डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। पोर्ट ब्लेयर (Port Blair) का नाम बदलकर श्री विजयपुरम (Sri vijayapuram) कर दिया गया है। औपनिवेशिक छाप से मुक्त कराने के लिए मोदी सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने का फैसला किया है। आइए जानते हैं कि पोर्ट ब्लेयर का इतिहास क्या है और इस द्वीप का नाम पोर्ट ब्लेयर क्यों पड़ा।
दरअसल, पोर्ट ब्लेयर का नाम आर्चीबाल्ड ब्लेयर (Archibald Blair) के नाम पर रखा गया था। वो ईस्ट इंडिया कंपनी के नौसेना अधिकारी थे। उन्होंने 1789 में चागोस द्वीपसमूह और अंडमान द्वीपसमूह का सर्वेक्षण किया था। इसी वजह से उनके नाम पर ही पोर्ट ब्लेयर द्वीप का नाम रखा गया था।
अंग्रेजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण द्वीप था पोर्ट ब्लेयर
आर्चीबाल्ड ब्लेयर की देखरेख में पोर्ट ब्लेयर का कायाकल्प किया गया। इस द्वीप को ब्रिटिश मैरिटाइम नेटवर्क का सेंटर बनाया गया। प्रशासनिक और व्यापारिक गतिविधियों पर पोर्ट ब्लेयर से ही नजर रखी जाती थीं।
एक जमाने में पोर्ट ब्लेयर शहर फिशिंग का हब हुआ करता था। औपनिवेशिक शासन के दौरान अंडमान निकोबार द्वीपसमूह से सुदूर इलाकों पर नजर रखा जाता था। पूर्व बंगाल की खाड़ी पर वर्चस्व बनाने के लिए पोर्ट ब्लेयर को कब्जे में लेना अंग्रेजों के लिए जरूरी था।
इस द्वीप का इतिहास
पोर्ट ब्लेयर में ही सेलुलर जेल मौजूद है, जहां ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर जुल्म ढाए। इस जेल में काला पानी की सजा भी दी जाती थी। जेल पोर्ट ब्लेयर शहर में अटलांटा प्वाइंट पर स्थित है। इस पोर्ट पर एशिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ा आरा मिल है, जिसे चाथम आरा मिल कहा जाता है।
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर “श्री विजया पुरम” करने का फैसला किया है, उन्होंने कहा कि यह निर्णय “राष्ट्र को औपनिवेशिक छापों से मुक्त करने” के लिए लिया गया है. पोर्ट ब्लेयर केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी है.
शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “राष्ट्र को औपनिवेशिक छापों से मुक्त करने के लिए पीएम @narendramodi जी के विजन से प्रेरित होकर, आज हमने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर “श्री विजया पुरम” करने का फैसला किया है.”
गृह मंत्री ने बताया कि पिछले नाम में “औपनिवेशिक विरासत” थी, जबकि नया नाम, श्री विजया पुरम, स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष में हासिल की गई जीत का प्रतीक है.“
“अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हमारे स्वतंत्रता संग्राम और इतिहास में एक अद्वितीय स्थान है. उन्होंने कहा कि यह द्वीप क्षेत्र जो कभी चोल साम्राज्य के नौसैनिक अड्डे के रूप में कार्य करता था, आज हमारी रणनीतिक और विकास आकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण आधार बनने के लिए तैयार है.“
शाह ने आगे कहा: “यह वह स्थान भी है जहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने पहली बार हमारा तिरंगा फहराया था और यह वह सेलुलर जेल भी है जहाँ वीर सावरकर जी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के लिए संघर्ष किया था.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस निर्णय का स्वागत किया और अपने विचार साझा किए.
पीएम मोदी ने लिखा: “श्री विजयपुरम नाम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समृद्ध इतिहास और वीर लोगों का सम्मान करता है. यह औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने और अपनी विरासत का जश्न मनाने की हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लिखा: “पिछला नाम औपनिवेशिक शासन की गूँज देता था, लेकिन अब श्री विजयपुरम का हर उल्लेख हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लचीलेपन और बलिदान को श्रद्धांजलि के रूप में काम करेगा, जिन्होंने औपनिवेशिक उत्पीड़न की बेड़ियों को तोड़ने के लिए लड़ाई लड़ी. यह नाम बदलना औपनिवेशिक छापों से मुक्त भविष्य को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लिखा: “आज एक ऐतिहासिक दिन है, जब हम पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ कर रहे हैं. यह आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है.”
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने लिखा, “यह एक सराहनीय कदम है, हमारे देश को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करने का एक कदम है. नाम बदलना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अदम्य भावना के लिए एक शक्तिशाली श्रद्धांजलि है और हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करता है.”
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिखा: “श्री विजयपुरम का नामकरण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व और गौरवशाली परंपराओं को उजागर करने के लिए समर्पित है. देश को गुलामी के प्रतीकों से मुक्त करने का कार्य सराहनीय है.”