Paralympics: राजस्थान के सुंदर गुर्जर ने पेरिस पैरालंपिक में अपनी अद्वितीय प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए इतिहास रच दिया है। सुंदर गुर्जर ने भाला फेंक प्रतियोगिता में 64.96 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। इस शानदार उपलब्धि के बाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुंदर गुर्जर को बधाई दी और सोशल मीडिया पर लिखा, “राजस्थान के करौली जिले के प्रतिभाशाली एथलीट सुंदर गुर्जर ने पेरिस पैरालंपिक के एफ46 श्रेणी में भाला फेंक प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर न केवल देश की बल्कि पूरे राजस्थान की भी प्रतिष्ठा बढ़ाई है। आपको ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि आपकी निरंतर मेहनत और असाधारण खेल कौशल का परिणाम है। यह विजय राज्य और देश के अनगिनत खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भारत माता की जय।”
सुंदर गुर्जर की कठिनाइयाँ और उनकी प्रेरणादायक यात्रा
सुंदर सिंह गुर्जर राजस्थान के करौली जिले के निवासी हैं। एक दुर्घटना में अपने बाएं हाथ को खोने के बाद, उन्होंने आत्महत्या करने का विचार किया था। लेकिन खेलों ने उन्हें एक नया जीवन उद्देश्य दिया। पारालंपिक खेलों में भाग लेने के बाद उन्होंने खुद को ढूंढा और अपनी मेहनत और लगन से सफलता की ऊंचाइयों को छू लिया। सुंदर गुर्जर के पास भाला फेंकने का विश्व रिकॉर्ड भी है, जो उन्होंने 68.60 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर स्थापित किया था। इसके अतिरिक्त, सुंदर ने एशियन पैरा गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश और राज्य का नाम रोशन किया है।
पैरालंपिक में अन्य उपलब्धियाँ
पेरिस पैरालंपिक में केवल सुंदर गुर्जर ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पैरा एथलीट अजीत सिंह ने भी ज्वलंत प्रदर्शन किया। अजीत सिंह ने पुरुषों के भाला फेंक एफ-46 श्रेणी के इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने ज्वलंत फाइनल में व्यक्तिगत बेस्ट 65.62 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारतीय पैरा एथलीटों में अपार संभावनाएँ हैं और वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।
सुंदर गुर्जर की उपलब्धि का महत्व
सुंदर गुर्जर की इस उपलब्धि का महत्व केवल उनके व्यक्तिगत करियर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश और विशेष रूप से राजस्थान के लिए एक गर्व का विषय है। उनकी कठिनाइयों के बावजूद खेलों में हासिल की गई सफलता उन्हें और अन्य खिलाड़ियों को प्रेरित करती है कि कठिनाइयों का सामना करके भी सफलता पाई जा सकती है। उनकी मेहनत, संघर्ष और खेल के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एक आदर्श बना दिया है।
राज्य और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
सुंदर गुर्जर की उपलब्धि पर राज्य और केंद्र सरकारों की भी प्रतिक्रिया आई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुंदर की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि उनके जैसे खिलाड़ी देश का मान बढ़ाते हैं। इसके अलावा, खेल मंत्रालय और अन्य सरकारी एजेंसियों ने भी सुंदर की इस उपलब्धि को सराहा और उन्हें भविष्य में और सफलता की शुभकामनाएं दी हैं।
समाज पर प्रभाव
सुंदर गुर्जर की सफलता ने समाज में एक सकारात्मक प्रभाव डाला है। उनके जीवन की कठिनाइयों और उनके द्वारा की गई मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि किसी भी प्रकार की शारीरिक विकलांगता के बावजूद, एक व्यक्ति अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से सफलता प्राप्त कर सकता है। यह कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो किसी न किसी कारण से अपनी उम्मीदें खो चुके हैं या जिनका आत्मविश्वास कमजोर है।
भविष्य की उम्मीदें और योजनाएं
सुंदर गुर्जर की इस ऐतिहासिक सफलता ने न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए नई उम्मीदें और योजनाएं पैदा की हैं। उनका भविष्य उज्ज्वल नजर आता है और उनके अगले लक्ष्यों में अधिक बड़े टूर्नामेंटों में भाग लेना और अपनी उपलब्धियों को और बढ़ाना शामिल है। सुंदर और अन्य पैरा एथलीटों की तरह, भारतीय खेल प्रणाली को ऐसे खिलाड़ियों को बेहतर अवसर और संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर और भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।