Share Market: Foreigners are in a state of flux as soon as Fadnavis’s government arrives

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नई दिल्ली. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. महायुति गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ होने के बाद विदेशी निवेशकों ने अपनी चाल भी बदल ली है. अक्टूबर और नवबंर में बेच-बेचकर भाग रहे निवेशकों ने एक महीने की कसर तो दिसंबर के पहले चार ट्रेडिंग सेशनों में ही पूरी कर दी. इस फ्रेश बाइंग से भारतीय शेयर बाजार में नया जोश देखने को मिला है. सेंसेक्स और निफ्टी ने लगातार 5 कारोबारी सेशन में मजबूती दर्ज की.

बता दें कि अक्टूबर और नवंबर के महीनों में 1.1 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) दिसंबर में भारतीय शेयर बाजार में वापस लौटते दिखाई दे रहे हैं. दिसंबर के शुरुआती चार कारोबारी दिनों में ही FIIs ने 23,500 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर खरीदे हैं. खास बात यह है कि यह रकम नवंबर में उनकी कुल बिक्री से भी अधिक है.

NSDL के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर की शुरुआत से FIIs ने 14,964 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके साथ ही NSE के प्रोविजनल आंकड़ों से पता चलता है कि 5 दिसंबर को ही FIIs ने 8,539 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे कुल खरीदारी 23,503 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.

आरबीआई से बड़ी उम्मीद, मगर…

विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया खरीदारी का मुख्य कारण शेयरों के दामों में हुई गिरावट के बाद आकर्षक वैल्यूएशन है. इसके साथ ही, यह उम्मीद जताई जा रही थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) जल्द ही ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. एक्सपर्ट मानकर चल रहे थे कि अगर ब्याज दरें घटती हैं, तो अगले 6-8 तिमाहियों में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर और तेज हो सकती है. हालांकि आज की पॉलिसी में हालांकि रेपो रेट में कटौती नहीं हुई, मगर कैश रिजर्व रेश्यो को घटाकर बैंकों के हाथ में बड़ी पूंजी देने का काम किया है.

अमेरिका के भारत-प्रेम का भी असर!

इसके अलावा, सरकार द्वारा बजट आवंटन और बुनियादी ढांचे पर बढ़ाया खर्च भी FIIs के निवेश का एक बड़ा कारण है. वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में इन प्रयासों से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है. वहीं, वैश्विक स्तर पर अमेरिका की नई नीतियों (विशेष रूप से भारत की ओर झुकाव ने) भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है.

डीआर चोक्सी फिनसर्व के मैनेजिंग डायरेक्टर, देवन चोक्सी का कहना है, “मुझे विश्वास है कि भारत आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा, और यह वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करता रहेगा. जब तक शेयरों की कीमतें उचित रहेंगी, FIIs का निवेश जारी रहने की संभावना है. हाल ही में FIIs ने बड़े और ब्लू-चिप स्टॉक्स पर ध्यान केंद्रित किया है, और मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों से दूरी बनाई है.”

कहां पैसा डाला बड़े निवेशकों ने?

अक्टूबर में, FIIs ने 87,590 करोड़ रुपयों के शेयर बेचे, और नवंबर में 22,602 करोड़ की अतिरिक्त बिकवाली की. हालांकि, नवंबर के दूसरे हिस्से में यह बिक्री रुकने लगी और इस महीने FIIs नेट बायर बने. हालांकि आंकड़ा 808 करोड़ रुपये का ही था.

NSDL के आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल सर्विसेज (₹9,597 करोड़), आईटी (₹2,429 करोड़), और एफएमसीजी (₹2,184 करोड़) जैसे क्षेत्रों में FIIs ने सबसे अधिक निवेश किया. इसके अलावा, रियल एस्टेट (₹1,367 करोड़), कैपिटल गुड्स (₹681 करोड़), कंज्यूमर गुड्स (₹471 करोड़), और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (₹426 करोड़) जैसे क्षेत्रों में भी निवेश हुआ.

अक्टूबर और नवंबर में भारी बिकवाली के पीछे कई कारण थे. मुख्य रूप से, सितंबर के अंत में चीन में प्रोत्साहन आधारित तेजी के चलते फंड वहां शिफ्ट हो गए. इसके अलावा, भारत में दूसरी तिमाही के कमजोर कॉरपोरेट नतीजों ने निवेशकों को निराश किया. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, “अमेरिका फर्स्ट” नीतियों और टैक्स कटौती की उम्मीदों ने निवेशकों का ध्यान अमेरिका की ओर खींचा.

Hind News Tv
Author: Hind News Tv

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