इस आशंका को देखते हुए देश के तीसरे बड़े शहर होम्स से हज़ारों लोगों का पलायन शुरू हो चुका है.
विद्रोहियों ने गुरुवार को हमा पर क़ब्ज़ा कर लिया था. पिछले सप्ताह एक और अहम शहर एलेप्पो पर भी उनका क़ब्ज़ा हो चुका है.
हमा पर नियंत्रण राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए दूसरा बड़ा झटका है.
2011 से सीरिया में एक दशक के युद्ध के बाद भी राष्ट्रपति बशर अल-असद का शासन कायम रहा था क्योंकि उन्होंने इसकी तैयारी की थी और अपने पिता से बहुत कुछ सीखा था
बशर अल-असद को अपनी सत्ता बचाने में कामयाबी इसलिए भी मिली थी क्योंकि उन्हें ताक़तवर सहयोगी ईरान, रूस और लेबनानी हिज़्बुल्लाह से मदद मिली थी.
इन सहयोगियों ने सीरिया में विद्रोही समूहों के ख़िलाफ़ बशर अल-असद की मदद की थी. सीरिया में विद्रोही समूह जिहादी अतिवादी इस्लामिक स्टेट से लेकर कई अन्य हथियारबंद समूह थे, जिन्हें अमेरिका और खाड़ी के अमीर शाही सरकारों से मदद मिल रही थी.
अभी इसराइल से तनातनी के कारण ईरान की हालत कमज़ोर है. ज़ाहिर है कि इसराइल के साथ अमेरिका भी खड़ा है. ईरान का सहयोगी हिज़्बुल्लाह भी बशर अल-असद को बचाने के लिए अपने लड़ाकों को भेजता था लेकिन इसराइली हमले में हिज़्बुल्लाह भी ताक़त खो चुका है.
रूस ने पिछले कुछ दिनों में बशर अल-असद के समर्थन में सीरिया में विद्रोही गुटों के ख़िलाफ़ हवाई हमला किया है लेकिन रूस की भी यूक्रेन से जंग के कारण सैन्य क्षमता पहले की तरह नहीं है.
इस्लामी चरमपंथी समूह हयात तहरीर अल- शम (एचटीएस) के नेता अबू मोहम्मद जवलानी ने होम्स के लोगों से कहा, ”अब आपका वक़्त आ चुका है.”
एक वीडियो में जवलानी ये कहते देखे जा रहे हैं कि उनके लड़ाके हमा में घुस चुके हैं.
जवलानी वीडियो में कह रहे हैं, ”मैं अल्लाह से कह रहा हूँ कि ये एक ऐसी जीत होगी, जिसमें कोई बदला नहीं लिया जाएगा.”
जवलानी 1982 में इस शहर में हुई, उस घटना का ज़िक्र कर रहे थे, जब सीरिया के राष्ट्रपति रहे हफ़ीज़ अल-असद ने इस्लामी विद्रोहियों को काबू में करने के लिए टैंक और तोप भेजे थे.
इस अभियान में बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई थी.