One Nation-One Election 32 दलों ने किया समर्थन

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राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस आप बसपा और माकपा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया जबकि भाजपा और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया। कोविद समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 47 राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। सपा ने कहा कि अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो राज्य स्तरीय दल चुनावी रणनीति और खर्च के मामले में राष्ट्रीय दलों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।

पीटीआई, नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव पर उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता करने वाले पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कहना है कि परामर्श प्रक्रिया के दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने विरोध जताया। कोविंद ने पांच अक्टूबर को सातवें लालबहादुर शास्त्री स्मारक व्याख्यान में कहा था कि इन 15 दलों में से कई ने अतीत में कभी न कभी एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया था।

कांग्रेस, आप, बसपा और माकपा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया

राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आप, बसपा और माकपा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भाजपा और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया। कोविद समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, 47 राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। 15 राजनीतिक दलों को छोड़कर शेष 32 पार्टियों ने न केवल एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का समर्थन किया, बल्कि दुर्लभ संसाधनों को बचाने, सामाजिक सद्भाव की रक्षा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अपनाने की वकालत भी की। 

विरोध करने वाले दलों ने जताई ये आशंका

एक साथ चुनाव कराने का विरोध करने वाले दलों ने आशंका जताई कि इसे अपनाने से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन हो सकता है, यह लोकतंत्र विरोधी और संघीय व्यवस्था के विरुद्ध हो सकता है, क्षेत्रीय दलों को हाशिये पर डाल सकता है, राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को बढ़ावा दे सकता है और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार बन सकती है।

कांग्रेस, आप और माकपा ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करता है। बसपा ने इसका स्पष्ट रूप से विरोध नहीं किया, लेकिन देश के क्षेत्रीय विस्तार और जनसंख्या के बारे में चिंताओं को उजागर किया, जो इस विधेयक के कार्यान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना सकता है। 

इन पार्टियों ने किया विरोध और समर्थन

सपा ने कहा कि अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो राज्य स्तरीय दल चुनावी रणनीति और खर्च के मामले में राष्ट्रीय दलों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे, जिससे इन दलों के बीच मतभेद बढ़ जाएगा। राज्य स्तरीय पार्टियों में एआइयूडीएफ, तृणमूल कांग्रेस, एआइएमआइएम, भाकपा, द्रमुक, नगा पीपुल्स फ्रंट और सपा ने प्रस्ताव का विरोध किया। दूसरी तरफ, अन्नाद्रमुक, आजसू, अपना दल (सोने लाल), असम गण परिषद, बीजद, लोजपा (आर), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जदयू, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया।

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Author: Hind News Tv

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