अमित शाह का बयान ‘ये लड़ाई आंबेडकर के लिए नहीं है’

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संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को ख़त्म हो गया. सत्र के आख़िरी दिनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संविधान पर बहस के दौरान आंबेडकर पर दिया गया बयान लगातार सुर्ख़ियों में है.

इस मुद्दे पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमित शाह से इस्तीफ़े की मांग की.

वहीं, बीजेपी ने संसद में गुरुवार को राहुल गांधी पर धक्का-मुक्की का आरोप लगाया और उनके ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

इन सब के बीच राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिका में भारतीय कारोबारी गौतम अदानी पर हुए केस के बारे में चर्चा से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी ये सब कर रही है.

बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस मौके़ को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें वो कितने कामयाब हुए, जानते हैं इस घटनाक्रम पर नज़र रखने वाले राजनीतिक विशेषज्ञों से.

‘विचार और विरासत की लड़ाई’

संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ. संविधान को स्वीकार करने के 75 वर्ष पूरे होने पर संसद में संविधान पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में लंबा भाषण दिया था.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संविधान के 75 वर्ष पूरे होना न केवल गर्व का क्षण है बल्कि ये लोकतंत्र की मज़बूती का भी प्रतीक है.

उन्होंने भाषण के दौरान पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर अपने फ़ायदे के लिए संविधान में संशोधन का आरोप लगाया था.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना और अदानी का मुद्दा भाषण में उठाया था.

जानकारों का ऐसा कहना था कि लोकसभा में संविधान पर बहस का इस्तेमाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही बस एक-दूसरे पर आरोप लगाने के लिए किये, इससे कुछ सार्थक निकलना मुश्किल है. उनका कहना था कि इस पर व्यापक बहस राज्य सभा में देखने को मिल सकती है.

राज्य सभा में सोमवार को इस पर बहस शुरू हुई और दूसरे दिन अमित शाह के लंबे भाषण के एक अंश पर विवाद हो गया.

अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने कहा था, “अभी एक फ़ैशन हो गया है.. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.”

इस पर विवाद इतना बढ़ा कि अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए एक्स पर लिखा कि कांग्रेस ने हमेशा आंबेडकर का अपमान किया है.

अमित शाह के बयान पर कई विपक्षी दलों के साथ कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई. बीजेपी और कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने हैं, दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर आंबेडकर विरोधी होने का आरोप लगा रही हैं.

इस पर राजनीतिक विश्लेषक विजय त्रिवेदी कहते हैं, “ये लड़ाई धक्का मुक्की की नहीं है, ये लड़ाई आंबेडकर की भी नहीं है. ये लड़ाई विचार और विरासत की लड़ाई है और आंबेडकर के मुद्दे पर दोनों लड़ाई एक साथ चल रही है. विचार की लड़ाई ये चल रही है कि आंबेडकर के विचार के साथ कौन खड़ा है और विरासत की लड़ाई ये चल रही है कि आंबेडकर किसके हैं.”

वो कहते हैं, “ये दलित वोट बैंक और मंडल 2 की राजनीति चल रही है और मंडल 2 की खींचतान का असर हमें संसद में दिखाई दे रहा है. अगर आप अमित शाह के पूरे बयान को देखेंगे तो वहां वो कांग्रेस पर ही तंज़ कस रहे हैं, क्योंकि वहां पर बात तो नहीं ख़त्म हुई थी.”

अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि ये सिर्फ़ दिखावे के लिए आंबेडकर का नाम लेते हैं.

‘ये लड़ाई आंबेडकर के लिए नहीं है’

विजय त्रिवेदी कहते हैं कि ये लड़ाई यहां तक कि आंबेडकर के लिए भी नहीं है, ये लड़ाई दलित वोट बैंक की है. बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव में इसका असर देखा है और इसको लेकर वो बेहद सतर्क हैं.

सीएसडीएस के आंकड़े के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के मुक़ाबले 2024 में 3% दलित वोट गंवाए. बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने 2% समर्थन गंवाया. राज्य स्तर के आंकड़ों में यूपी में दलितों के बीच भाजपा के समर्थन आधार में भारी कमी आई है और कुछ अन्य राज्यों में मामूली नुक़सान हुआ है.

इस आंकड़े में ये भी कहा गया था कि कांग्रेस ने पिछले पांच सालों में 1% दलित समर्थन खोया है.

