Kolkata Doctor Case: कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। इसके कारण इलाज के लिए अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा है। आपको बता दें कि आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर, OPD मरीजों की भर्ती, ऑपरेशन थिएटर (OT) आदि सभी सेवाएं बंद हैं।
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में शुक्रवार को यानि लगातार पांचवें दिन यमुनापार के कई अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन और हड़ताल जारी रही। इस दौरान आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर, OPD, मरीजों की भर्ती, ऑपरेशन और रेडियोलॉजी जैसी सेवाएं पूरी तरह से ठप रहीं।
OPD बंद होने के कारण मरीज इलाज के लिए अस्पतालों में भटकते नजर आए। हड़ताल के कारण उन मरीजों को सबसे ज्यादा समस्या हो रही है जिन्हें ऑपरेशन कराना है। शुक्रवार को स्वामी दयानंद अस्पताल की OPD पूरी तरह से खाली रही। वहीं, GTB अस्पताल के OPD का गेट भी बंद मिला (OPD-आईपीडी सेवाएं आज बंद हैं)।
हापुड़ के पास के इलाके से इलाज के लिए दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान आई सुनीता ने बताया कि उनके घुटनों के नीचे एक गांठ है। पिछले डेढ़ महीने से इलाज शुरू करने के लिए टेस्ट ही हो रहे हैं। इतनी दूर से बार-बार आना मुमकिन नहीं है।
ऐसे में वह अस्पताल में एक बिस्तर लेती हैं और प्रतीक्षा कक्ष में लेट जाती हैं। देर शाम सुरक्षा गार्ड उन्हें वहां से भी हटने के लिए कहते हैं। मच्छर उन्हें पूरी रात काटते रहते हैं और उनकी जिंदगी दूभर कर देते हैं। इसी तरह, गाजियाबाद से अपने 16 साल के साले का इलाज कराने आए नफीस ने बताया कि उनके साले के दोनों पैरों की नसें बंद हो गई हैं।
वह सही से खड़े भी नहीं हो पाते। शुक्रवार को उन्हें आपातकालीन सेवाओं में दिखाया गया, लेकिन बिना किसी दवा या इलाज के वापस भेज दिया गया। हड़ताल के कारण उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया।
छह अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मार्च निकालकर किया प्रदर्शन
कोलकाता मामले में सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को यमुनापार के छह सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पोस्टर और बैनरों के साथ मार्च निकालकर प्रदर्शन किया।
इस मार्च में दिलशाद गार्डन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) और गुरु तेग बहादुर (GTB) अस्पताल, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (आईएचबीएएस), स्वामी दयानंद अस्पताल, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, झिलमिल स्थित ईएसआईसी अस्पताल, ताहिरपुर स्थित राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर शामिल थे। GTB और आईएचबीएएस की नर्सिंग यूनियन के लोग भी आरडीए के समर्थन में मौजूद थे।
GTB से शुरू होकर यह मार्च आईएचबीएएस, स्वामी दयानंद से होकर फिर GTB पर समाप्त हुआ। इस दौरान डॉक्टरों ने ‘कानून व्यवस्था सो रही है, देश की बेटी रो रही है’, ‘प्रशासन, आप सोचें, कब तक हम अत्याचार सहेंगे’ जैसे नारे भी लगाए।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सर्विसेज डॉक्टर्स फोरम के संयोजक डॉ. धनंजय कुमार ने कहा कि कोलकाता घटना को लेकर देश के सभी डॉक्टरों में आक्रोश है। मैंने प्रधानमंत्री से पूरे देश में डॉक्टरों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने का अनुरोध किया है।
इलाज के लिए आए मरीजों और उनके परिजनों की प्रतिक्रिया
- “दिमाग सुन्न हो गया है। वैसे भी मैं बैसाखी के सहारे चलता हूं। GTB पहुंचने के बाद हड़ताल के कारण बिना इलाज के ही घर लौटना पड़ता है।”
- ब्रह्मचारी, निवासी सीमापुरी
- “मुझे अपनी लड़की का एक्स-रे करवाना था। सुबह से आपातकालीन और अन्य विभागों में भागदौड़ की, लेकिन एक्स-रे नहीं हो पाया।”
- आसमान, निवासी कांधला
- “मैं दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में मुंह के कैंसर का इलाज करा रहा हूं। शुक्रवार को इलाज कराना था, लेकिन हड़ताल के कारण यह नहीं हो पाया।”
- शाहिद, निवासी बदायूं
- “शुक्रवार को स्वामी दयानंद अस्पताल के ईएनटी विभाग में मेरी सर्जरी होनी थी। काम से छुट्टी लेकर और किराए के पैसे खर्च करके आना बेकार हो गया।”
- सत्येंद्र, निवासी मंडोली सेवा धाम
- “गुरुवार रात से उल्टी और दस्त के कारण बहुत कमजोर हो गया हूं। स्वामी दयानंद अस्पताल ने आपातकालीन सेवाओं में भी इलाज करने से मना कर दिया।”
- लोकेश, निवासी शाहदरा