गया में रामशिला तैयार, पहले कारसेवक का दर्जा – 1989 में हुआ था राम मंदिर शिलान्यास

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कामेश्वर चौपाल ने 1989 में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए पहली ‘राम शिला’ रखी थी। वह उस समय विश्व हिंदू परिषद से जुड़े थे। बाद में उन्होंने बीजेपी जॉइन की और संसदीय चुनावों में भी हिस्सा लिया। राम मंदिर के निर्माण में उनका योगदान अहम रहा। उन्होंने 2002 से 2014 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिए पहली ईंट (रामशिला) रखने वाले प्रथम कारसेवक और ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल (68) नहीं रहे। वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। बिहार में कमरैल (सुपौल) के रहने वाले श्री चौपाल को नौ नवम्बर 1989 को श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर की नींव की पहली ईंट रखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वे विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े थे और विधान परिषद सदस्य रहे थे। उपचार के लिए भर्ती रहने के समय दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में गुरुवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

कामेश्वर चौपाल विश्व हिंदू परिषद (VHP) के स्वयंसेवक रहते हुए 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर नींव की पहली ईंट रखी थी। यह ‘राम शिला’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। बिहार के सुपौल निवासी चौपाल राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए ‘राम शिला’ को अयोध्या पहुंचाने में सहयोगी रहे। बाद में वे BJP में शामिल हो गए और राज्यसभा सदस्य भी बने।

कामेश्वर चौपाल एक सामान्य विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ता से राम मंदिर आंदोलन के एक प्रमुख चेहरे बन गए। 9 नवंबर 1989, एक ऐतिहासिक दिन था, जब उन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर की नींव के लिए पहली ईंट, ‘राम शिला’, रखी। यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था।

‘राम शिला’ को अयोध्या तक पहुंचाने में चौपाल की अहम भूमिका रही। उन्होंने गांव-गांव घूमकर राम मंदिर निर्माण के लिए ईंटें और एक रुपये पच्चीस पैसे की दक्षिणा इकट्ठा की थी। यह एक जन आंदोलन बना, जिसने लाखों लोगों को जोड़ा। हर एक ईंट और छोटा सा योगदान मंदिर निर्माण के संकल्प का प्रतीक बना।1989 में ‘राम शिला’ रखने के लिए कामेश्वर चौपाल को चुना गया। यह उनके समर्पण और आंदोलन में उनके योगदान का सबूत था। इस घटना ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया। उनकी कहानी साधारण कार्यकर्ता से एक प्रमुख व्यक्ति बनने की यात्रा को दर्शाती है।

1991 में चौपाल ने VHP छोड़कर BJP में एंट्री ली। उन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। BJP ने उन्हें संसदीय चुनाव में उम्मीदवार बनाया, लेकिन वे 1991 और 2014 दोनों बार हार गए। हालांकि, उनका राजनीतिक सफर यहीं नहीं रुका।

कामेश्वर चौपाल ने 2002 से 2014 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में सेवाएं दी। 1982 में VHP में शामिल होने के बाद उन्हें 1989 में गया में मुख्यालय के साथ राज्य प्रभारी नियुक्त किया गया था। राम मंदिर निर्माण के लिए उनका योगदान और समर्पण भारतीय राजनीति और समाज के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। चौपाल का जीवन एक सामान्य व्यक्ति की असाधारण यात्रा का उदाहरण है।
Surendra Rajput
Author: Surendra Rajput

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