अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगा दी है. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने अमेरिका में बीबीसी के सहयोगी सीबीएस न्यूज़ से इसकी पुष्टि की है.
अधिकारी ने कहा, “हम अपनी सहायता रोक रहे हैं और इसकी समीक्षा कर रहे हैं, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि इससे समस्या के समाधान में मदद मिल रही है.”
अमेरिका का ये कदम कुछ दिन पहले ही व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ हुई तीखी बहस के बाद सामने आया है.
रूस ने तीन साल पहले जबसे यूक्रेन में जंग छेड़ी है, तबसे अमेरिका यूक्रेन को हथियार मुहैया कराने वाला सबसे बड़ा देश था.
“हम सहायता को रोक के इसकी समीक्षा कर रहे हैं ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि ये समाधान में मदद कर रहा है.”
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस पूरे मामले पर बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप इस समय दुनिया के एकमात्र ऐसे नेता है, जिनके पास यूक्रेन में युद्ध को स्थायी रूप से ख़त्म करने का मौका है. हम रूस को बातचीत की टेबल पर लाना चाहते हैं. हम ये पता लगाना चाहते हैं कि क्या यहां शांति संभव है.”
इससे पहले सोमवार को ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वो ज़ेलेंस्की के विद्रोही रवैये को अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि यूक्रेनी नेता को अमेरिकी समर्थन के प्रति अधिक आभारी होना चाहिए.
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “रूस के साथ संघर्षविराम समझौते के बिना ज़ेलेंस्की लंबे समय तक सत्ता में नहीं टिक पाएंगे.”
हालांकि, इस दौरान जब ट्रंप से यूक्रेन की सैन्य सहायता पर रोक से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “इस बारे में बात नहीं की है. देखते हैं क्या होता है.”
लेकिन इसके कुछ ही देर बाद यूक्रेन की सैन्य सहायता पर रोक की बात सामने आ गई. सबसे पहले ब्लूमबर्ग ने ये ख़बर दी.
ब्लूमबर्ग ने बताया कि वे सारे सैन्य साजोसामान जो यूक्रेन नहीं पहुंचे हैं, उनपर रोक लगेगी. इनमें पोलैंड के डिपो में रखे और जो हथियार यूक्रेन पहुंचने के रास्ते में हैं, उन सब पर पाबंदी होगी.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ये रोक तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है और इससे यूक्रेन को भेजे जाने वाले करोड़ों डॉलर के हथियार प्रभावित होंगे.
दूसरी ओर ज़ेलेंस्की ने सोमवार को कहा कि वो युद्ध को ‘जल्द से जल्द’ खत्म करना चाहते हैं.
इससे पहले बीते शनिवार को ज़ेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस में हुई बहस के दौरान एक मौके पर ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति से ये कहा कि वो तीसरे विश्वयुद्ध का जुआ खेल रहे हैं.
यूक्रेन को अमेरिका से कितनी और कैसी मदद मिलती है?

जंग में यूक्रेन को मिल रही अमेरिकी सैन्य मदद तीन ज़रियों से पहुंचती हैं.
पहला तो सीधे राष्ट्रपति पद से दी जाने वाली राशि. दूसरा विदेश मंत्रालय के फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंस (एफ़एमएफ़) के ज़रिए और तीसरा यूक्रेन सिक्योरिटी असिस्टेंट इनिशिएटिव (यूएसएआई) के ज़रिए.
- सीधे राष्ट्रपति की ओर से मिलने वाली फंडिंग यानी प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाउन अथॉरिटी अमेरिकी सेना को यूक्रेन को आपूर्ति भेजने के लिए खुद के भंडार से पैसे निकालने की अनुमति देता है. एक अमेरिकी अधिकारी ने सोमवार को बीबीसी को बताया कि इस फंड में लगभग 3.85 अरब डॉलर शेष हैं. व्हाइट हाउस ये तय करता है इस सहायता को जारी किया जाए या नहीं.
- यूक्रेन के लिए विदेश मंत्रालय की फ़ॉरेन मिलिट्री फ़ाइनेंसिंग (एफ़एमएफ़) के तहत अलग से 1.5 अरब डॉलर हैं, यूक्रेन को अनुदान या सीधे कर्ज़ के तौर पर जारी किए जा सकते हैं. एफ़एमएफ़ की समीक्षा विदेश मंत्री मार्को रुबियो कर रहे हैं.
- वहीं यूएसएआई यूक्रेन को सीधे अमेरिकी निर्माताओं को देने के लिए पैसे देती हैं.
हालांकि, फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि आज की घोषणा इन सहायताओं को कैसे प्रभावित करेगी और आगे चलकर इनका क्या हो सकता है.
जंग में यूक्रेन को मिल रही अमेरिकी सैन्य मदद तीन ज़रियों से पहुंचती हैं.
पहला तो सीधे राष्ट्रपति पद से दी जाने वाली राशि. दूसरा विदेश मंत्रालय के फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंस (एफ़एमएफ़) के ज़रिए और तीसरा यूक्रेन सिक्योरिटी असिस्टेंट इनिशिएटिव (यूएसएआई) के ज़रिए.
- सीधे राष्ट्रपति की ओर से मिलने वाली फंडिंग यानी प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाउन अथॉरिटी अमेरिकी सेना को यूक्रेन को आपूर्ति भेजने के लिए खुद के भंडार से पैसे निकालने की अनुमति देता है. एक अमेरिकी अधिकारी ने सोमवार को बीबीसी को बताया कि इस फंड में लगभग 3.85 अरब डॉलर शेष हैं. व्हाइट हाउस ये तय करता है इस सहायता को जारी किया जाए या नहीं.
