Violence in relationships: कोई भी संबंध हमेशा हिंसात्मक नहीं होता और सभी संबंध हिंसात्मक नहीं होते हैं। एक साथी को हिंसात्मक बना देने के बहुत से कारण होते हैं, जिसमें से अधिकांश पुरुष शामिल होते हैं। पुरुष संबंधों में हिंसात्मक होना किसी एक देश से सीमित नहीं है। इस तरह के मामले हर देश और परिसर में देखे जाते हैं। इस स्थिति में सोचने योग्य है कि ऐसा क्यों होता है कि पुरुष संबंधों में अक्सर हिंसात्मक क्यों हो जाते हैं? इसके संबंध में हम डॉ. राहुल चंदोक, अर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के मानसिक स्वास्थ्य और व्यावहारिक विज्ञान के प्रमुख सलाहकार से बात की। उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें बताईं। चलिए इसे विस्तार से जानते हैं।
उपबन्धित का रहस्य छुपा है
पुरुषों की हिंसात्मकता का संबंध उनके पालने-पोषण से जुड़ा है। वास्तव में, बचपन से ही कई माता-पिता अपने बेटों को बेटियों से अलग तरह की पालना देते हैं। बेटों को अक्सर भावनात्मक होने से मना कर दिया जाता है। अगर वे रोते हैं, तो उन्हें कहा जाता है कि यह लड़कियों का काम है, तुम लड़के होकर क्यों रो रहे हो। ऐसी बातें उनके मन पर बहुत गहरा प्रभाव डालती हैं। यहां से वे अपने आप को विशेष मानने लगते हैं और वे खुद को कठोर महसूस करने लगते हैं। यह व्यवहार उनके भविष्य में हिंसात्मक होने का कारण बन जाता है।
फिल्में और सोशल मीडिया में बड़ा हाथ
सोशल मीडिया, फिल्में और वेब सीरीज ने भी इस प्रकार की हिंसा को बढ़ावा दिया है। ‘अनिमल’ या ‘कबीर सिंह’ जैसी फिल्में देखकर, बढ़ते हुए युवा में मानसिकता बनती है कि वह केवल शारीरिक रूप से मजबूत और हिंसात्मक होकर ही अपने साथी के दिल में जगह बना सकता है। सोशल मीडिया पर कई प्रकार की पोस्ट्स भी युवाओं को हिंसा के लिए प्रेरित करती हैं। ये सभी चीजें युवा मन में हिंसा के पक्ष में बनी हुईं अवधारणाओं को बाद में उन्हें उनके संबंधों में हिंसात्मक बना सकती हैं।
शक भी इसे बढ़ाता है
शक किसी भी संबंध को नष्ट करने में बहुत बड़ा रोल अदा करता है। जिसमें महिलाएं अक्सर पीड़ित होती हैं। मनोरंजन और सोशल मीडिया के माध्यम से विशालकाय चुटकुले के नाम पर शक के बीज दिमाग में बोए जाते हैं। समय के साथ, शक का यह बीज बढ़ता है और एक हिंसात्मक पेड़ के रूप में फल सकता है।
सभी को साथ मिलकर प्रयास करना जरूरी है
हर किसी को साथ मिलकर इसे सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसी भी संबंध में कोई भी हिंसात्मक नहीं होता। माता-पिता को अपने बेटों के मन में संवेदनशीलता डालने का प्रयास करना चाहिए और उन्हें संबंधों का सम्मान करना सिखाना चाहिए। समाज के रूप में, हमें उन सामग्रियों के खिलाफ एकजुटता दिखानी चाहिए, जो परिवारों और संबंधों को तोड़ने का माध्यम बन रही हैं।