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मिस्र की ‘मिनी स्वेज नहर’ A 34-mile-long canal will be constructed at a cost of £1.5 billion

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काहिरा: स्वेज नहर का नाम सबने सुना होगा। इसे समुद्री परिवहन की लाइफ लाइन कहा जाता है। दुनिया के कुल समुद्री परिवहन का एक चौथाई हिस्सा स्वेज नहर के जरिए ही होता है। जब मार्च 2021 में एक कार्गो शिप 6 दिनों तक इस नहर में फंसा रहा था। इससे ऐसे हालात बने थे कि पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया था। कुछ ऐसा ही पिछले साल लाल सागर में यमन के हूती विद्रोहियों के हमले के वक्त भी देखा गया था। लेकिन,नई खबर यह है कि स्वेज नहर का मालिकाना हक रखने वाला देश मिस्र एक नया नहर बनाने जा रहा है। इसे मिनी स्वेज नहर कहा जा रहा है। यह नहर मात्र 54 किमी लंबा होगा, लेकिन इसकी लागत करीब 1.5 बिलियन पाउंड (1,63,50,91,50,000 रुपये) होगी।

मिस्र क्यों बना रहा मिनी स्वेज नहर

मिस्र मिनी स्वेज नहर का निर्माण अपनी जनसांख्यिकीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए कर रहा है। इससे मिस्र की रेगिस्तानी भूमि को रहने योग्य क्षेत्रों में विकसित किया जाएगा। मिस्र की सिर्फ 4 प्रतिशत भूमि को रहने योग्य माना जाता है। इतने कम इलाके में 113.5 मिलियन लोग रहते हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए सुविधाओं को मुहैया कराना मिस्र के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। मिस्र का 90% से अधिक हिस्सा रेगिस्तानी क्षेत्रों से बना है, जिनमें से दो सबसे बड़े इलाके पश्चिमी रेगिस्तान और पूर्वी रेगिस्तान हैं। पश्चिमी रेगिस्तान सहारा रेगिस्तान का हिस्सा है। पश्चिमी रेगिस्तान रेत के टीलों, चट्टानों की संरचनाओं और मरुद्यानों सहित कई अनूठी भूवैज्ञानिक विशेषताओं से भरा हुआ है।

मिस्र को जमीन की कमी क्यों पड़ रही

मिस्र की मुश्किलों की तुलना ऐसे की जा सकती है कि इस देश के पास स्विट्जरलैंड जितनी जमीन है, लेकिन आबादी में जमीन आसमान का अंतर है। स्विट्जरलैंड की आबादी केवल 8.7 मिलियन ही है। इस विकट चुनौती का समाधान खोजने के लिए मिस्र कतरा डिप्रेशन में रेगिस्तानी क्षेत्र को रहने योग्य वातावरण में बदलने का प्लान बना रहा है। इस दौरान 1.5 बिलियन पाउंड की लागत से 34 मील लंबी नहर का निर्माण किया जाएगा। मिस्र की ‘मिनी स्वेज नहर’ के नाम से मशहूर इस नहर के निर्माण से भूमध्य सागर से पानी रेगिस्तान के बीचों-बीच आएगा।

मिनी स्वेज नहर से मिस्र को क्या लाभ

इंजीनियरिंग के इस चमत्कार के कारण कतरा डिप्रेशन में बाढ़ आ जाएगी, जिससे 20,000 वर्ग किलोमीटर की झील बन जाएगी। इस परिवर्तन के परिणाम बहुत गंभीर होने का अनुमान है। नई बनी झील से पानी के वाष्पीकरण से आस-पास के इलाकों में नमी का स्तर और बारिश में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। पहले बंजर पड़ी जमीनें संभावित रूप से उपजाऊ हो सकती हैं, जिससे कृषि में उन्नति और तट के किनारे नई बस्तियों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। नई बनी झील से पानी के वाष्पीकरण से आस-पास के इलाकों में नमी का स्तर और बारिश में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

Hind News Tv
Author: Hind News Tv

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