Rajasthan: कोटा में हवाई अड्डे के विस्तार के लिए कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) ने बूंदी के पूर्व शासक राव सूरजमल हाड़ा की 600 साल पुरानी छतरी को ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस ऐतिहासिक स्थल के विध्वंस के बाद न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी नाराजगी जताई है। केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस मुद्दे की जांच की मांग की है, जबकि कोटा के पूर्व महाराव इजयराज सिंह सहित कई प्रमुख लोगों ने विरोध व्यक्त किया है।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कोटा के विकास प्राधिकरण ने हवाई अड्डे के विस्तार के लिए राव सूरजमल हाड़ा की ऐतिहासिक छतरी को तोड़ दिया। यह छतरी 600 साल पुरानी थी और बूंदी के पूर्व शासक राव सूरजमल हाड़ा से संबंधित थी, जो कि बूंदी के प्रतिष्ठित राजपूत शासक थे। इस स्थल का स्थानीय राजपूत समुदाय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व था, जहां हर रविवार को एक मेला लगता था और राव सूरजमल हाड़ा की मूर्ति की पूजा की जाती थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और कार्रवाई
छतरी के विध्वंस के बाद केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इंस्टाग्राम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और कहा, “बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा जी की छतरी का विध्वंस एक दुखद और पीड़ादायक घटना है। क्या केडीए ने इस छतरी के ऐतिहासिक महत्व को जानते हुए भी यह कार्य किया? इस मामले की जांच और उचित कार्रवाई आवश्यक है।”
इसके अलावा, कोटा के पूर्व महाराव इजयराज सिंह ने भी इस विध्वंस की कड़ी आलोचना की और इसे राजपूत समुदाय के सम्मान के खिलाफ बताया। उन्होंने प्रशासन से इस ऐतिहासिक स्थल के पुनर्निर्माण की मांग की। राजपूत समुदाय के अन्य सदस्यों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और कहा कि प्रशासन को छतरी को तोड़ने के बजाय उसे कहीं और स्थानांतरित कर देना चाहिए था।
जिला प्रशासन की कार्रवाई
विवाद के बढ़ने पर कोटा जिला कलेक्टर डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की और तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया। निलंबित अधिकारियों में तहसीलदार प्रवीण कुमार, भूमि अभिलेख निरीक्षक मुरलीधर और पटवारी रामनिवास शामिल हैं।
यह निलंबन इस बात को दर्शाता है कि प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, लेकिन इससे राजपूत समुदाय की नाराजगी कम नहीं हुई है। करणी सेना ने भी इस मुद्दे पर विरोध जताया और रविवार को छतरी को पुनः बनाने की चेतावनी दी। करणी सेना के नेताओं का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस मामले में उचित कदम नहीं उठाए तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय राजपूत समुदाय का कहना है कि यह स्थल उनके लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर था, और इसके विध्वंस से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है। समुदाय के एक प्रमुख सदस्य भरत सिंह ने बताया, “यह छतरी हमारे लिए एक पवित्र स्थान था, जहां हर रविवार को मेला लगता था और राव सूरजमल हाड़ा की मूर्ति की पूजा की जाती थी। प्रशासन को इसे स्थानांतरित कर देना चाहिए था, न कि ध्वस्त करना चाहिए था।”
इस विवाद ने स्थानीय समुदाय में गहरा असंतोष पैदा किया है, और वे अब इस मुद्दे पर एक विरोध रैली निकालने की तैयारी कर रहे हैं। समुदाय का कहना है कि उन्हें इस विध्वंस की सूचना पहले से नहीं दी गई थी, जिससे वे और अधिक आक्रोशित हैं।
करणी सेना की चेतावनी
करणी सेना ने इस विवाद में सक्रिय भूमिका निभाई है और उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर छतरी का पुनर्निर्माण नहीं किया गया तो वे सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। करणी सेना के सदस्यों ने कहा कि यह राजपूत समुदाय के सम्मान का सवाल है, और वे किसी भी कीमत पर अपने पूर्वजों की धरोहर का अपमान सहन नहीं करेंगे।
करणी सेना के नेताओं का कहना है कि यह घटना प्रशासन की लापरवाही और ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाती है। उन्होंने सरकार से तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करने और छतरी का पुनर्निर्माण कराने की मांग की है।