नई दिल्ली. ऐसा पहली बार हो रहा था कि उम्मीदवारों का ऐलान कर बीजेपी को पीछे हटना पड़ा. जम्मू- कश्मीर में कुछ ऐसा ही हुआ. पहली लिस्ट जारी करने के थोड़ी देर बाद ही वापस ले ली गई. इससे राज्य में भारी बवाल हो गया. फिर थोड़े बदलावों के बाद फिर से लिस्ट जारी की गई. इससे साफ हो गया कि धारा 370 हटने के बाद होने जा रहे पहले चुनाव में पार्टी आलाकमान कोई रिस्क नहीं लेना चाहता. टिकट बंटवारे के बाद रूठना और मनाना तो चलता ही रहता है. कई पुराने और वरिष्ठ नेताओं का टिकट कटने से नाराजगी बढ़ रही थी.
Jammu- Kashmir Assembly Elections: जम्मू और कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में दोबारा फेरबदल किया है. पार्टी के नेताओं की नाराजगी को देखते हुए राम माधव को असंतुष्टों को समझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
नाराज नेता चुनाव में बीजेपी उम्हमीदवारों को हराने की चेतावनी दे रहे थे. ऐसे में आलाकमान को लगा कि पूर्व महासचिव राम माधव का पुराना अनुमव काम आ सकता है. जाहिर है कि मनाने में अगर वरिष्ठ नेता लगें तो नाराज पक्ष में थोड़ी नरमी तो आ ही जाती है. अब राम माधव चुनाव प्रभारी हैं. अरसे बाद वनवास से पार्टी में लौटे राम माधव ने अपने पुराने संबंधों के सहारे रूठे नेताओं को गुपचुप मनाने का काम शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक राम माधव जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने से नाराज बीजेपी के नेताओ से मुलाकात कर उनकी नाराजगी दूर कर रहें हैं.