Bhilwara News: रविवार शाम को शाहपुरा जिले के फुलियाकलां सबडिवीजन के रलायता गांव में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें दीवार ढहने के कारण सास जितुदेवी गुर्जर (55) और बहू मजन गुर्जर (23) की मौत हो गई। दोनों महिलाएं जानवरों की देखभाल और दूध दुहने के लिए बाड़े में गई थीं, जब अचानक बाड़े की दीवार ढह गई, जिससे दोनों उसके नीचे दब गईं।
घटना का विवरण
रात के समय, सास और बहू जानवरों की देखभाल और दूध दुहने के बाद बाड़े से बाहर आ रही थीं, तभी दीवार ढह गई। दीवार के ढहने और दोनों महिलाओं की चीख-पुकार सुनकर कई ग्रामीण मौके पर पहुंचे और दोनों को बाहर निकाला। उन्हें तत्काल फुलियाकलां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने सास जितुदेवी गुर्जर को मृत घोषित कर दिया। बहू मजन गुर्जर को प्राथमिक उपचार देने के बाद जिला अस्पताल शाहपुरा के लिए रेफर किया गया, लेकिन वहां उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलने के कारण उन्हें भीलवाड़ा भेजा गया, जहां वे रास्ते में ही मौत की शिकार हो गईं।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
फुलियाकलां SHO देवराज सिंह ने बताया कि दोनों मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा और शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा। पुलिस ने घटना के संबंध में मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
फुलियाकलां SDO राजकेश मीणा ने कहा कि घटना के बाद मौके पर पहुंचकर मलबा हटाया गया। इसके साथ ही, तहसीलदार को गांव के अन्य कच्चे घरों का सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी पटवारियों और ग्राम विकास अधिकारियों को इस संबंध में सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया है। आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे कच्चे घरों, क्षतिग्रस्त घरों और पानी की धारा से दूर रहें। जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा जारी SOP के तहत कार्रवाई की जा रही है।
कच्चे घरों की स्थिति
घटना के बाद, गांव के कच्चे घरों की स्थिति की जांच की जा रही है। तहसीलदार को निर्देशित किया गया है कि वे सभी कच्चे घरों की स्थिति का सर्वेक्षण करें और संभावित खतरों की पहचान करें। इस सर्वेक्षण से पता चलेगा कि कितने घरों को मरम्मत या पुनर्निर्माण की आवश्यकता है और कितनी जल्दी यह कार्य पूरा किया जा सकता है।
सुरक्षा उपाय और नागरिकों की जिम्मेदारी
यह घटना कच्चे घरों की स्थिति और उनके संरक्षण की जरूरत को उजागर करती है। प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों को चाहिए कि वे कच्चे घरों की स्थिति की नियमित निगरानी करें और आवश्यक सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करें। नागरिकों को भी चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें और क्षतिग्रस्त या असुरक्षित संरचनाओं से दूर रहें।
निष्कर्ष
भीलवाड़ा जिले के रलायता गांव में हुई यह दुखद घटना यह बताती है कि कच्चे घरों की स्थिति को लेकर सतर्कता और समय पर कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण है। प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम और नागरिकों की जागरूकता मिलकर इस प्रकार की घटनाओं को भविष्य में कम करने में सहायक हो सकती है। कच्चे घरों का सर्वेक्षण, उचित सुरक्षा उपाय और नागरिकों की जिम्मेदारी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।