Leelsar Deer Hunting Case: राजस्थान के बारमेर जिले में लीलेसर हिरण शिकार मामले के एक आरोपी का जेल में निधन हो गया। यह घटना शुक्रवार की दोपहर की है, जब आरोपी को कोर्ट से जमानत मिली थी। जमानत के तुरंत बाद, जब वह जेल से बाहर आने वाला था, उसकी तबियत बिगड़ गई और वह जमीन पर गिर पड़ा। बाद में, उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना की जानकारी मिलने पर न्यायिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की।
हिरण का शिकार और आरोपी की गिरफ्तारी
मृतक आरोपी का नाम भोमाराम है, जो 12 अगस्त 2024 को रात के समय लीलेसर-शेरपुरा सीमा के पास कई हिरणों का शिकार करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था। इस घटना की जानकारी जब गांववालों को हुई, तो उन्होंने मौके पर ही धरना शुरू कर दिया। यह धरना दो दिनों तक चला। इसके बाद वन विभाग ने 9 आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी। उनमें से भोमाराम भी था, जो न्यायिक हिरासत में जेल में था। आरोपी ने पुलिस पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया कि उन्हें हिरण का शिकार करने के लिए 500 रुपये का भुगतान किया गया था। बाद में, हिरण के मांस को ढाबों पर 200 रुपये प्रति किलो की दर से सप्लाई किया जाता था।
जमानत के बाद का समय
भोमाराम को शुक्रवार की दोपहर को कोर्ट से जमानत मिली थी और वह शाम 7 बजे के आसपास जेल से बाहर आने वाला था। उसका भाई उसे जेल के बाहर लेने के लिए इंतजार कर रहा था। लेकिन जैसे ही भोमाराम ने रजिस्टर पर साइन किया, वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा। उसके गिरते ही जेल प्रशासन की टीम उसे जिला अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जांच की प्रक्रिया
इस मामले में बारमेर के DSP रमेश कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि यह मामला न्यायिक हिरासत में एक कैदी से संबंधित है। उन्होंने बताया कि हम न्यायिक अधिकारी को सूचित कर चुके हैं, जो मौके पर पहुंचकर घटना स्थल और अस्पताल की वीडियोग्राफी करवा रहे हैं। साथ ही, मृतक के शव का पोस्ट-मॉर्टम मेडिकल बोर्ड द्वारा किया जा रहा है। मौत का कारण रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा।
समाज में हड़कंप
भोमाराम के निधन से इलाके में हड़कंप मच गया है। लोग इसे हत्या का मामला मान रहे हैं, क्योंकि उसे जेल में एक न्यायिक प्रक्रिया के तहत रखा गया था और जमानत मिलने के बाद उसकी ऐसी स्थिति में आना कई सवाल खड़े करता है। गांववालों ने इस घटना के खिलाफ फिर से प्रदर्शन करने की योजना बनाई है और न्याय की मांग की है।
वन विभाग की भूमिका
लीलेसर हिरण शिकार मामले में वन विभाग की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। वन विभाग ने पहले ही बताया था कि वे शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे, लेकिन इस घटना ने उनकी कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
अंतिम विचार
भोमाराम का निधन न केवल उसके परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक बड़ा सदमा है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि कैसे न्यायिक प्रक्रिया के दौरान भी एक व्यक्ति की जान जा सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले की गंभीरता को समझे और जल्द से जल्द न्याय दिलाए।
इस घटना के बाद, अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में ठोस कदम उठाएगा और हिरण शिकार के मामलों को रोकने के लिए क्या उपाय करेगा। भोमाराम की मौत एक बड़ा मुद्दा बन गया है और यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें ऐसे मामलों के प्रति अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
आशा है कि इस घटना के बाद इस प्रकार के मामलों में सुधार होगा और न्यायिक प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति सुरक्षित महसूस करेगा। सभी को यह समझना चाहिए कि हिरणों का शिकार न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण के लिए भी खतरा है। समाज में जागरूकता फैलाना और ऐसे मामलों को रोकना हम सभी की जिम्मेदारी है।