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Delhi News: दिल्ली में 530 करोड़ रुपये से बन रहा है अनोखा पार्क, एक तरफ बनारस और दूसरी तरफ पटना

Delhi News: दिल्ली में 530 करोड़ रुपये से बन रहा है अनोखा पार्क, एक तरफ बनारस और दूसरी तरफ पटना

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Delhi News: दिल्ली के पंजाबी बाग में भारत वंदना पार्क को दिल्ली नगर निगम द्वारा विकसित किया गया है। यहां विभिन्न राज्यों के ऐतिहासिक स्मारकों की प्रतिकृतियां कबाड़ से बनाई गई हैं। इसी प्रकार, वेस्ट टू वंडर पार्क सराय काले खां में भी दिल्ली नगर निगम द्वारा कबाड़ से विश्व के प्रमुख कला कार्यों और स्मारकों की प्रतिकृतियां बनाई गई हैं।

चाहे वह जीवनदायिनी गंगा के तट पर स्थित पटना हो या बनारस, यदि आप राजधानी दिल्ली में दोनों शहरों की सांस्कृतिक समृद्धि को महसूस करना चाहते हैं, तो बस कुछ और महीनों का इंतजार करें।

द्वारका सेक्टर 20 में बन रहे भारत वंदना पार्क में, एक तरफ आपको बनारस के खूबसूरत घाटों के किनारे स्थित बाबा विश्वनाथ के मंदिर की झलक मिलेगी, और कुछ कदमों की दूरी पर पहाड़ों से घिरा केदारनाथ मंदिर भी दिखाई देगा। लगभग 200 एकड़ के परिसर में आपको पूरे भारत की सांस्कृतिक समृद्धि देखने को मिलेगी।

निर्माण कार्य अंतिम चरण में

वर्तमान में पार्क में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। अब निर्माण के अंतिम चरण में पार्क का भव्य स्वरूप धीरे-धीरे आकार ले रहा है। निर्माण कार्य की गति और जमीनी स्थिति को देखते हुए उम्मीद है कि यह पार्क अगले चार महीनों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा।

मिनी इंडिया थीम पर बन रहा है पार्क

लगभग 200 एकड़ में फैले इस पार्क को मिनी इंडिया थीम पर डिजाइन किया गया है और यह कमल के आकार में होगा। इसमें इको जोन, जल निकाय, विभिन्न राज्यों के ऐतिहासिक स्मारकों की प्रतिकृतियां, सांस्कृतिक गतिविधियां आदि शामिल होंगी। राजधानी दिल्ली की बात करें, तो यहां आपको पुराने संसद भवन की गोलाकार इमारत की प्रतिकृति देखने को मिलेगी।

Delhi News: दिल्ली में 530 करोड़ रुपये से बन रहा है अनोखा पार्क, एक तरफ बनारस और दूसरी तरफ पटना

बुद्ध भगवान शांति का उपदेश देते हुए, पटना में लोक आस्था से जुड़े प्रसिद्ध महावीर मंदिर की प्रतिकृति भी यहां आपका ध्यान आकर्षित करेगी।

यहां जयपुर के हवा महल, कर्नाटक के हम्पी का रथ मंदिर, एलोरा की गुफाएं, अंडमान का सेल्युलर जेल जैसी विभिन्न राज्यों की प्रसिद्ध इमारतों की प्रतिकृतियां तैयार की जा रही हैं। अच्छी बात यह है कि इनमें से अधिकांश प्रतिकृतियां तैयार हो चुकी हैं।

समय से पीछे चल रहा प्रोजेक्ट

पार्क का निर्माण एनबीसीसी और डीडीए द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। पार्क के निर्माण की आधारशिला वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में रखी गई थी। तब कहा गया था कि यह परियोजना नवंबर 2022 तक पूरी हो जाएगी।

इसकी कुल लागत लगभग 530 करोड़ रुपये रखी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी की दस्तक ने परियोजना के समय पर पूरा होने पर ग्रहण लगा दिया। इसके बाद निर्माण कार्य धीमा हो गया। बाद में इसके पूरा होने की समय सीमा को समय-समय पर बढ़ाया गया।

बीच में इसे स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के दौरान पूरा करने और राष्ट्र को समर्पित करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयास पूरा नहीं हो सका। अब जमीनी स्थिति को देखते हुए, इसे अगले चार महीनों में पूरा होने की संभावना है।

डीडीए और एनबीसीसी कर रहे हैं पार्क तैयार

लगभग 200 एकड़ में फैले इस पार्क को मिनी इंडिया थीम पर डिजाइन किया गया है और यह कमल के आकार में होगा। इसमें इको जोन, जल निकाय, ऐतिहासिक स्मारकों की प्रतिकृतियां, सांस्कृतिक गतिविधियां आदि शामिल होंगी। डीडीए और एनबीसीसी इसे तैयार करने में संयुक्त रूप से लगे हुए हैं।

स्काई वॉक से देखेंगे पार्क का दृश्य

यह पार्क लगभग 10 विभिन्न जोनों में विभाजित है। एक जोन से दूसरे जोन तक जाने के लिए आपको टॉय ट्रेन की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, यहां पर्यटकों के लिए बैटरी चालित रिक्शा या बसें भी उपलब्ध होंगी।

पार्क के विभिन्न स्थानों पर पिलर्स बनाए जा रहे हैं ताकि आप ऊपर से पूरे पार्क का दृश्य देख सकें। इन पिलर्स को पाइलॉन कहा जाता है। एक पाइलॉन को दूसरे पाइलॉन से स्काई ब्रिज द्वारा जोड़ा जाएगा।

बोटिंग की सुविधा होगी उपलब्ध

इस ब्रिज से आप ऊपर से पूरे पार्क का दृश्य देख सकेंगे। जब आप ऊपर से पार्क को देखेंगे तो यहां पूरे भारत का नक्शा देखने का आनंद आपको मिलेगा। इस पार्क में रोमांच के शौकीनों के लिए भी बहुत कुछ है। पार्क की झीलों का नाम पुष्पकृति सरोवर रखा गया है। यहां बोटिंग की भी सुविधा होगी।

द्वारका का विकास पालम और आस-पास के गांवों की भूमि पर किया गया है। इस पार्क के निर्माण की परियोजना लंबे समय से लंबित थी। हालांकि देरी के साथ, इस परियोजना को अपने अंतिम चरण में पहुंचते देखना एक सुखद बात है। प्रवेश पूरी तरह से मुफ्त होना चाहिए ताकि हर कोई इस पार्क में आकर भारत की सांस्कृतिक विविधता से परिचित हो सके।

SatishRana
Author: SatishRana

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