Donald Trump’s Saudi Arabia Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खाड़ी देशों के दौरे के निकले हैं. 13 मई को सऊदी अरब पहुंचेंगे, इसके बाद कतर और UAE जाएंगे.
Donald Trump’s Saudi Arabia Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने खाड़ी दौरे के पहले चरण में मंगलवार, 13 मई को सऊदी अरब पहुंचेंगे. इसके बाद वो कतर और UAE जाएंगें. ट्रंप की नजर इन खाड़ी देशों के साथ बिजनेस डील करने पर होगी, हालांकि जब मिडिल ईस्ट इजरायल-हमास युद्ध और ईरान के साथ अमेरिका के तकराक की वजह से हॉटस्पॉट में है, किसी भी समझौते तक पहुंचना कठिन होगा. यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति की उनके दूसरे कार्यकाल की पहली बड़ी विदेश यात्रा है. व्हाइट हाउस ने कहा है कि वह इस क्षेत्र में “ऐतिहासिक वापसी” के लिए उत्सुक हैं.
आठ साल पहले भी ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुना था. एक बार फिर ट्रंप ने पारंपरिक पश्चिमी सहयोगियों को दरकिनार करते हुए इन तेल-समृद्ध खाड़ी देशों को अपनी पहली यात्रा के लिए चुना है. ट्रंप का यह निर्णय क्षेत्र में इन देशों के अपने व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ उनकी बढ़ती महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक भूमिका को भी दिखाती है.
ट्रंप पहली बड़ी यात्रा पर सऊदी अरब ही क्यों जा रहे? जानिए खाड़ी देशों में क्या खोज रहे अमेरिकी राष्ट्रपति
Donald Trump’s Saudi Arabia Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खाड़ी देशों के दौरे के निकले हैं. 13 मई को सऊदी अरब पहुंचेंगे, इसके बाद कतर और UAE जाएंगे.

Donald Trump’s Saudi Arabia Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने खाड़ी दौरे के पहले चरण में मंगलवार, 13 मई को सऊदी अरब पहुंचेंगे. इसके बाद वो कतर और UAE जाएंगें. ट्रंप की नजर इन खाड़ी देशों के साथ बिजनेस डील करने पर होगी, हालांकि जब मिडिल ईस्ट इजरायल-हमास युद्ध और ईरान के साथ अमेरिका के तकराक की वजह से हॉटस्पॉट में है, किसी भी समझौते तक पहुंचना कठिन होगा. यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति की उनके दूसरे कार्यकाल की पहली बड़ी विदेश यात्रा है. व्हाइट हाउस ने कहा है कि वह इस क्षेत्र में “ऐतिहासिक वापसी” के लिए उत्सुक हैं.
आठ साल पहले भी ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुना था. एक बार फिर ट्रंप ने पारंपरिक पश्चिमी सहयोगियों को दरकिनार करते हुए इन तेल-समृद्ध खाड़ी देशों को अपनी पहली यात्रा के लिए चुना है. ट्रंप का यह निर्णय क्षेत्र में इन देशों के अपने व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ उनकी बढ़ती महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक भूमिका को भी दिखाती है.
यहां यह जानना भी आवश्यक है कि ट्रंप की यह यात्रा किन परिस्थिति में हो रही है. यात्रा से एक दिन पहले ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया है, गाजा में बंधक बनाए आखिरी अमेरिकी बंधक की रिहाई हो गई है और ईरान के साथ परमाणु वार्ता का एक और दौर आयोजित किया जा रहा है. ये पहल पिछले सप्ताह ट्रंप द्वारा यमन में ईरान समर्थित हूति विद्रोहियों के साथ युद्धविराम पर सहमति की आश्चर्यजनक घोषणा के बाद की गई.
कौन-कौन से डील करेंगे ट्रंप?
भले इन तमाम जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट के बीच यह यात्रा हो रही है लेकिन इसके दौरान फोकस संभवतः व्यापारिक समझौतों को फाइनल करने पर होगा. अटलांटिक काउंसिल के स्कोक्रॉफ्ट मिडिल ईस्ट सिक्योरिटी इनिशिएटिव के फैलो डैनियल बी शापिरो ने लिखा, “व्हाइट हाउस के सूत्रों ने संकेत दिया है कि राष्ट्रपति ‘डील्स’ पर ध्यान केंद्रित करेंगे.” उम्मीद है कि रियाद, दोहा और अबू धाबी में 78 वर्षीय अरबपति राष्ट्रपति के लिए भव्य शाही स्वागत के साथ रेड कार्पेट बिछाया जाएगा. ट्रंप की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने यात्रा से पहले कहा, “राष्ट्रपति मिडिल ईस्ट में अपनी ऐतिहासिक वापसी के लिए उत्सुक हैं” ताकि एक ऐसे दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके जहां “वाणिज्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ चरमपंथ को हराया जाए”.
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान खाड़ी देशों ने खुद को प्रमुख राजनयिक साझेदार के रूप में स्थापित किया है. दोहा हमास और इजरायल के बीच बातचीत के लिए एक बड़ा मिडिएटर बना हुआ है, जबकि सऊदी अरब ने यूक्रेन में युद्ध पर बातचीत का मंच मुहैया कराया है.
ट्रंप के वापस आने की चर्चा महीनों से चल रही है, और इस बीच सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी व्यापार और निवेश में 600 अरब डॉलर डालने की कसम खाई है. ट्रंप ने प्रस्ताव के जवाब में कहा, “मैं क्राउन प्रिंस से, जो एक शानदार व्यक्ति हैं, इसे एक ट्रिलियन के आसपास करने के लिए कहूंगा. मुझे लगता है कि वे ऐसा करेंगे क्योंकि हम उनके साथ बहुत अच्छे रहे हैं.”
रक्षा मंत्रालय के करीबी एक सऊदी अधिकारी के अनुसार, रियाद अरबों डॉलर की अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों के साथ-साथ नवीनतम अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों को सुरक्षित करने पर जोर देगा. सूत्र ने एएफपी को बताया, “हम शर्त रखेंगे कि डिलीवरी ट्रंप के कार्यकाल के दौरान होगी.”
