जयपुर : संगीत के क्षेत्र में अपना भविष्य देख रहे युवाओं से इंटरेक्ट करने के लिए म्यूजिक इंडस्ट्री के कई दिग्गज शुक्रवार को जयपुर पहुंचे. शहर में आरआईसी में डमरू एप की ओर से आयोजित स्वर संवाद कार्यक्रम में मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास, जाने-माने म्यूजिक कंपोजर व गायक अनूप जलोटा, पंडित विश्व मोहन भट्ट, साजिद वाजिद, कूटले खान ने इंडस्ट्री के उभरते टैलेंट से मुलाकात की. साथ ही राजस्थानी संगीत को आगे ले जाने की बात कही.
यहां एक सत्र में युवाओं से इंटरेक्ट होने के बाद भजन सम्राट अनूप जलोटा ने बताया कि वो यहां राजस्थान के टैलेंट से मिले.
राजस्थान पहले से ही संगीत में बहुत योगदान देता रहा है.
राजस्थान के नृत्य, संगीत, लोक संगीत, क्लासिकल म्यूजिक सभी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. आज आने का मकसद यही था कि युवा टैलेंट को सही दिशा दी जा सके.
उन्होंने कहा कि नए टैलेंट को ये नहीं पता है कि कहा उन्हें कांटेक्ट करना है और कहां अपनी आवाज को सुनाएं. अगर अच्छे कवि हैं तो अच्छी कविताएं कहां सुनाएं. यदि अच्छा सितार बजाते हैं तो उसे कहां सुनाएं. ये सब बताने के लिए घुंघरू एप की ओर से एक सेमिनार आयोजित की गई, जहां बताया गया कि किस तरह से आप अपने संगीत को एक अच्छी शेप दे सकते हैं और खुद को स्थापित कर सकते हैं.
वहीं, म्यूजिक कंपोजर साजिद वाजिद ने बताया कि वो राजस्थान को बहुत प्यार करते हैं.
उनकी माता जी जयपुर से ही हैं. जयपुर तो उनका घर है, जहां तक यहां के संगीत की बात है तो पहले जब पंजाबी को इतनी तवज्जो नहीं मिलती थी, तब राजस्थानी गीतों का दौर चलता था. ये एक साइकिल है, कभी गुजराती, कभी बंगाली, अभी पंजाबी और फिर एक बार राजस्थानी का दौर आएगा. इसके लिए राजस्थान के यूथ को आगे आना होगा. वो खुद भी सपोर्ट करेंगे उन्होंने यूथ को मैसेज देते हुए कहा कि वो अपने संगीत से जुड़ें लाइमलाइट खुद-ब-खुद उनके पीछे आ जाएगी.
वहीं, इस दौरान यूथ से इंटरेक्ट हुए कुटले खान ने कहा कि यदि आप किसी फेमस लोकगीत के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं, तो ये जनता की भावनाओं को आहत करने वाला हो सकता है. लेकिन उसकी गरिमा बनाकर यदि नए रूप में प्रजेंट करते हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं. क्योंकि पुराने गानों को यंगस्टर्स तक पहुंचाने का यही माध्यम बनता है. उन्होंने खुद नाइजीरियन रैपर को साथ लेकर चिरमि फ्यूजन बनाया. जिसकी वजह से ‘इंडियाज गोट टैलेंट’ का एक बड़ा मंच भी मिला. आज की जनरेशन को लोकगीतों से जोड़ने के लिए उसके फ्यूजन पर काम करना ही होगा. लेकिन उसमें इतना बदलाव नहीं करना चाहिए कि उस पर सवाल उठने लगे.
इससे पहले कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मशहूर कवि और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि आज के युवा सिर्फ वायरल होने की होड़ में लगे हुए है. जबकि जरूरत है कि अपने काम और स्वाभाव में धैर्य लाए. आज के युवाओं में धैर्य की कमी से कला का रूप बदल सा गया है. कुछ ऐसे की-वर्ड्स इस्तेमाल करते हैं, जिससे संगीत या कविता बस सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए, मगर वे ये भी जानते हैं कि वायरल होने वाली चीजे अक्सर जल्दी गायब हो जाती हैं.
इसलिए रीमिक्स और रीमेक करने की जगह अपने खुद का ऑरिजिनल कंटेंट बनाए. आज टेक्नोलॉजी के दौर में दूसरों से प्रेरणा लीजिए उन्हें कॉपी करने की होड़ में न लगे. इस दौरान पंडित विश्व मोहन भट्ट ने ऑडियंस को राग और अलाप लगाने की कला भी सिखाई, जहां उन्होंने स्वरों का ठीक से उच्चारण करना साथ ही सुर-ताल की समझ और बारीकियों को गहनता से बताया.