. गणेश चतुर्थी विमर्श
*दृश्य पंचांगों से इस बार “गणेश चतुर्थी महोत्सव” 07 सितम्बर शनिवार को ही श्रेयस्कर है।*
*सौर पद्धति पंचांगों के अनुसार भी 07 सितम्बर शनिवार को ही गणपति महोत्सव है।*
*इस बार “महागणपति” नामक गणेश चतुर्थी का विशेष योग बन रहा है।*
*इस बार “शिवा” नाम से प्रसिद्ध गणेश चतुर्थी सर्व सुखदाई “सुखा” बन कर आई है।*
*इस बार गणेश चतुर्थी को सायं चन्द्र दर्शन लेशमात्र भी दोष नहीं है।*
*क्योंकि सात सितम्बर शनिवार को सायंकाल चन्द्र का उदय पंचमी में होगा।*
*सामान्यतः चतुर्थी का चन्द्र दर्शन 06 सितम्बर का निषेध है न कि 07 सितम्बर का सायं पंचमी का।*
*सभी अपनों के लिए सुखदाई कल्याणकारी “शिवा” महागणपति चतुर्थी की बहुत बहुत मंगलमयी शुभकामनाएं।*
*नमामि नन्दनन्दनं समस्त विघ्नभञ्जनम्*
*भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी गणेश चतुर्थी महोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है। इसे वरद चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, शिवा चतुर्थी व कलंक चतुर्थी भी कहते हैं। जो इस बार 07 सितम्बर 2024 शनिवार को है।*
गणेश चतुर्थी को किसी भी स्थिति में अर्थात् भद्रा आदि दोष होने पर भी प्रतिवर्ष मध्याह्न काल में ही गणेश पूजा का विधान है। आजकल शुभ चौघडियों में व शुभ लग्नों में भी गणेश जी का पूजन होने लगा है। शास्त्र वचन…
*गणेशचतुर्थी मध्याह्नव्यापिनी ग्राह्या*
महर्षि हेमाद्रि के “चतुर्वर्गचिन्तामणि” में आदेश है कि इस दिन प्रातः सफेद तिल मिश्रित जल से स्नान करें। नित्य कर्म कर मध्याह्न में गणपति का पूजन करें।
मध्याह्न समय जानने के लिए किसी भी स्थान के दिनमान के पांच भाग कर लें। यहां तीन भाग के स्थान पर पांच विभाग ही ग्राह्य हैं।
1. प्रात:काल
2. संगव काल
3. मध्याह्न काल
4. अपराह्न काल
5. सायाह्न काल
*इस बार मध्याह्न काल 11.11 से 01.40 तक रहेगा। इस समय वृश्चिक लग्न भी रहेगा। अभिजित मुहूर्त भी 11.58 से 12.53 तक मध्याह्न के मध्य में रहता ही है। अतः इस समय घर में प्रतिष्ठान में या मण्डपादि में गणपति पूजा करना श्रेष्ठतम है। शुभ लग्न एवं शुभ चौघड़ियों में भी आजकल के विद्वान् पूजा करने लगे हैं। इस दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना और शुभ कार्यों के अबूझ मुहूर्त भी रहते हैं।*
*गणेश चतुर्थी के दिन प्राय: भद्रा रहती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के उत्तरार्ध में विष्टि करण होने से भद्रा रहेगी ही। और गणपति पूजा में भद्रा दोष नहीं माना जाता है। अपितु गणेश चतुर्थी को भद्रा में पूजन करना श्रेयस्कर है। इस बार प्रातः काल से ही भद्रा है जो 05.38 तक रहेगी। अर्थात् मध्याह्न के बाद तक।*
अतः 07 सितम्बर को मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी का दिन ही व्रतोपवास योग्य है। भद्राकाल में गणेश जी पूजा का लेशमात्र भी दोष नहीं है।*
*गृहस्थियों के लिए बायीं ओर घूमती सूंड का मुख नीचे से दाहिनी ओर घूमता रहे ऐसी गणेश प्रतिमा विशेष शुभ होती है। अर्थात् दक्षिणावर्त मुखी गणेश जी शुभ होते हैं।*
*सब पूछते हैं कि घर में कितने गणेश जी हो सकते हैं- शास्त्रीय मत से एक दो छह आठ या द्वादश गणपति विशेष शुभ कहे गए हैं।*
शास्त्रों में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के तीन प्रकार कहे हैं…
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी
1. शिवा
2. शान्ता
3. सुखा नाम से प्रसिद्ध है।
*भविष्य पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की शिवा, माघ शुक्ल पक्ष की शान्ता और वही चतुर्थी मंगलवार युक्त हो तो “सुखा” नाम से जानी जाती है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी “शिवा चतुर्थी” कहलाती है।*
*और इस बार गणेश चतुर्थी शनिवार को आ रही है जो सर्वविध सुख-शांति और कल्याणकारक “शिव” तत्व को देने वाली “शिवा” नामक चतुर्थी शास्त्रों में कही गयी है।*
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी “संकष्ट चतुर्थी” कहलाती है। इस चतुर्थी व्रत में गणपति पूजा के रूप में चौथ माता की पूजा अर्चना कर महिलाएं व्रत करती है।
*शुक्ल चतुर्थी रविवार या मंगलवार युत हो तो महागणपति चतुर्थी कहलाती है। वैसे परम्परा में हर बार महागणपति चतुर्थी ही कही जा रही है।*
*भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी शिवा के दिन ही सिद्धि विनायक व्रत किया जाता है।…*
*भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी शिवाख्या तस्यां सिद्धिविनायक व्रतम्।*
इस दिन गणेश जी की विधिवत पूजा करें। लड्डु और दूर्वा चढ़ावें। शास्त्रीय आदेश देखिए….
*गणेशमूर्तौ प्राणस्थापनपूर्वकं षोडशोपचारै: सम्पूज्य मोदकनैवेद्यं दत्वा एकविंशतिदुर्वाङ्कुरान् गृहित्वा नामदशकै: प्रत्येकं दुर्वाद्वयं समर्प्य अवशिष्टामेकां दशनामभि: समर्पयेत्। मोदकान् विप्राय दत्वा स्वयं भुञ्जीतेति संक्षेप:।*
गणेश जी के दश नाम…
गणाधिपाय नमः
उमापुत्राय नमः
अघनाशकाय नमः
विनायकाय नमः
ईशपुत्राय नमः
सर्वसिद्धिप्रदायकाय नमः
एकदन्ताय नमः
इभवक्त्राय नमः
मूषकवाहनाय नमः
कुमारगुरवे नमः
*12, 108 या 1000 नाम मन्त्रों के साथ गणपति अथर्वशीर्ष से भी विशिष्ट पूजा कर सकते हैं।*
स्कन्ध पुराण में गणेश जी का स्वरूप…
*एकदन्तं शूर्पकर्णं*
*नागयज्ञोपवीतिनम्।*
*पाशाङ्कुशधरं देवं*
*ध्यायेत् सिद्धिविनायकम्।।*
इसी दिन मां पार्वती की पूजा स्त्रियों के सौभाग्य की अभिवृद्धि करती है। कृतिमहार्णवे…
*भाद्रशुक्ल चतुर्थ्यां तु*
*पूजयेत् पार्वतीं शुभाम्।*
*तस्यां वै पूजितायां तु*
*सौभाग्यं न विहन्यते।।*
महाराष्ट्र में तो गणपति महोत्सव 10 दिन अर्थात् अनन्त चतुर्दशी पर्यन्त चलता है।
चन्द्र दर्शन निषेध-
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के चन्द्रमा के दर्शन निषेध माने जाते है। इस चतुर्थी तिथि में चन्द्रमा को यदि कोई देख लेता है तो उस वर्ष में उस पर कोई न कोई मिथ्या कलंक अवश्य लगता है।
*अत्र चतुर्थ्यां चन्द्रदर्शने मिथ्याभिदूषणं दोष:।*
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सिंह राशि के सूर्य में चतुर्थी तिथि को चन्द्र दर्शन का प्रभाव अशुभ कहा गया है…
*सिंहादित्ये शुक्लपक्षे चतुर्थ्यां चन्द्रदर्शनम्।*
*मिथ्याभिशापं कुरुते तस्मात्पश्येत्न तं तदा।।*
जो अशुभ संकेतक है।
पाराशर ऋषि के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन कन्या राशि का सूर्य हो तो चांद देखने का कोई दोष नहीं होता है। यदि 17 सितम्बर के बाद गणेश चतुर्थी आये तो चांद देखने का कोई दोष नहीं लगता है। क्योंकि 17 सितम्बर को भगवान भुवन भास्कर कन्या राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ..