इन आंकड़ों की बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रचना सरन कहती हैं, “इसमें माना ये जा रहा है कि दलित वोट बैंक जब मायावती से छिटका तो पिछले लोकसभा चुनाव में इसका कुछ फ़ायदा बीजेपी को हुआ था. लेकिन इस बार (2024) कांग्रेस-सपा गठबंधन को फ़ायदा हुआ. ये वोट बैंक स्थायी तौर पर विपक्ष की तरफ़ न शिफ़्ट कर जाए. इसलिए ये कवायद हो रही है क्योंकि पूर्व में ये वोट बैंक कांग्रेस के ही पास था.”

राजनीतिक विश्लेषक विजय त्रिवेदी कहते हैं, “यही वोट बैंक है जिसकी वजह से दोनों ही पार्टी इस मुद्दे को अपने पक्ष में साधने की कोशिश करती दिखी हैं, और कांग्रेस एक हद तक इस बार इसे अपने हक़ में करने में कामयाब रही लेकिन बीजेपी बृहस्पतिवार को इस मुद्दे को पीछे धकेलने में सफल होती दिखी और पूरी बातचीत मीडिया में धक्का मुक्की को लेकर होने लगी. “

बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने उनके साथ धक्का मुक्की की. बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज और अनुराग ठाकुर ने बताया है कि राहुल गांधी के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है.

वहीं, राहुल गांधी के मुताबिक़ बीजेपी सांसदों ने उनके और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ धक्का-मुक्की की. इसी वजह से हंगामा हुआ.

इस पूरे मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अदिति फडनीस कहती हैं कि लंबे समय से ये दोनों पार्टियां कोई ऐसा मुद्दा खोज रही थीं, जिस पर ये एक-दूसरे को घेर सकें. फिलहाल कांग्रेस को वो मुद्दा मिल गया है.

वो कहती हैं, “बीजेपी कांग्रेस पर धक्का-मुक्की के मुद्दे के साथ हावी होने की कोशिश कर रही है. लेकिन कांग्रेस के लोग याद दिला रहे हैं कि मामला मूलत: बीजेपी द्वारा आंबेडकर के अपमान का है. वो (कांग्रेस के नेता) डटे हुए हैं कि असल में यही मुद्दा है और ये भूलना नहीं चाहिए. बाकी जो हो रहा है, वो ध्यान भटकाने के लिए है.”

क्या इस प्रदर्शन से इंडिया ब्लॉक की एकजुटता बढ़ेगी?

पिछले दिनों एक के बाद एक ऐसी ख़बरें आती रहीं, जिससे ये संकेत मिलता रहा कि इंडिया गठबंधन में अंदरूनी तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं.

दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन की अगुआई करने की ख़्वाहिश जताई थी. इसके बाद समाजवादी पार्टी, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने इस मुद्दे पर ममता बनर्जी का समर्थन किया.

आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भी कहा था, ”ममता को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व दे देना चाहिए. हम लोग उनका समर्थन करेंगे.”

अदिति फडनीस कहती हैं कि इस घटना से गठबंधन के सहयोगी फिर से एकजुट हुए हैं. कई विपक्षी दलों ने संसद परिसर में अमित शाह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.

वो कहती हैं, “निश्चित तौर पर आज जो भी प्रदर्शन हुआ, उसमें सपा की लाल टोपी, आम आदमी पार्टी के लोग भी वहां थे. एनसीपी से लेकर जेएमएम, आरजेडी और तृणमूल कांग्रेस सब ने इस मुद्दे पर एक स्टैंड लिया है. आपसी मनमुटाव इस मुद्दे के बाद पृष्ठभूमि में चला गया, ये नया मुद्दा मिल गया है विपक्षी एकता के लिए.”

राजनीतिक विश्लेषक विजय त्रिवेदी कहते हैं, “इस बहस के केंद्र में राहुल गांधी भी रहे और इसको ऐसे देखा जा सकता है कि क्या राहुल गांधी एक ताक़तवर नेता के तौर पर उभर कर आ रहे हैं और बीजेपी उसका जवाब ढूंढने की कोशिश कर रही है?”

वरिष्ठ पत्रकार रचना सरन कहती हैं कि विपक्ष इस मुद्दे का लाभ उठाने की कोशिश में है लेकिन बीजेपी जल्द से जल्द इसे ख़त्म करना चाहेगी.

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Author: Hind News Tv

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