केकड़ी के Bisalpur Dam में जलप्रवाह लगातार जारी है, जिससे बांध का जलस्तर अब 313.78 आरएल मीटर तक पहुँच गया है। बांध की कुल भरने की क्षमता 315 आरएल है। वहीं, बांध में जलप्रवाह का मुख्य स्रोत त्रिवेणी में जलप्रवाह लगातार बढ़ रहा है, जहाँ पर इस समय जलगैज 4 मीटर हो चुका है। उम्मीद है कि आज रात तक बांध का जलस्तर 314 मीटर तक पहुँच जाएगा।
सातवीं बार ओवरफ्लो के लिए तैयार बिसलपुर बांध
अब तक बिसलपुर बांध 6 बार ओवरफ्लो हो चुका है। पहली बार 2004 में बांध अपनी पूर्ण क्षमता तक भरा गया था। इसके बाद, 2006, 2014, 2016, 2019 और 2022 में भी बांध ओवरफ्लो हुआ था। 2019 में, बांध के 18 गेट खोलकर पानी निकाला गया था। बांध में जलप्रवाह का मुख्य स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरना है, जिसका पानी गोवता बांध में आता है। गोवता बांध के ओवरफ्लो होने के बाद यह पानी मेनाली नदी से मिलकर त्रिवेणी पहुँचता है। त्रिवेणी में बनास, बेदच और मेनाली नदियाँ मिलकर त्रिवेणी संगम का निर्माण करती हैं। यहाँ स्थित प्राचीन महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। त्रिवेणी नदी से आगे यह पानी बनास नदी के रूप में बहता है, जिसमें कोठारी नदी, ऊवली नदी, नागड़ी नदी और अन्य छोटी सहायक नदियाँ मिलती हैं। यह पानी अंततः बिसलपुर बांध तक पहुँचता है। इसलिए त्रिवेणी को बिसलपुर बांध में जलप्रवाह का मुख्य स्रोत माना जाता है।
पर्यटन और धार्मिक महत्व
बिसलपुर बांध से जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, ब्यावर और केकड़ी जिलों की लगभग एक करोड़ आबादी को पानी की आपूर्ति की जाती है। बिसलपुर बांध मानसून के मौसम में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाता है। जब बांध के गेट खोले जाते हैं और पानी का प्रवाह तेज़ होता है, तो इस दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। बांध के पास स्थित गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि यहाँ पर रावण ने तपस्या की थी, जिसके कारण इस मंदिर का विशेष महत्व है।