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जानिए किसकी सेना में है कितना दम ?

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Israel Vs Iran Army: इजरायल और ईरान के बीच जंग के आसार नजर आ रहे हैं। ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। ईरान की ओर से किए गए इस हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने मिसाइलें दागकर बहुत बड़ी गलती की है। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी होगी। पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है तो चलिए ऐसे में जान लेते हैं कि इजरायल और ईरान में कौन कितना ताकतवर है? किसकी सेना मजबूत है और किसके पास कितने हथियार हैं?

किसमें कितना दम

इजरायल और ईरान दोनों ही मध्य पूर्व के अहम देश हैं और इनकी सैन्य शक्तियों की तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों देशों के पास आधुनिक हथियार हैं। इजरायल या फिर और ईरान,  किसकी सेना में कितना दम है, यह आंकड़ों से साफ हो जाएगा। द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा बजट के मामले में ईरान इजरायल से पीछे है, लेकिन सक्रिय सैनिकों की संख्या के मामले में ईरान इजरायल से काफी आगे है। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल का रक्षा बजट ईरान से ज्यादा है। ईरान बनान इजरायल की मिलिट्री पॉवर को इस तरह समझ सकते हैं।

इजरायल

इजरायल रक्षा बल (IDF) में तीन प्रमुख शाखाएं हैं। थल सेना, वायु सेना और नौसेना।

इजरायल की सैन्य सेवा अनिवार्य है, जिसके कारण हर नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण मिलता है।

इजरायल के पास अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, ड्रोन, और मिसाइल तकनीक है।

इजरायल की वायु सेना अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से लैस है, जैसे F-35 लाइटनिंग II।

ईरान

ईरान की सेना में भी तीन प्रमुख शाखाएं हैं। थल सेना, वायु सेना, और नौसेना, इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC)।

ईरान के पास बड़ी संख्या में सैनिक हैं, लेकिन उसकी सैन्य सेवा अनिवार्य नहीं है।

ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइलों का बड़ा भंडार है और वह लगातार अपनी मिसाइल तकनीक को उन्नत कर रहा है।

ईरान की वायु सेना के पास पुराने और आधुनिक विमानों का मिश्रण है, लेकिन वह तकनीकी रूप से इजरायल से पीछे है।

इजरायल के डिफेंस सिस्टम पर एक नजर

आयरन डोम 

आयरन डोम इजरायल का बेहद खास एयर डिफेंस सिस्टम है। यह सिस्टम छोटी दूरी की मिसाइलों और रॉकेटों को ट्रैक और इंटरसेप्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। आयरन डोम का मुख्य उद्देश्य उन हमलों को रोकना है जो नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाते हैं। इसकी सफलता दर 90 प्रतिशत से अधिक मानी जाती है।

डेविड्स स्लिंग 

डेविड्स स्लिंग सिस्टम का उद्देश्य मध्यम दूरी की मिसाइलों को नष्ट करना है। इसे 2017 में सक्रिय किया गया और यह आयरन डोम से उन्नत है। यह सिस्टम विशेष रूप से उन मिसाइलों के लिए है जो आयरन डोम की रेंज से बाहर होती हैं। इसकी उपयोगिता इजरायल की सुरक्षा को और मजबूत करती है।

एरो सिस्टम 

एरो सिस्टम, जिसे एरो 2 और एरो 3 के रूप में दो प्रमुख संस्करणों में देखा जा सकता है, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। एरो 3 विशेष रूप से उपग्रहों और बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए विकसित किया गया है और इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में भी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करना है। यह सिस्टम इजरायल को बेहद सुरक्षित बनाता है।

ईरान का डिफेंस सिस्टम 

बावर 373

बावर 373 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसे एस-300 के समानांतर विकसित किया गया है। यह प्रणाली 200 किमी तक की दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है और 27 किमी की ऊंचाई तक की उड़ानों को निशाना बना सकती है।

एस-300

ईरान ने रूस से एस-300 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी है। यह प्रणाली ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।

खोरदाद 15

खोरदाद 15 एक अन्य बेहद अहम ईरानी वायु रक्षा प्रणाली है। यह 150 किमी तक की दूरी पर लक्ष्यों को पहचान सकती है और 120 किमी तक की दूरी पर निशाना बना सकती है। ईरान की नौसेना भी विभिन्न प्रकार की रक्षा प्रणाली से लैस है। इसमें तटीय रक्षा मिसाइलें, पनडुब्बी रोधी युद्धपोत और समुद्री राडार शामिल हैं।

परमाणु शक्ति

इज़रायल ने अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम के बारे में कभी सार्वजनिक रूप से नहीं स्वीकारा है, लेकिन माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं। दूसरी ओर, ईरान का परमाणु कार्यक्रम विवादास्पद है, और उसने परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिशों को नकारा है।

साइबर क्षमताएं

इज़रायल साइबर युद्ध और रक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है। उसके पास उन्नत साइबर सुरक्षा क्षमताएं हैं और वह साइबर हमलों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है। ईरान भी साइबर युद्ध में सक्रिय है, लेकिन उसकी क्षमताएं इज़रायल के मुकाबले सीमित हैं।

गठजोड़ और समर्थन

इज़रायल का प्रमुख समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका है, जो उसे आर्थिक और सैन्य सहायता प्रदान करता है। इसके विपरीत, ईरान के समर्थन में रूस और चीन जैसे देश शामिल हैं, लेकिन उसे पश्चिमी देशों से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।

यह भी जानें

सैन्य शक्ति की तुलना में इज़रायल और ईरान दोनों के पास अपनी-अपनी क्षमताएं हैं। इज़रायल की उच्च तकनीकी सैन्य क्षमताएं और मजबूत गठजोड़ उसे महत्वपूर्ण बढ़त देती हैं। दूसरी ओर, ईरान की बड़ी जनसंख्या, क्षेत्रफल और बैलिस्टिक मिसाइलों का जखीरा उसे क्षेत्रीय शक्ति बनाती हैं। दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति में, कई कारक प्रभावित करेंगे कि कौन ताकतवर साबित होगा।

Hind News Tv
Author: Hind News Tv

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