Rajasthan की राजनीति में नौकरशाही अब एक प्रमुख मुद्दा बनती जा रही है। पूर्व कांग्रेस मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उनका बयान इस ओर इशारा करता है कि कांग्रेस अब भाजपा द्वारा की गई नौकरशाही की आलोचना का जवाब दे रही है। खाचरियावास ने राजस्थान के वित्त सचिव अखिल अरोड़ा पर किए गए आरोपों का हवाला देते हुए पूछा है कि कैसे भाजपा ने ऐसे अधिकारी को खजाने की चाबी सौंपी है, जिन पर खुद भाजपा के नेता किरोरी लाल मीणा ने गंभीर आरोप लगाए थे।
कांग्रेस और भाजपा के बीच नौकरशाही का खेल
हाल के दिनों में, राजस्थान की नौकरशाही राजनीतिक बयानबाजी का केंद्र बन गई है। भाजपा, जो पहले कांग्रेस के शासन में नौकरशाही पर प्रहार करती रही है, अब कांग्रेस के आरोपों का सामना कर रही है। खाचरियावास ने अपने बयान में कहा कि जो अधिकारी भाजपा के समय में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे थे, वे अब कांग्रेस सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं। यह सवाल उठता है कि यदि ये अधिकारी पहले भ्रष्ट थे, तो उन्हें फिर से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ क्यों दी गईं?
मुख्यमंत्री का स्पष्टीकरण अपेक्षित
खाचरियावास ने राजस्थान के मुख्यमंत्री से यह स्पष्ट करने की मांग की कि अगर कांग्रेस के समय में अधिकारी गलत थे और भ्रष्टाचार हुआ था, तो आज ये अधिकारी राज्य के खजाने की चाबी क्यों संभाल रहे हैं। इस प्रकार के आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा को अपनी पुरानी दावों का जवाब देना होगा।
अशोक गहलोत का हमला
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर भजन लाल सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए, यह बताते हुए कि उनकी सरकार के समय नियुक्त अधिकारियों ने आज भी प्रमुख पदों पर कब्जा कर रखा है। गहलोत ने यह भी कहा कि इस बात से साबित होता है कि उनकी सरकार द्वारा की गई नियुक्तियाँ पूरी तरह उचित थीं।
विपक्ष का कटाक्ष
विपक्ष के नेता तिकराम जूली ने हाल ही में बजट सत्र में भाजपा पर कटाक्ष किया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा का बजट भी पिछले कांग्रेस सरकार के अधिकारियों की टीम द्वारा तैयार किया गया था, जो यह दर्शाता है कि भाजपा अपनी नीतियों में किस हद तक पिछड़ी हुई है।
भाजपा के नेताओं की प्रतिक्रिया
भाजपा के विधायक शंकर सिंह रावत ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं का इजहार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान नियुक्त अधिकारी कई स्थानों पर संपत्ति का संचय कर चुके हैं, जिससे यह आभास होता है कि वे सरकार चला रहे हैं। इसी प्रकार, भाजपा के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी ने भी नौकरशाही के प्रभुत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नौकरशाही इतनी प्रभावशाली हो गई है कि नेता और विधायक भी मुख्य सचिव के कार्यालय में कतार में खड़े रहते हैं।
राजनीतिक स्थिति का प्रभाव
राजस्थान की इस राजनीतिक स्थिति से स्पष्ट है कि नौकरशाही अब दोनों पक्षों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। जहां एक ओर कांग्रेस भाजपा द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने में लगी हुई है, वहीं भाजपा अपनी ही पुरानी दावों की सफाई करने में व्यस्त है। इस प्रकार की राजनीतिक बयानबाजी से यह स्पष्ट होता है कि सत्ता में बने रहने के लिए दोनों दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।