Unified Pension Scheme: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह का यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर बड़ा बयान सामने आया है। संजय सिंह ने UPS को राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) से भी बदतर बताया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत हर महीने कर्मचारी की तनख्वाह का 10% हिस्सा काटा जाएगा और फिर आखिरी 12 महीनों की सैलरी में से छह महीने की सैलरी काट ली जाएगी। इसके बाद कर्मचारी को उसकी सेवा के लिए कुछ राशि दी जाएगी। संजय सिंह ने UPS को कर्मचारियों के लिए एक धोखा करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की।
UPS और OPS के बीच तुलना
संजय सिंह ने UPS और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की तुलना करते हुए कहा कि यदि सरकार का दावा है कि UPS और OPS एक जैसे हैं, तो सरकार को OPS को वापस लाना चाहिए। उन्होंने UPS को कर्मचारियों के साथ धोखा करार देते हुए कहा कि इस योजना के अंतर्गत कर्मचारी को उसके सेवा काल के दौरान जितनी पेंशन मिलनी चाहिए, उतनी नहीं मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि UPS के तहत पेंशन सेवा का लाभ उठाने के लिए 25 साल की सेवा का नियम बनाया गया है, जो कि ज्यादातर कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है।
पैरामिलिट्री बलों के कर्मचारियों पर UPS का असर
संजय सिंह ने विशेष रूप से पैरामिलिट्री बलों के कर्मचारियों का उदाहरण दिया, जिनकी सेवा अवधि अक्सर 20 साल होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में UPS के अंतर्गत आने वाले पैरामिलिट्री बलों के अधिकांश कर्मचारी केवल 10,000 रुपये की पेंशन के हकदार होंगे, जो कि उनके योगदान और सेवा के मुकाबले बहुत कम है। संजय सिंह ने इसे एक अन्याय बताया और UPS को वापस लेने की जोरदार मांग की।
सरकार से OPS को वापस लाने की मांग
AAP नेता ने सरकार से OPS को फिर से लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार UPS को OPS के बराबर मान रही है, तो फिर OPS को ही क्यों नहीं वापस लाया जा सकता? संजय सिंह ने UPS को कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी बताते हुए इसे तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि NPS की तरह ही UPS भी कर्मचारियों के लिए असंतोषजनक साबित हो रही है और इस योजना को लागू करने से केवल कर्मचारियों के हितों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
निष्कर्ष
संजय सिंह का यह बयान UPS को लेकर उठ रहे सवालों और चिंताओं को दर्शाता है। कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के लिए OPS को फिर से लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है। UPS को लेकर कर्मचारियों और उनके संगठनों में असंतोष बढ़ता जा रहा है, और संजय सिंह का यह बयान उस असंतोष को मुखर रूप से प्रकट करता है। अब देखना यह है कि सरकार इस मांग पर क्या कदम उठाती है और क्या OPS को वापस लाने की दिशा में कोई ठोस निर्णय लिया जाता है।