Haryana Election में चुनावी माहौल में हलचल बढ़ गई है। आज (गुरुवार) शाम को चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इससे पहले, कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक आधे घंटे तक चली। सैलजा और सोनिया की यह मुलाकात चुनाव प्रचार के समाप्त होने से पहले महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
हरियाणा कांग्रेस में फूट
सैलजा और सोनिया गांधी की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब राज्य कांग्रेस में फूट नजर आ रही है। एक तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं और दूसरी तरफ कुमारी सैलजा। दोनों नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस ने राज्य में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से परहेज किया है, ताकि गुटबाजी को टाला जा सके।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान
चुनावों के बीच, भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हाल ही में कुमारी सैलजा की नाराजगी के बारे में सवाल पूछा गया। इस पर हुड्डा ने कहा, “यह सब मीडिया की रचना है, यह कोई प्रकरण नहीं है। कांग्रेस एकजुट है।” जब उनसे पूछा गया कि क्या सब कुछ ठीक है, तो हुड्डा ने कहा, “सब कुछ पहले ठीक था और आज भी ठीक है।”
कुमारी सैलजा ने भी कहा था कि वह मुख्यमंत्री के पद के बारे में कांग्रेस हाईकमान के फैसले को स्वीकार करेंगी। जब सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के बारे में हुड्डा से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “यह अच्छी बात है। अगर किसी को इच्छा नहीं होगी, तो राजनीति कमजोर हो जाएगी। जितने अधिक दावेदार होंगे, कांग्रेस को उतनी ही ताकत मिलेगी।”
सैलजा को BJP का ऑफर
चुनावों के बीच, कुमारी सैलजा को BJP से भी एक ऑफर मिला। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें BJP में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। मुख्यमंत्री नाईब सिंह सैनी ने भी इस पर बयान दिया, “अगर कोई आना चाहता है, तो वह स्वागत योग्य है। हम किसी को भी मना नहीं कर सकते। अगर कोई आना चाहता है, तो उसका स्वागत है।” हालांकि, सैलजा ने BJP के इस प्रस्ताव को ज्यादा महत्व नहीं दिया।
कांग्रेस की आंतरिक राजनीति
कांग्रेस में आंतरिक राजनीति का हमेशा एक अलग रंग रहा है। हरियाणा में भी सैलजा और हुड्डा के बीच चल रही शक्ति संघर्ष ने पार्टी को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। चुनावी अभियान के दौरान, दोनों नेताओं की प्रतिक्रियाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में मतभेद हैं, लेकिन वे इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं।
सैलजा और हुड्डा दोनों ही कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण नेता हैं, और उनका सहयोग पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पार्टी की एकता और सामर्थ्य को बनाए रखने के लिए, कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होगा। इससे पार्टी में सहमति और एकजुटता बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
राज्य की राजनीतिक स्थिति
हरियाणा में चुनावी प्रचार का माहौल काफी गर्म है। राज्य में चुनावी सरगर्मी के बीच, कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। सैलजा और हुड्डा दोनों ही मुख्यमंत्री पद के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ऐसे में सोनिया गांधी के साथ सैलजा की मुलाकात को एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
यह मुलाकात कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि सैलजा और पार्टी के शीर्ष नेता के बीच संवाद हो रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि चुनावों से पहले पार्टी के अंदर किसी भी प्रकार की गुटबाजी को समाप्त किया जाए ताकि पार्टी एकजुट होकर चुनाव में उतर सके।
कुमारी सैलजा का राजनीतिक सफर
कुमारी सैलजा का राजनीतिक करियर भी रोचक रहा है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे राज्य की पिछली सरकार में मंत्री रह चुकी हैं और उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है। सैलजा ने हमेशा महिलाओं के मुद्दों, शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए अपनी आवाज उठाई है।
उनकी पार्टी में स्थिति मजबूत है, लेकिन हुड्डा के साथ मुकाबला उन्हें चुनौतीपूर्ण बना रहा है। सैलजा का ध्यान चुनावी जीत पर है, लेकिन उन्हें पार्टी की एकता को भी बनाए रखना होगा।
BJP का आकर्षण
BJP की ओर से सैलजा को दिए गए प्रस्ताव ने राजनीतिक परिदृश्य में एक नई हलचल पैदा कर दी है। यह प्रस्ताव इस बात का संकेत है कि BJP हरियाणा में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सभी संभावित अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। सैलजा की कांग्रेस में स्थिति को देखते हुए BJP का यह कदम उनके लिए एक बड़ा अवसर हो सकता था, लेकिन सैलजा ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
चुनावी रणनीति
कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत है। अगर पार्टी चाहती है कि वे सत्ता में वापस आएं, तो उन्हें सैलजा और हुड्डा दोनों के बीच समझौता करना होगा। यह न केवल पार्टी के लिए, बल्कि राज्य के लिए भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ सकें।