- यूक्रेन के लिए विदेश मंत्रालय की फ़ॉरेन मिलिट्री फ़ाइनेंसिंग (एफ़एमएफ़) के तहत अलग से 1.5 अरब डॉलर हैं, यूक्रेन को अनुदान या सीधे कर्ज़ के तौर पर जारी किए जा सकते हैं. एफ़एमएफ़ की समीक्षा विदेश मंत्री मार्को रुबियो कर रहे हैं.
- वहीं यूएसएआई यूक्रेन को सीधे अमेरिकी निर्माताओं को देने के लिए पैसे देती हैं.
हालांकि, फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि आज की घोषणा इन सहायताओं को कैसे प्रभावित करेगी और आगे चलकर इनका क्या हो सकता है.
यूक्रेन के लिए कितने निर्णायक हैं अमेरिकी हथियार
अमेरिकी सरकार की एक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक 20 जनवरी 2025 यानी ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले दिन तक अमेरिका ने यूक्रेन को करीब 6.9 अरब डॉलर की सैन्य सहायता दी है.
इस बयान के अनुसार अमेरका ने अगस्त 2021 से लेकर जनवरी 2025 तक राष्ट्रपति की ओर से दिए जाने वाले फंड को यूक्रेन की सैन्य सहायता के तौर पर 55 बार इस्तेमाल किया है.
ये राशि करीब 27.688 अरब डॉलर है.
वहीं एफएमएफ़ के ज़रिए यूक्रेन को 4.65 अरब जॉलर की मदद मिली है.
अमेरिका ने यूक्रेन को अब तक जो हथियार दिए हैं उनमें हॉक एयर डिफ़ेंस सर्विसेज़, 40 हाई मोबिलिटी रॉकेट सिस्टम्स (हिमार्स),दो सौ 155एमएम होवित्ज़र, सत्तर 105एमएम होवित्ज़र, 31 अरबाम टैंक, 45 टी-72बी टैंक, 20 एमआई हेलीकॉप्टर, दो हार्पून कोस्टल डिफ़ेंस सिस्टम और एंटी शिप मिसाइलें प्रमुख है.
अमेरिका ने इनके अलावा इलेक्ट्रिक उपकरण, चिकित्सकीय साजोसामान, केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल, न्यूक्लियर प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, ठंड से बचने के साजोसामान, हथियारों और अन्य उपकरणों के कलपुर्जे समेत कई अहम मदद यूक्रेन को पहुंचाई है.
हालांकि, अमेरिका ने बीते साल नवंबर में यूक्रेन को रूस के अंदर सीमित हमलों के लिए आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल करने की मंज़ूरी दी थी.
आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम (एटीएसीएमएस) एक सुपरसॉनिक बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है जिसका निर्माण अमेरिकी डिफ़ेंस कंपनी करती है.
अमेरिका समेत कुल 50 देश यूक्रेन को मदद दे रहे हैं.
ट्रंप के फ़ैसले पर अमेरिका में कैसी प्रतिक्रिया
अधिकारियों के मुताबिक, ये विराम तब तक के लिए है, जब तक राष्ट्रपति ट्रंप ये पुख्ता नहीं कर लेते कि यूक्रेन रूस के साथ शांति वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है.
ट्रंप प्रशासन चाहता है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करें और रूस के साथ शांति कायम करें. वो भी उस सुरक्षा गारंटी के आश्वासन के बिना, जो यूक्रेन चाहता है.
बीबीसी की नॉर्थ अमेरिकी संवाददाता नोमिया इक़बाल का कहना है कि ट्रंप के सहयोगी इसकी बजाय “आर्थिक आश्वासन” की बात कर रहे हैं.
नोमिया इक़बाल ट्रंप की कार्रवाइयों की टाइमिंग पर भी बात करती हैं. उनका कहना है, “संभवतः ट्रंप की कार्रवाइयों की टाइमिंग संयोग भर है. ये फैसले कांग्रेस को संबोधित करने से 24 घंटे से भी कम समय पहले आए हैं, जो उनकी (ट्रंप) उपलब्धियों का बखान करने का मौका है.”
यूक्रेन और रूस के बीच शांति समझौता करवाना उनकी चाहत है.
राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के निदेशक रह चुके माइकल कार्पेंटर ने ट्रंप के फ़ैसले तो चौंकाने वाला बताया है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, “मुझे लगता है कि ये आश्चर्यजवक है. इस जंग में एक स्पष्ट आक्रमण करने वाला और एक पीड़ित है. रूस आक्रमण करने वाला और यूक्रेन पीड़ित है. हम ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे स्थिति एकदम उलट हो.”
“मदद को रोकना, जो यूक्रेनियों के लिए अपनी ज़मीन को रूस के क्रूर हमले से बचाने के लिए ज़रूरी था,अमेरिका का ऐसा करना आश्चर्यजनक है.”
टैमी डकवर्थ डेमोक्रैट हैं और वह सेनेट की आर्म्ड सर्विसेज़ कमिटी का हिस्सा हैं. उन्होंने यूक्रेन को मदद रोकने के व्हाइट हाउस के फ़ैसले को “यूक्रेन को शर्मनाक तरीके से अकेला छोड़ने” जैसा बताया है.
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि ये फ़ैसला अमेरिका को सुरक्षित नहीं बनाएगा.
डकवर्थ ने लिखा, “इससे पुतिन और हमारे दुश्मन मज़बूत होंगे जबकि हमारे लोकतांत्रिक सहयोगियों के साथ रिश्ते कमज़ोर पड़ेंगे.”
