हाथों में तख्तियां, विरोध प्रदर्शन और कथित धक्का-मुक्की. यह नज़ारा गुरुवार को संसद परिसर में देखने को मिला.
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता आमने-सामने थे. इस दौरान बीजेपी ने अपने दो सासंदों के ‘घायल’ होने की बात कही है.
नगालैंड से बीजेपी की राज्यसभा सांसद फान्गनॉन कोन्याक ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी उनके ‘क़रीब आ गए थे’ और वह असहज हो गई थीं.
राहुल गांधी के मुताबिक़, बीजेपी सांसदों ने उनके और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ धक्का-मुक्की की. इसी वजह से वहां हंगामा हुआ.
पूरे मामले में बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर, बांसुरी स्वराज और हिमांग जोशी ने पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, पुलिस ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109, 115, 125 131 और 351 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएमएल अस्पताल ले जाए गए दोनों सांसदों को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली.
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान प्रताप सारंगी का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा. एक वीडियो में प्रताप सारंगी व्हीलचेयर पर बैठे दिख रहे हैं और उनका सिर रुमाल से ढंका है.
ओडिशा के बालासोर से बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी ने घटना के बारे में दावा किया, ”मैं सीढ़ियों पर था. उस समय राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का मारा और वह मुझ पर गिर पड़े. इससे मुझे चोट लग गई.”
69 साल के प्रताप सारंगी ने राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार सुर्खियां तब बटोरीं, जब साल 2019 में उन्हें मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. इस दौरान उनके कथित सादगीपूर्ण जीवन और साइकिल से चुनाव प्रचार भी चर्चा में आया था.
लेकिन सारंगी का अतीत काफ़ी विवादित रहा है.
साल 1999 में ओडिशा के क्योंझर में ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों की हत्या हुई थी. इस हत्या का आरोप बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लगा था.
तब प्रताप सारंगी बजरंग दल की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे. मामले में सारंगी गवाह बने थे और उन्होंने कहा था कि मुख्य अभियुक्त दारा सिंह का बजरंग दल से कोई संबंध नहीं है.
लंबे समय तक ट्रायल के बाद 2003 में दारा सिंह और 12 अन्य लोगों को दोषी ठहाराया गया था.
साल 2002 में ओडिशा पुलिस ने सारंगी को दंगा, आगजनी, हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. उस समय बजरंग दल सहित हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने ओडिशा विधानसभा पर हमला किया था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बालासोर सीट से सारंगी ने दो बड़े नामों को हराया था. तत्कालीन बीजू जनता दल के सांसद रबिन्द्र कुमार जेना और नवज्योति पटनायक, जो तब के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक के बेटे हैं.
पांच साल बाद 2024 में प्रताप सारंगी ने जीत का अंतर बढ़ाया और पिछली बार के 12 हज़ार 956 मतों की तुलना में मार्जिन लगभग 1.5 लाख वोट का रहा. इस चुनाव में उन्होंने अपनी पूर्व सहयोगी और बीजेडी उम्मीदवार लेखाश्री सामंतसिंघर को हराया.
सांसद बनने से पहले सारंगी दो बार विधायक भी रह चुके हैं. दोनों बार सारंगी नीलगिरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. 2004 में वो बीजेपी के टिकट पर जीते थे और 2009 में निर्दलीय.
55 साल के मुकेश राजपूत उत्तर प्रदेश की फ़र्रुख़ाबाद लोकसभा सीट से तीन बार के सांसद हैं. लोध जाति से आने वाले मुकेश 2014 से यहां से सांसद हैं लेकिन 2024 में उनकी जीत का अंतर सिर्फ़ 2 हज़ार 678 वोट का था.
उन्हें ‘इंडिया’ गठबंधन से सपा प्रत्याशी नवल किशोर शाक्य से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था.
राजनीति में मुकेश राजपूत को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने आगे बढ़ाया था. 2009 में जब कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ी तो मुकेश ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद कल्याण सिंह की जन क्रांति पार्टी में मुकेश को यूपी का उपाध्यक्ष बनाया गया था.
साल 2014 में फ़र्रुख़ाबाद में मुकेश के सामने कांग्रेस के सलमान ख़ुर्शीद और समाजवादी पार्टी के रामेश्वर सिंह यादव की चुनौती थी. मुकेश ने तब 41 फ़ीसदी वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की थी.
सांसद बनने से पहले मुकेश साल 2000 से 2012 के बीच फ़र्रुख़ाबाद में दो बार ज़िला पंचायत अध्यक्ष रहे थे.
चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे के मुताबिक़, उन पर कोई आपराधिक मुक़दमा दर्ज नहीं है और उनके पास लगभग 10 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति है.
साल 2022 में एस. फान्गनॉन कोन्याक नगालैंड से राज्यसभा की पहली महिला सांसद चुनी गई थीं और संसद के किसी भी सदन में पहुंचने वाली नगालैंड की दूसरी महिला थीं.
कोन्याक ने ‘धक्का-मुक्की’ मामले में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा है.
कोन्याक ने पत्र में दावा किया कि वह शांतिपूर्वक विरोध कर रही थीं, तभी अचानक राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस सदस्य उनके सामने आ गए, जबकि उनके लिए अलग से रास्ता बनाया गया था.
पत्र में लिखा है, “उन्होंने ऊंची आवाज़ में मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और मेरे इतने करीब थे कि एक महिला सदस्य होने के नाते मुझे असहज महसूस हुआ. मैं भारी मन से एक तरफ़ हट गई, लेकिन मुझे लगा कि किसी भी सांसद को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए.”
बीते साल जुलाई में उन्हें राज्यसभा के उप-सभापति पैनल में जगह मिली थी और कुछ दिन बाद उन्हें संसद के उच्च सदन की अध्यक्षता करने का मौक़ा मिला था. ऐसा करने वाली वह नगालैंड की पहिला महिला बनी थीं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने वालीं कोन्याक नगालैंड में बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं.