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Sirsa Dera Jagmalwali Gaddi Dispute: सरपंच प्रतिनिधियों और प्रभावशाली लोगों की बैठक, कहा- गद्दी प्रबंध, डेरा समिति और वकील साहिब का परिवार तय करें प्रबंधक

Sirsa Dera Jagmalwali Gaddi Dispute: सरपंच प्रतिनिधियों और प्रभावशाली लोगों की बैठक, कहा- गद्दी प्रबंध, डेरा समिति और वकील साहिब का परिवार तय करें प्रबंधक

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Sirsa Dera Jagmalwali Gaddi Dispute: सिरसा के कालनवाली के डेरा जगमलवाली के गद्दी विवाद में नया मोड़ आ गया है। रविवार को, जहां संगत और गांवों के प्रभावशाली लोगों ने गुरप्रीत सिंह को डेरा प्रमुख घोषित किया था, वहीं सोमवार को सरपंच प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों ने कहा कि डेरा प्रबंध, डेरा समिति और वकील साहिब के परिवार को डेरा प्रमुख के बारे में निर्णय लेना चाहिए।

Sirsa Dera Jagmalwali Gaddi Dispute: सरपंच प्रतिनिधियों और प्रभावशाली लोगों की बैठक, कहा- गद्दी प्रबंध, डेरा समिति और वकील साहिब का परिवार तय करें प्रबंधक

संत वकील साहिब के करीबी वकील सुमेरलाल शर्मा ने सोशल मीडिया पर डेरा के मामले में अपनी बात रखी है। हालांकि, डेरा के ट्रस्टी अब तक सामने नहीं आए हैं। वहीं, वीरेंद्र सिंह की ओर से भी कोई सामने नहीं आया है। संत वकील सिंह के परिवार ने केवल यह कहा है कि वे संगत के द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय का सम्मान करेंगे। इस बीच, नए डेरा प्रमुख गुरप्रीत सिंह खुद डेरा में रह रहे हैं और हर दिन शोक सभा में भाग ले रहे हैं। सोमवार को डेरा के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया।

संतों ने हमेशा गद्दी के निर्णय लिए हैं

गांव जगमलवाली के सरपंच प्रतिनिधि सतपाल सिंह, गांव फूल्लो के सरपंच कुलदीप, गांव पिपली के सरपंच प्रवीण और गांव खोखर के सरपंच प्रतिनिधि गुरप्रीत सिंह ने कहा कि डेरा की गद्दी का निर्णय डेरा की प्रबंध समिति और संत वकील साहिब के परिवार को लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी गद्दी के निर्णय संत ही लेते आए हैं। रविवार को कुछ गांव पंचायतों के समर्थन से नए डेरा प्रमुख के चयन की बात की गई थी।

उन्होंने कहा कि पिपली, असीर और जगमलवाली की पंचायतों का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि डेरा समिति के सदस्य सामने आएं और डेरा की देखरेख करें ताकि असामाजिक तत्व कोई परेशानी न पैदा कर सकें। गद्दी के इच्छुक किसी को सामने आकर अपनी इच्छाशक्ति दिखानी चाहिए। पहले भी डेरा के संत ही गद्दी के निर्णय लेते रहे हैं। जो भी निर्णय संत वकील साहिब ने लिया है, उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए। इस मौके पर राजविंदर सिंह, सतनाम सिंह, राजेंद्र सिंह और जतींदर सिंह उपस्थित थे।

संत कभी किसी के दबाव में नहीं आए: सुमेरलाल

वकील सुमेरलाल शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि वे उस समय मौजूद थे जब वसीयत बनाई गई थी। महाराज कभी किसी के दबाव में नहीं आए। उनका महाराज वकील साहिब से विश्वविद्यालय के दिनों से संबंध था। वे महाराज से समय-समय पर मिलने जाते थे। जब महाराज बीमार थे, वे हर दिन फोन पर बात करते थे। वे वसीयत के गवाह हैं जो मीडिया के सामने आई है। वसीयत के समय, महाराज ने अपनी हस्तलिखित डायरी में वसीयत को दिखाया और पूछा कि क्या यह सही है। इसके बाद, एक लिपिक द्वारा इसे लिखा गया और पंजीकृत किया गया।

SatishRana
Author: SatishRana

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