भारत की प्रमुख महिला पहलवानों, जिनमें विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया शामिल हैं, ने पूर्व BJP सांसद Brij Bhushan Singh पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, अब यह मामला एक नई दिशा में बढ़ रहा है। दिल्ली के राउज़ एवेन्यू अदालत में इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू हो गई है और एक महिला पहलवान ने मामले की इन-कैमरा सुनवाई की मांग की है।
सुनवाई का नया दौर
राउज़ एवेन्यू के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने Brij Bhushan Singh के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में 23 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट ने मामलों की सुनवाई की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया है। इस दौरान, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी।
मई 10 को अदालत का आदेश
10 मई को अदालत ने Brij Bhushan Singh के खिलाफ यौन उत्पीड़न और अन्य आरोपों के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। इसके अंतर्गत भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला के साथ शीलभंग करने का इरादा रखने के साथ हमला या आपराधिक बल का उपयोग), धारा 354A (यौन उत्पीड़न) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप तय किए गए थे।
महिला पहलवान की मांग
मामले की सुनवाई के दौरान, एक पीड़िता ने अदालत से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई इन-कैमरा (जज के कक्ष में) की जाए। इसका उद्देश्य यह है कि पीड़िताओं की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और सुनवाई के दौरान उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।
महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों ने इस मामले को एक नई दिशा दी है और इसने समाज में इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया है। इस मामले में उच्च स्तरीय ध्यान और संवेदनशीलता की आवश्यकता है ताकि पीड़िताओं को न्याय मिल सके और आरोपी को उचित सजा मिले।
पुलिस और जांच की भूमिका
इस मामले में पुलिस की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की है और कई साक्ष्यों को एकत्रित किया है। यह जांच मामले की गहराई को समझने और आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठा करने में सहायक होगी।
सारांश
Brij Bhushan Singh के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों ने इस मामले को एक गंभीर मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। अब यह अदालत पर निर्भर है कि वह इस मामले की सुनवाई को कितनी संवेदनशीलता और गंभीरता से लेती है। अदालत की आने वाली सुनवाई और पीड़िताओं की सुरक्षा के मुद्दे इस मामले की दिशा को तय करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय का वास्तविक रूप सभी को मिले।
अगली सुनवाई के लिए सभी की निगाहें अदालत पर हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और पीड़िताओं को न्याय मिलता है या नहीं।