लेबनान में तेज़ होते इसराइली हमलों के बीच अरब जगत के अलग-अलग मुल्कों से भी इस पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
अरब जगत के सुन्नी मुस्लिम बहुल मुल्कों ने भले ही हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह के इसराइली हमले में मारे जाने की खुलकर निंदा न की हो लेकिन वो लेबनान की संप्रभुता की बात कर रहे हैं.
अरब जगत का मीडिया भी इस पूरे घटनाक्रम पर बढ़-चढ़कर लिख रहा है. पल-पल के बदलते हालात पर लाइव रिपोर्टिंग के अलावा इस पर विश्लेषण भी छापे जा रहे हैं.
नसरल्लाह को मारने के बाद इसराइल
क़तर का मीडिया समूह अल-जज़ीरा ग़ज़ा में इसराइली हमलों पर अपनी रिपोर्टिंग के लिए काफ़ी चर्चित रहने के साथ
-साथ विवादित भी रहा है.
अब उसने लेबनान में जारी इसराइल के अभिया
न पर भी अपनी रिपोर्टिंग में तेज़ी लाई है. इसराइल ने वेस्ट बैंक में अल-जज़ीरा के कार्यालय को बंद करा दिया है लेकिन उसकी रिपोर्टिंग जारी है.
अल जज़ीरा की अंग्रेज़ी वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख का शीर्षक है- ‘इसराइली हत्याएं प्रतिरोध को नहीं मार सकती हैं.’ ज़ाहिर है ये लेख हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद लिखा गया है.
बेलेन फ़र्नांडिज़ नामक अल-जज़ीरा की स्तंभकार ने हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद इसराइली सेना के ट्वीट से लेख की शुरुआत की है. इसराइली सेना ने ट्वीट किया था कि नसरल्लाह अब ‘दुनिया को आंतकित करने में सक्षम नहीं होंगे.’
बेलेन लिखती हैं, “नसरल्लाह पूरी दुनिया में आतंक के लिए कितना ज़िम्मेदार था,
इसका पता लगाने में नाकाम रहने के लिए एक पर्यवेक्षक को माफ़ किया जा सकता है, लेकिन वो उनमें से नहीं था जो बीते एक साल से ग़ज़ा पट्टी में जनसंहार कर रहा है. न ही वो था जिसने एक हफ़्ते से भी कम समय में लेबनान में 700 से अधिक लोगों को मार डाला.”
“इसराइल इन सबके लिए श्रेय ले सकता है कि उसने नसरल्लाह को मारने के लिए रिहाइशी इमारतों और उसमें रह रहे बेगुनाह लोगों को मार डाला. यह ‘दुनिया को आतंकित करने’ का सबसे अच्छा उदाहरण है.”
“इसराइल नसरल्लाह को मारने की मार्केटिंग कर रहा है और कह रहा है कि ये संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, तब इतिहास पर एक संक्षिप्त नज़र डालने से पता चलता है कि इस तरह की हत्याएं प्रतिरोध को जड़ से ख़त्म करने में कोई मदद नहीं करती हैं बल्कि इसके बजाय उसे और बढ़ाती हैं.”