Rajasthan News: पिछले कुछ वर्षों में, राजस्थान में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT) भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। इसके तत्कालीन अध्यक्ष आईएएस अखिल अरोड़ा और कई निचले अधिकारियों के खिलाफ एसीबी में कई शिकायतें की गई थीं। एसीबी ने जांच की अनुमति के लिए सरकार को पत्र भी लिखा, लेकिन अधिकारियों के प्रभाव के सामने सिस्टम बौना नजर आया। हाल ही में, एसीबी ने DOIT अधिकारी कुलदीप यादव के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति के मामले में कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट (FR) दाखिल की। शिकायतकर्ता डॉ. टीएन शर्मा ने इस FR को हाई कोर्ट में चुनौती दी और गुरुवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें डॉ. टीएन शर्मा की ओर से वकील पूनम सिंह भंडारी और इंद्रजीत कथूरिया ने पैरवी की। शिकायतकर्ता ने बताया कि मामला उनकी शिकायत पर दर्ज हुआ था और एसीबी के जांच अधिकारी ने मामले में मिलीभगत कर FR दाखिल कर दी।
तीन दिनों में 90 लाख जमा
वकील पूनम सिंह भंडारी और इंद्रजीत कथूरिया ने बताया कि डॉ. टीएन शर्मा ने दिसंबर 2019 में व्यक्तिगत रूप से एसीबी के अधीक्षक से मुलाकात की और उन्हें बताया कि कुलदीप यादव, जो उस समय सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के उप निदेशक थे, ने 2013 में नौकरी में शामिल होने के बाद से पांच साल में करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। इस शिकायत पर जांच की गई और जब शिकायत सही पाई गई, तो कुलदीप यादव के घर पर छापा मारा गया, जहां करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति और भव्य वस्तुएं पाई गईं।
जांच में खुलासा हुआ कि कुलदीप यादव ने अपनी पत्नी आशा यादव के खाते में करोड़ों रुपये जमा किए और पांच साल की अवधि में भारी संपत्ति अर्जित की, जो उनकी कुल वेतन से कहीं अधिक पाई गई। इसके बाद, वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव में पूरी जांच को पलट दिया गया और कुलदीप यादव की पत्नी के खातों में जमा धनराशि को उनके पिता की ओर से उपहार के रूप में दिखाया गया। यादव द्वारा खरीदा गया फ्लैट 1 करोड़ रुपये से अधिक का था और उसके इंटीरियर्स पर भी करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। एसीबी के एसीपी राजेश जांगिड़ ने अपने बयान में कहा कि कुलदीप यादव ने भ्रष्टाचार के माध्यम से करोड़ों की संपत्ति बनाई है, लेकिन एसीबी कोर्ट ने इन तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए मामले में अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने जताई हैरानी
राजस्थान हाई कोर्ट के जज ने तर्क सुनने के बाद हैरानी जताई कि इतने गंभीर मामले में अंतिम रिपोर्ट देने और जांच अधिकारी की कोर्ट से FR को स्वीकार करने की अपील करना चौंकाने वाला है, जबकि एसीबी के बयान से स्पष्ट है कि आरोपी ने भ्रष्टाचार के माध्यम से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। हाई कोर्ट ने अब इस मामले में एसीबी के महानिदेशक को तलब किया है और इसमें सुनवाई की तारीख 6 सितंबर को दी है।
इस बीच, शिकायतकर्ता डॉ. टीएन शर्मा ने आरोप लगाया कि DOIT के तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान वित्त विभाग के एसीएस अखिल अरोड़ा ने इस पूरे मामले में जांच नहीं होने दी। उन्होंने कहा कि DOIT ने कई ऐसे मामलों में जांच को दबा दिया है।