*कन्यादित्ये चतुर्थ्यान्तु शुक्ले चन्द्रस्य दर्शनम्।… शुभम्* फिर भी लोकमान्यता को ही महत्व दें।
और भी
रात्रि में चतुर्थी पूर्ण हो जाए और पंचमी तिथि आ जाए तो चन्द्र दर्शन का कोई दोष नहीं होता है।
*पञ्चम्यां दर्शने न दोष:*
इस बार 07 सितम्बर को सायं 05.38 पर ही पंचमी आ गयी है। अतः सायंकाल पंचमी के चन्द्रमा देखने का कोई दोष नहीं है। फिर भी चन्द्र दर्शन से बचें।
*विद्वानों के लिए विशेष चिन्तनीय*
*इस बार 07 सितम्बर को चन्द्रोदय के समय सायं पंचमी रहेगी। और पंचमी में चन्द्र दर्शन शुभ कहे हैं। ऐसी स्थिति में चन्द्र दर्शन दोष तो चतुर्थी तिथि में 06 सितम्बर को ही रहेगा 07 को नहीं।*
*अतः गणेश चतुर्थी निमित्त व्रतोपवास पूजन तो 07 को ही करें और हो सके तो 06 सितम्बर को सायं पश्चिम दिशा में चन्द्रमा के दर्शन से बचें।*
फिर भी किसी सज्जन को गणेश चतुर्थी के दिन सायं चन्द्र दर्शन होने पर ग्लानि हो जाए तो दोष की निवृत्ति हेतु दृष्टान्त पढ़ें-
*ऐसे मिथ्याक्षेप तो भगवान योगीश्वर – योगेश्वर श्री कृष्ण तक को झेलने पड़े थे। उन पर स्यमन्तक मणि चोरी करने का कलंक लगा था। जो इस चतुर्थी में चन्द्र दर्शन के कारण ही लगा था।*
इसलिए इस दिन सिंह राशि के सूर्य में तो भूलकर भी चन्द्रमा का दर्शन नहीं करें। इस दिन चन्द्रोदय पश्चिम दिशा में होता है। जो कोई असावधानी वश देख भी लें तो स्यमन्तक मणि की कथा अवश्य सुननी चाहिए। जिससे दोष का शमन होता है। और विष्णु पुराण के निम्न मन्त्र का जप पूर्व या उत्तर में मुंह करके करें।…
*ॐ सिंह: प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हत:।*
*सुकुमारक मा रोदी: तव ह्येष: स्यमन्तक:।।*
तथा फल पुष्प अन्न आदि को जल में समर्पित करें या ब्राह्मण को दान दें। शास्त्रों में दही का दान भी कहा है। दानादि कर्म के पश्चात् प्रार्थना करें।…
*रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवन् देहि मे।*
*पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामान् प्रदेहि मे।।*
*हे विघ्नकर्ता विघ्नराज !!*
*हे विघ्नहर्ता अविघ्नरूप !!*
*हे सिद्धि दाता !!*
*हे सिद्धि विनायक !!*
*हे गजवदन अचिन्त्यरूप !!*
*हे अखिल लोकनायक !!*
*हे दुर्मुख विरूप!!*
*हे विश्वरूप सुमुखस्वरूप !!*
*हे विघ्नरूप मोदस्वरूप !!*
*हे मंगलमूर्ती प्रमोद स्वरूप !!*
*हे गज आनन एकदन्त !!*
*हे अनेक दन्तार्चित तेजरूप !!*
*हे हेरम्ब !!*
*हे श्वेताम्बर !!*
*हे रक्ताम्बर !!*
*हे भाग्यविधाता !!*
*हे मंगलदाता !!*
*हे शिवतनय !!*
*हे शंकर्ता शिवस्वरूप !!*
*हे लम्बोदर !!*
*हे प्रथम पूज्य गणपति !!*
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🌹 *आप का यह जन्मोत्सव, प्राकट्य दिवस, परम मान्यता दिवस आप की विशेष कृपा के साथ आपकी पत्नी ऋद्धि – सिद्धि एवं आपके पुत्र शुभ – लाभ की निरन्तर साक्षात् उपस्थिति से हम सभी के लिए अत्यन्त ही मंगलदायक हो।।