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Rajasthan: RAS अधिकारियों का तबादला, सरकार के दाएं और बाएं फंसे, चार्ज लेते ही हो रहे स्थानांतरित

Rajasthan: RAS अधिकारियों का तबादला, सरकार के दाएं और बाएं फंसे, चार्ज लेते ही हो रहे स्थानांतरित

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Rajasthan: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सोमवार शाम को एक बार फिर RAS अधिकारियों की तबादला सूची जारी की। यह पिछले एक महीने में तीसरी सूची है। खास बात यह है कि हर सूची में कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्हें फिर से स्थानांतरित किया गया है। सरकार यह तय नहीं कर पा रही है कि किस अधिकारी का उपयोग कहाँ किया जाए।

10 महीनों में छठी बार स्थानांतरित

RAS अधिकारी अनूप सिंह और अमिता माणा को पिछले 10 महीनों में छठी बार स्थानांतरित किया गया है। पिछले सूची में इन्हें सवाई माधोपुर के उपखंड अधिकारी के रूप में तैनात किया गया था, अब इन्हें बासेरी के उपखंड अधिकारी के रूप में स्थानांतरित किया गया है।

Rajasthan: RAS अधिकारियों का तबादला, सरकार के दाएं और बाएं फंसे, चार्ज लेते ही हो रहे स्थानांतरित

इसी प्रकार, अमिता माणा को विराटनगर के उपखंड अधिकारी के पद से हटा दिया गया है और उन्हें रूपनगढ़, अजमेर के उपखंड अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है। यह स्थिति न केवल उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है, बल्कि सरकारी मशीनरी की अस्थिरता को भी दर्शा रही है।

पांचवी बार स्थानांतरित होने वाले अधिकारी

RAS अधिकारी रामरतन साउंकड़िया, बंसीधर योगी और अशोक कुमार शर्मा को पिछले 10 महीनों में पांचवी बार स्थानांतरित किया गया है। वहीं, उदयभानु चरण को चौथी बार स्थानांतरित किया गया है। यह लगातार हो रहे तबादले उन अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं जो कि अपने कार्य क्षेत्र में स्थिरता की उम्मीद कर रहे थे।

पिछली सूची में दो बार स्थानांतरण

पिछले महीने 183 RAS अधिकारियों का तबादला किया गया था, जिनमें से आधे अधिकारियों को 17 दिन के भीतर पुनः स्थानांतरित किया गया। यह स्थिति सरकारी तंत्र की अस्थिरता को दर्शाती है। अधिकारियों के बार-बार स्थानांतरण से उनकी कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

एक दिन में दो बार तबादला

RAS अधिकारी मुकेश चौधरी को जैसलमेर जिला परिषद के CEO के रूप में चार्ज लेते ही स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने जौधपुर से जैसलमेर जिला परिषद के CEO के रूप में कार्यभार संभाला, लेकिन अब उन्हें पाली जिला परिषद के CEO के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि सरकार का निर्णय लेने की प्रक्रिया कितनी अस्थिर है।

सरकारी मशीनरी की स्थिति

यह लगातार हो रहे तबादले ना केवल अधिकारियों के लिए चुनौती बन गए हैं, बल्कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था में भी अव्यवस्था उत्पन्न हो रही है। बार-बार के स्थानांतरण से यह प्रश्न उठता है कि क्या अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा पा रहे हैं। जब अधिकारियों को अपनी जगह से हटा दिया जाता है, तो इससे योजनाओं के कार्यान्वयन में भी बाधा आती है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

राजस्थान में सरकारी तंत्र में हो रहे इस प्रकार के बदलाव राजनीतिक दबाव और स्थानीय समस्याओं का भी संकेत देते हैं। जब सरकार अपनी रणनीतियों को प्रभावी बनाने के लिए स्थिरता नहीं रख पाती, तो इससे न केवल अधिकारियों का मनोबल प्रभावित होता है, बल्कि आम जनता की समस्याओं का समाधान भी नहीं हो पाता।

भविष्य की संभावनाएं

राजस्थान की सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या को गंभीरता से ले और अधिकारियों के स्थानांतरण के निर्णय में अधिक स्थिरता लाए। इससे न केवल अधिकारियों के कार्य प्रदर्शन में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों के प्रति उनकी जवाबदेही भी बढ़ेगी। एक स्थिर प्रशासनिक तंत्र ही लोगों के विश्वास को जीत सकता है और उनके लिए बेहतर सेवाएं सुनिश्चित कर सकता है।

SatishRana
Author: SatishRana

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