के बजाय, कमल नाथ और भूपेश बघेल जैसे दिग्गजों पर कांग्रेस की निर्भरता उसे महंगी पड़ी और बीजेपी ने जीत हासिल की। AAP ने भी कहा है कि वह दिल्ली चुनाव ‘अहंकारी’ बीजेपी और ‘अति आत्मविश्वासी’ कांग्रेस के खिलाफ अकेले लड़ेगी।