राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस आप बसपा और माकपा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया जबकि भाजपा और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया। कोविद समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 47 राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। सपा ने कहा कि अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो राज्य स्तरीय दल चुनावी रणनीति और खर्च के मामले में राष्ट्रीय दलों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
विरोध करने वाले दलों ने जताई ये आशंका
एक साथ चुनाव कराने का विरोध करने वाले दलों ने आशंका जताई कि इसे अपनाने से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन हो सकता है, यह लोकतंत्र विरोधी और संघीय व्यवस्था के विरुद्ध हो सकता है, क्षेत्रीय दलों को हाशिये पर डाल सकता है, राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को बढ़ावा दे सकता है और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार बन सकती है।
इन पार्टियों ने किया विरोध और समर्थन
सपा ने कहा कि अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो राज्य स्तरीय दल चुनावी रणनीति और खर्च के मामले में राष्ट्रीय दलों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे, जिससे इन दलों के बीच मतभेद बढ़ जाएगा। राज्य स्तरीय पार्टियों में एआइयूडीएफ, तृणमूल कांग्रेस, एआइएमआइएम, भाकपा, द्रमुक, नगा पीपुल्स फ्रंट और सपा ने प्रस्ताव का विरोध किया। दूसरी तरफ, अन्नाद्रमुक, आजसू, अपना दल (सोने लाल), असम गण परिषद, बीजद, लोजपा (आर), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जदयू, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया।