श्रीनगर। जम्मू कश्मीर सरकार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को सात माह बाद हिरासत से आजाद कर दिया है। अब्दुल्ला अपने श्रीनगर स्थित घर पर ही नजरबंदी में थे। अगस्त 2019 को जब घाटी से आर्टिकल 370 हटाया गया तो उसी समय अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर को हिरासत में ले लिया गया था। अब्दुल्ला को आजाद करने से पहले केंद्र सरकार की तरफ से उनका मन घाटी की नई स्थिति को लेकर परखा गया था। मोदी सरकार ने इस काम के लिए उस इंसान को कश्मीर भेजा था जो न सिर्फ अब्दुल्ला का करीबी रहा है बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी विश्वासपात्र था।
इंटेलीजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस (रॉ) पूर्व चीफ एएस दुलात को फरवरी माह की शुरुआत में सरकार की तरफ से एक सीक्रेट मिशन पर जम्मू कश्मीर भेजा गया था। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि दुलात को अब्दुल्ला से मिलकर उनका मूड भांपने के मकसद से भेजा गया था। इस बात की पुष्टि कई सीनियर ऑफिसर्स ने अखबार से की है। दुलात को जिस सीक्रेट मिशन पर कश्मीर भेजा गया था, उसके तहत आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर की नई वास्तविकता को स्वीकारे जाने को लेकर फारूक अब्दुल्ला के मूड को भांपना था। परिवार के एक सदस्य के हवाले से इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा था, ‘दुलात पिछले कई समय से अब्दुल्ला से मिलना चाहते थे।’ इसके बाद फरवरी माह में उन्हें सरकार की तरफ से उनसे मुलाकात की मंजूरी दी गई थी। इस बारे में जब दुलात से संपर्क किया गया था तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा, ‘अगर अधिकारियों और परिवार ने आपको यह जानकारी दी है तो मेरे पास इस बारे में कहने को कुछ भी नही है।