Haryana Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने 90 में से 67 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि बाकी 23 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की प्रक्रिया जारी है। भाजपा की इस चुनावी रणनीति में दक्षिण हरियाणा की सीटों को लेकर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के दबाव को नजरअंदाज करने की चर्चाएँ हैं। इस बीच, भाजपा ने टिकट आवंटन के बाद असंतुष्टों के बीच स्थिति को संभालने के लिए दिल्ली में एक बैठक बुलाई है।
राव इंद्रजीत की पसंद को नजरअंदाज
दक्षिण हरियाणा की सीटों पर भाजपा ने अब तक जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से अधिकांश पर राव इंद्रजीत की पहली पसंद को नजरअंदाज किया गया है। उदाहरण के लिए, गुरुग्राम, बादशाहपुर, अटेली, रेवाड़ी, कोसली और सोहना विधानसभा सीटों पर राव इंद्रजीत की पहली पसंद को टिकट नहीं मिला। अटेली में राव इंद्रजीत की बेटी आरती को टिकट दिया गया है, जबकि कोसली में अनिल दहिना को उम्मीदवार बनाया गया है, जो कि राव की दूसरी पसंद हैं।
रेवाड़ी में राव ने मनजू यादव या सुनील मूसपुर को टिकट दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन पार्टी और राव के बीच सहमति न बनने पर कोसली के विधायक लक्ष्मण यादव को रेवाड़ी भेजा गया।
टिकट वितरण की असंतोषजनक स्थिति
पार्टी ने टिकट वितरण में राव इंद्रजीत की दूसरी पसंद को प्राथमिकता दी है। सोहना में पूर्व विधायक तेजपाल टावर और गुरुग्राम में मुकेश शर्मा को भी राव की दूसरी पसंद के रूप में देखा गया है। जबकि राव इंद्रजीत की प्रतिद्वंद्वी पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राव नर्बीर को गुरुग्राम और नंगल चौधरी में जल संसाधन राज्य मंत्री डॉ. अभय यादव को नजरअंदाज किया गया है।
चुनावी रणनीति और असंतोष
भाजपा ने बवाल में कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल को तीसरी बार टिकट देने की योजना बनाई है, लेकिन राव इंद्रजीत इसका विरोध कर रहे हैं। राव ने डॉ. संजय मेहरा और कृष्ण कुमार के नाम पार्टी को दिए हैं। पटौदी में भाजपा पुराने चेहरे सत्यप्रकाश जारावाता को फिर से टिकट देने की पक्षधर है, जबकि राव इंद्रजीत पूर्व विधायक बिमल चौधरी या उनके बेटे रवि को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। महेंद्रगढ़ में पार्टी प्रोफेसर रामबिलास शर्मा के नाम की सिफारिश कर रही है, लेकिन शर्मा भाजपा के बड़े नामों में से एक हैं।
राव इंद्रजीत का विकल्प: हरियाणा इंसाफ पार्टी
यदि राव इंद्रजीत सिंह अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को भाजपा में नहीं ला पाते, तो वे अपनी बेटी की पार्टी, हरियाणा इंसाफ पार्टी के टिकट पर अपने समर्थकों को मैदान में उतार सकते हैं। हरियाणा इंसाफ पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता मिल चुकी है और यह चुनावी मैदान में एक महत्वपूर्ण विकल्प बन सकती है।
निष्कर्ष
भाजपा की चुनावी रणनीति ने राव इंद्रजीत की प्राथमिक पसंद को नजरअंदाज कर दिया है और केवल चुनावी जीत के चेहरे को प्राथमिकता दी है। इस स्थिति ने पार्टी और राव इंद्रजीत के बीच तनाव पैदा कर दिया है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भाजपा का उद्देश्य हर सीट को जीतना है, और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी ने किसी भी दबाव को स्वीकार करने से इनकार किया है। राव इंद्रजीत का दबाव पार्टी के निर्णय को प्रभावित नहीं कर पा रहा है, और भाजपा की रणनीति साफ है – केवल जीतने योग्य चेहरे ही चुनावी रणभूमि में उतारें।