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Rajasthan by-election: 7 सीटों पर चुनौती, बीजेपी को 11 लोकसभा सीटों का नुकसान; जानिए समीकरण

Rajasthan by-election: 7 सीटों पर चुनौती, बीजेपी को 11 लोकसभा सीटों का नुकसान; जानिए समीकरण

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Rajasthan by-election: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सरकार इन दिनों निवेश सम्मेलन ‘राइजिंग राजस्थान‘ की तैयारियों में व्यस्त है, जो दिसंबर में आयोजित होने वाला है। लेकिन इसी बीच राज्य में उपचुनाव भी होने हैं। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा है कि सम्मेलन को लेकर अगले दो महीनों में कई रोड शो आयोजित किए जाएंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार सम्मेलन और उपचुनाव के बीच प्राथमिकता किसे देगी।

Rajasthan by-election: 7 सीटों पर चुनौती, बीजेपी को 11 लोकसभा सीटों का नुकसान; जानिए समीकरण

उपचुनाव की चुनौती

बीजेपी को उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस के गढ़ों में घुसना होगा। सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें से कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों का काफी मजबूत प्रभाव है। केवल सलंबाहर सीट बीजेपी के पास थी, लेकिन वहां भी क्षेत्रीय पार्टी बीएपी का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी ओर, सरकार, संगठन और नौकरशाही के तीनों मोर्चों पर तालमेल की भारी कमी देखी जा रही है।

सरकार की स्थिति

पूरा मानसून सीजन आपदाओं में बीत गया लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि आपदा राहत मंत्री किरोरी लाल मीना सरकार में हैं या नहीं। किरोरी ने बयान दिया है कि उनकी स्थिति शिखंडी जैसी हो गई है।

संगठन की स्थिति

राज्य के नए प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने आते ही विवादित बयान दिए, जिसके बाद राज्य भर में उनकी आलोचना शुरू हो गई। नए राज्य अध्यक्ष मदन राठौड़ ने उप-समिति की रिपोर्ट के आने से पहले जिलों को समाप्त करने के बारे में बयान दिया। विवाद बढ़ने पर उन्होंने अपने बयान से पीछे हट गए। जापान से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के स्वागत समारोह में पार्टी कार्यालय की कुर्सियाँ भी खाली रहीं। तैयारियाँ ऐसी थीं जैसे हजारों लोगों की भीड़ होगी, लेकिन स्थिति यह थी कि 400 लोग भी इकट्ठा नहीं हो सके।

नौकरशाही की स्थिति

बीजेपी के लोग राजस्थान में नौकरशाही के रवैये को लेकर ज्यादा नाराज नजर आ रहे हैं। विधानसभा सत्र के दौरान आधे-अधूरे जवाब और कमजोर तैयारियों ने साबित कर दिया कि मंत्रियों का नौकरशाही पर कोई नियंत्रण नहीं है। विपक्ष ने लगातार हमले किए, और सरकार की ओर से कोई प्रभावी जवाब नहीं मिला।

उपचुनाव वाली सात विधानसभा सीटें

  • देवली यूनियारा विधानसभा सीट: कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन गए हैं। पिछले दो विधानसभा चुनावों में बीजेपी को यहां हार का सामना करना पड़ा है।
  • दौसा विधानसभा सीट: कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन गए हैं। मुरारीलाल ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में यहां जीत दर्ज की है।
  • झुंझुनू विधानसभा सीट: कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन गए हैं। यह कांग्रेस का मजबूत किला है। बीजेपी ने पिछले चार विधानसभा चुनावों में यहां हार का सामना किया है और झुंझुनू लोकसभा सीट भी हार गई है।
  • चौरासी विधानसभा सीट: बीएपी विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन गए हैं। आदिवासी बेल्ट में बीएपी का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कांग्रेस चिंतित है। राजकुमार रोत ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में चौरासी सीट पर बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की है।
  • खींवसर विधानसभा सीट: आरएलपी विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन गए हैं। हनुमान बेनीवाल ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में इस सीट को बरकरार रखा है। हालांकि, 2008 में हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी बना ली है।
  • रामगढ़ विधानसभा सीट: कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो गया है। रामगढ़ सीट पर दूसरी बार उपचुनाव होगा। पिछले चुनावों में बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर रही थी, जबकि कांग्रेस ने 2018 विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी।
  • सलंबाहर विधानसभा सीट: बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो गया है। इन सात सीटों में यह केवल बीजेपी की मजबूत सीट मानी जाती है, लेकिन अब बीएपी यहां एक बड़ा खतरा बन गई है।

SatishRana
Author: SatishRana

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