Scolionophobia: स्कूल जाने में हिचकिचाहट बच्चों में सामान्य बात हो सकती है, लेकिन जब यह हिचकिचाहट हर दिन या बार-बार होती है, तो यह चिंता का विषय बन सकती है। यह समस्या केवल नखरे की तरह दिख सकती है, लेकिन वास्तव में यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है जिसे ‘स्कोलियोनोफोबिया’ (Scolionophobia) कहा जाता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि स्कोलियोनोफोबिया क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं, और इससे कैसे निपटा जा सकता है।
स्कोलियोनोफोबिया क्या है?
स्कोलियोनोफोबिया एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या है जिसमें बच्चे स्कूल जाने से अत्यधिक डरते हैं। यह डर इतनी गंभीर हो सकती है कि बच्चे शारीरिक रूप से बीमार महसूस करने लगते हैं और स्कूल की घंटियों के बजने के बाद ही ठीक हो जाते हैं। इस स्थिति में, बच्चे स्कूल जाने से पहले सिरदर्द, पेट दर्द, या अन्य शारीरिक समस्याओं का बहाना बनाते हैं।
स्कोलियोनोफोबिया के लक्षण
स्कोलियोनोफोबिया के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
- पेट दर्द और सिरदर्द: बच्चे अक्सर पेट दर्द या सिरदर्द का बहाना बनाते हैं, जो अचानक स्कूल जाने से पहले शुरू होते हैं और स्कूल की छुट्टी के बाद समाप्त हो जाते हैं।
- आत्म-संरक्षण की प्रवृत्ति: बच्चे स्कूल जाने के विचार से घबराहट महसूस करते हैं और इसे टालने के लिए विभिन्न बहाने बनाते हैं।
- आवश्यकता की अधिकता: बच्चों को लगातार माता-पिता या अन्य परिवार के सदस्यों की उपस्थिति की आवश्यकता महसूस होती है।
- भय और चिंता: बच्चों में सामान्य से अधिक डर और चिंता का अनुभव होता है, जो उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है।
स्कोलियोनोफोबिया कितनी गंभीर हो सकती है?
स्कोलियोनोफोबिया का प्रभाव शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से हो सकता है। शारीरिक समस्याओं के अलावा, बच्चों को मानसिक रूप से भी चिंता और असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार की मानसिक स्थिति बच्चे की विकासात्मक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और लंबे समय में उन्हें सामाजिक और शैक्षिक रूप से कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
स्कोलियोनोफोबिया के कारण
- अत्यधिक सुरक्षा: ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं, उनमें स्कोलियोनोफोबिया की संभावना अधिक होती है।
- शारीरिक या भावनात्मक शोषण: बच्चे जिनके साथ शारीरिक या भावनात्मक शोषण होता है, वे भी स्कूल जाने से डर सकते हैं।
- मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा: बच्चों के जीवन में किसी प्रकार का ट्रॉमा या तनाव, जैसे कि स्कूल में समस्याएँ, घर में झगड़े, या सामाजिक दबाव, इस समस्या को जन्म दे सकते हैं।
स्कोलियोनोफोबिया का समाधान
- मनोवैज्ञानिक परामर्श: बच्चों की स्थिति को समझने और उनका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए पेशेवर मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की मदद लें।
- धैर्य और समझ: माता-पिता को चाहिए कि वे धैर्यपूर्वक बच्चों की चिंताओं को समझें और उन्हें स्कूल के माहौल के साथ सहज बनाने में मदद करें।
- सकारात्मक reinforcement: बच्चे को स्कूल में छोटे-छोटे सकारात्मक अनुभव देने का प्रयास करें। जैसे कि उनकी पसंदीदा गतिविधियाँ या दोस्तों के साथ समय बिताना।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर ध्यान दें और नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप करवाएँ।