Alwar: अलवर के गीतानंद सरकारी बाल अस्पताल में एक नौ वर्षीय बच्ची की मौत के बाद उसके परिवार ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। किशनगढ़ बास के रामकिशन प्रजापत ने अपनी बेटी नायना को शनिवार सुबह इलाज के लिए गीतानंद बाल अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां डॉक्टर ने उसका इलाज कर उसे स्वस्थ घोषित करते हुए दोपहर में डिस्चार्ज कर दिया।
लापरवाही का आरोप
परिवार का कहना है कि जब वे अपनी बेटी को किशनगढ़ बास लेकर पहुंचे, तो उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी। इसके बाद परिवार ने उसे तुरंत वापस अस्पताल लाया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे फिर से भर्ती किया, लेकिन इलाज के दौरान रात में बच्ची की मौत हो गई। परिवार ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर ने बच्ची का ठीक से इलाज नहीं किया और उसे पूरी तरह से स्वस्थ मानकर डिस्चार्ज कर दिया, जिससे उसकी हालत फिर से बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।
परिवार का आक्रोश
बच्ची की मौत के बाद परिवार अस्पताल में हंगामा करने लगा। उन्होंने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। परिवार का कहना है कि अगर डॉक्टर ने सही समय पर उचित इलाज किया होता, तो उनकी बेटी की जान बच सकती थी।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। जिला कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी घटना की जांच कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि मामले में दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
अधिकारियों ने परिवार को आश्वस्त किया है कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और अगर किसी भी डॉक्टर की लापरवाही सामने आती है, तो उसे कड़ी सजा दी जाएगी। प्रशासन का कहना है कि अस्पताल की चिकित्सा सुविधाओं और उपचार प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
अस्पताल का पक्ष
गीतानंद सरकारी बाल अस्पताल की ओर से घटना पर प्रतिक्रिया दी गई है कि अस्पताल में बच्ची के इलाज के दौरान सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि डॉक्टर ने बच्ची की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे डिस्चार्ज किया था। हालांकि, इस घटना की पूरी जांच की जाएगी और सभी तथ्यों की पुष्टि की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता
इस घटना ने अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता और डॉक्टरों की जिम्मेदारी पर सवाल उठते हैं। यह समय है कि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं।