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Delhi Pollution Grap कितना कारगर है ग्रैप?

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Delhi Pollution Grap: पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, विभिन्न वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत कार्यान्वयन के लिए ‘ग्रैप’ तैयार किया गया है। ग्रैप को दिल्ली एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता के स्तर के आधार पर चार अलग-अलग चरण में लागू किया जाता है। अभी यहां ग्रैप का पहला चरण लागू है।

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है। प्रदूषण के कारण दिल्ली एनसीआर में धुंध दिखाई देने लगी है। शनिवार को दिल्ली के अक्षरधाम और आसपास के इलाकों में एक्यूआई 334 तक पहुंच गया है।

इससे पहले शुक्रवार को राजधानी में सामग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 293 दर्ज किया गया, जिसे ‘खराब’ श्रेणी जाना जाता है। उधर यमुना नदी में जहरीली झाग दिखाई दी है। कालिंदी कुंज में यमुना नदी के पानी के ऊपर झाग की परत दिख रही है।

राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न भागों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप)-1 के दिशा-निर्देशों के तहत धूल के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया गया। प्रदूषण का स्तर और भी खराब होने की आशंका के चलते ग्रैप-2 की पाबंदियां भी लग सकती हैं।

आइये जानते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति क्या है? इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? दिल्ली में ग्रैप का कौन सा चरण लागू है? क्या होता है ग्रैप? इसमें कब-कौन सी पाबंदियां लागू होती हैं? ग्रैप को लागू कौन करता है? 

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति क्या है?

दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। दिल्लीवासियों को शनिवार को लगातार छठे दिन ‘खराब’ वायु गुणवत्ता का सामना करना पड़ा। यहां के कई इलाकों में एक्यूआई 300 के पार चला गया है। शनिवार को अक्षरधाम इलाके में सुबह आठ बजे एक्यूआई गिरकर 334 पर आ गया, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है। इसी समय इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में एक्यूआई 251, आईटीओ में 226 और भीकाजी कामा प्लेस में 273 दर्ज किया गया जो खराब श्रेणी की वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।

इससे एक दिन पहले भी प्रदूषण का स्तर दिल्ली के कई इलाकों में 300 के पार दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार (सीपीसीबी), गुरुवार को शहर भर में 13 निगरानी स्टेशनों पर संकेतक ‘लाल क्षेत्र’ में थे, जबकि एक दिन पहले यह संख्या दो थी। गुरुवार को अशोक विहार, द्वारका सेक्टर 8, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, रोहिणी, बवाना, बुराड़ी, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, ओखला फेज 2, शादीपुर और विवेक विहार में रीडिंग 300 से ऊपर दर्ज की गई थी।

सीपीसीबी के मुताबिक, जब एक्यूआई ‘खराब’ श्रेणी में होता है, तो लंबे समय तक संपर्क में रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। वहीं ‘बहुत खराब’ श्रेणी में होने पर लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस से जुड़ी बीमारी हो सकती है।

प्रदूषण को रोकने के लिए क्या निर्णय लिया गया है?

वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए राजधानी में बीते मंगलवार से ही ग्रैप-1 लागू है। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को ग्रैप-1 के तहत उपायों के सख्त कार्यान्वयन की घोषणा की थी। यह घोषणा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद हुई, जिसमें पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, धूल नियंत्रण के लिए 99 टीमें निर्माण स्थलों का निरीक्षण करेंगी। पीडब्ल्यूडी 200 एंटी-स्मॉग गन, एमसीडी 30, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) 14 और दिल्ली मेट्रो 80 तैनात करेंगे। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस यातायात प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त कर्मियों को तैनात करेगी और जरूरत पड़ने पर होमगार्ड तैयार रहेंगे।

क्या होता है ग्रैप फार्मूला? 

पिछले कुछ वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 2 दिसंबर 2016 में एमसी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, विभिन्न वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत कार्यान्वयन के लिए ग्रैप तैयार किया गया है।

ग्रैप को दिल्ली एनसीआर में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता के चार अलग-अलग चरण के हिसाब से बांटा गया गया है। ग्रैप का चरण-l उस वक्त लागू होता है, जब दिल्ली में AQI का स्तर 201-300 के बीच होता है। मौजूदा समय में दिल्ली में ग्रैप का चरण-l ही प्रभावी है। ग्रैप का दूसरा चरण उस परिस्थिति में प्रभावी होता है, जब राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 301-400 के बीच ‘बहुत खराब’ मापा जाता है।

चरण III ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता के बीच लागू किया जाता है। इस वक्त दिल्ली में एक्यूआई 401-450 के बीच होता है। वहीं ग्रैप कार्य योजना का अंतिम और चरण IV ‘गंभीर +’ वायु गुणवत्ता की परिस्थिति में लागू किया जाता है। चौथे चरण को लागू करने के लिए दिल्ली में AQI स्तर 450 से ज्यादा होना चाहिए। दूसरे और तीसरे चरण की तरह चरण IV के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 450 के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले ही शुरू की जाती है।

 

ग्रैप को लागू कौन करता है? 

ग्रैप पर बनाई गई उप-समिति अग्रिम कार्रवाई की योजना बनाने के लिए समय-समय पर बैठक करती है। इसके साथ है उप-समिति मौजूदा वायु गुणवत्ता और एक्यूआई पूर्वानुमान के आधार पर के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक आदेश जारी करती है।

उप-समिति ग्रैप के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाइयों की भी समीक्षा करती है। एनसीआर में आने वाले राज्यों और दिल्ली के मुख्य सचिव अक्सर ग्रैप के कार्यों और कार्यान्वयन की समीक्षा करेंगे, खासकर जब हवा की गुणवत्ता गिरती है या ‘गंभीर’ या ‘गंभीर +’ श्रेणी में गिरने की आशंका होती है।

अभी दिल्ली में ग्रैप की कौन सी पाबंदियां लागू हैं?

ग्रैप के पहले चरण में खासतौर पर ऐसे उपाय किए जाते हैं, जो सर्दी के मौसम में प्रदूषण रोकने में कारगर हों। इनमें निर्माण स्थलों पर धूल खत्म करने के लिए पानी का छिड़काव, सड़कों की नियमित सफाई, बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों की सख्त जांच, बेहतर यातायात प्रबंधन के साथ ही उद्योग, बिजली संयंत्रों और ईंट-भट्टा, हॉट मिक्स प्लांट से उत्सर्जन को नियंत्रित करना शामिल है। दिल्ली सरकार एक जनवरी तक पटाखे जलाने, रखने और बनाने पर पहले ही रोक लगा चुकी है।
इसके अलावा, पूर्वी और पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेसवे से दिल्ली के लिए ट्रक यातायात के डायवर्जन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू हैं। थर्मल पावर प्लांट में उत्सर्जन मानदंड लागू लिए गए हैं। औद्योगिक और गैर विकास के क्षेत्र में औद्योगिक कचरे का प्रतिदिन उठाव किया जा रहा है। नियमों को नहीं मानने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी बात कही गई है।

कितना कारगर है ग्रैप?

वायु प्रदूषण के स्तर में अचानक वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर के लिए ग्रैप तैयार किया गया था। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, हाल के वर्षों में वायु गुणवत्ता में किए गए कार्यों और सुधार के आधार पर सीपीसीबी ने ग्रैप के तहत सूचीबद्ध कार्यों की व्यापक समीक्षा की थी। सीपीसीबी द्वारा दिए गए इनपुट के आधार पर, संशोधित ग्रैप को एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में लागू किया जाता है। मंत्रालय के अनुसार, 2023 में सभी हितधारकों के निरंतर और ठोस प्रयासों ने पिछले कुछ वर्षों की तुलना में दिल्ली में सामान्य वायु गुणवत्ता मापदंडों को बेहतर बनाने में मदद की है।

दिल्ली में साल-दर-साल प्रदूषण की स्थिति कैसी रही है?

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, पूरे वर्ष 2023 के दौरान दिल्ली का औसत दैनिक एक्यूआई 2018 के बाद से अब तक सबसे अच्छा था। 2020 को छोड़कर 2023 में चार महीने (मार्च, अप्रैल, जून और जुलाई) सबसे अच्छे दैनिक औसत एक्यूआई वाले रहे। वहीं तीन महीने (जनवरी, फरवरी और मई) 2018 से 2023 की पूरी अवधि के दौरान दूसरे सबसे अच्छे दैनिक औसत एक्यूआई के साथ देखे गए।

Hind News Tv
Author: Hind News Tv

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