Haryana elections: हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम ने सुनेरिया जेल से एक सप्ताह पहले बाहर आने के लिए 20 दिनों की आपात पैरोल मांगी है। इस मांग को लेकर जेल विभाग ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। आयोग ने सरकार को पत्र लिखकर पूछा है कि चुनाव के दौरान पैरोल देना कितना उचित होगा। राम रहीम की पैरोल पर निर्णय सोमवार को लिया जा सकता है। इस बीच, सुनेरिया जेल के अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है और वे आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि करने के लिए तैयार नहीं हैं।
राम रहीम की पृष्ठभूमि
राम रहीम, जो कि रोहतक की सुनेरिया जेल में बलात्कार और हत्या के मामले में जीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, ने 13 अगस्त को 21 दिनों की फurlough पर रिहाई पाई थी और वह 5 सितंबर को जेल लौट आए थे। अब वह विधानसभा चुनावों के दौरान एक बार फिर से बाहर आना चाहते हैं। राजनीतिक हलकों में इस स्थिति को चुनावों से जोड़ा जा रहा है क्योंकि राम रहीम ने हर चुनाव के दौरान अपने अनुयायियों को संदेश दिया है। उन्हें पंजाब के समीपवर्ती विधानसभा क्षेत्रों पर प्रभाव रखने वाला माना जाता है।
चुनाव से पहले राम रहीम की पैरोल का महत्व
राम रहीम की पैरोल को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यदि उन्हें पैरोल मिलती है, तो इसका प्रभाव हरियाणा विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा। राम रहीम के अनुयायी उनकी वापसी के बाद उनके निर्देशों का पालन कर सकते हैं, जो कि चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
इससे पहले भी, राम रहीम को चुनावों से पहले पैरोल मिलती रही है। उदाहरण के लिए, बारोड़ा उपचुनाव के दौरान उन्हें 20 अक्टूबर 2020 को अपनी मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल मिली थी। इसके अलावा, फरवरी 2022 में पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें 21 दिनों की पैरोल दी गई थी। इसी तरह, राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए भी उन्हें 25 नवंबर 2023 को 21 दिनों की पैरोल मिली थी।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग का यह दायित्व है कि वह सुनिश्चित करे कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र हो। राम रहीम के मामले में आयोग ने सरकार से पूछा है कि क्या उनके पैरोल का चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा। यह एक महत्वपूर्ण सवाल है, क्योंकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है।
जेल प्रशासन की स्थिति
सुनेरिया जेल के अधिकारियों ने इस मामले में कोई भी आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि राम रहीम की पैरोल पर अंतिम निर्णय क्या होगा। हालांकि, यह भी सच है कि जेल प्रशासन के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, क्योंकि उन्हें चुनावी प्रक्रिया और कानून का पालन करते हुए निर्णय लेना होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। कुछ दल इसे चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। उनके अनुसार, यदि राम रहीम को पैरोल दी जाती है, तो यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ होगा। ऐसे में, चुनाव आयोग को इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करना होगा।