लट्ठमार होली से पहले बरसाना में मची धूम, भक्त हुए भाव-विभोर!

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ब्रज की होली द्वापर युग से चली आ रही एक अनूठी परंपरा है. बरसाना में होली की शुरुआत चौपाइयों से होती है, जिसमें भक्त अबीर-गुलाल उड़ाकर उत्सव मनाते हैं। राधा रानी मंदिर में भक्ति, संगीत और रंगों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.

निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा- होली ब्रज का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे मनाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस पारंपरिक होली की शुरुआत द्वापर युग में हुई, जब भगवान कृष्ण और राधा होली खेलते थे. यही कारण है कि आज भी ब्रज की संस्कृति और इसकी होली विशेष महत्व रखती है.

बरसाना में होली की चौपाई

राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में होली का उत्सव महाशिवरात्रि से ही शुरू हो जाता है. होली से पहले यहां पारंपरिक चौपाई निकाली जाती है. पहली चौपाई रंगीली गलियों में ढोल, नगाड़ों और मंजीरों की धुन के साथ निकलती है, जहां भक्त गुलाल उड़ाकर आनंद मनाते हैं. दूसरी चौपाई 7 मार्च को निकाली जाएगी, जिसके बाद प्रसिद्ध लड्डू मार होली और फिर लट्ठमार होली का आयोजन होगा.

राधा रानी मंदिर में भक्ति और उल्लास का संगम

बरसाना के श्री लाडली जी राधा रानी मंदिर से जब होली की प्रथम चौपाई निकली, तो पूरे मंदिर परिसर में अबीर-गुलाल की धूम मच गई. गोस्वामी समाज के नेतृत्व में पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों के साथ यह आयोजन हुआ, जिसमें भक्त भाव-विभोर होकर झूम उठे. श्रद्धालुओं ने इसे सौभाग्य का प्रतीक मानते हुए इस होली को अपने जीवन की सबसे यादगार होली बताया.

चौपाई के दौरान भक्तों का उत्साह चरम पर

राधा रानी मंदिर के प्रांगण में सेवायत पुजारियों द्वारा चौपाई का आयोजन हुआ. इस दौरान रंग-बिरंगे गुलाल की बौछार हुई और श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर नाचने लगे. यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है, जिसमें राधा रानी को मनाने और होली के उल्लास को बढ़ाने के लिए चौपाइयों का आयोजन किया जाता है.

ब्रज की होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति और परंपरा का अनूठा संगम भी है, जो हर साल श्रद्धालुओं को अपने मोहपाश में बांध लेती है.

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Author: Hind News Tv

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