Alwar: अलवर जिले में बाघ ST 2303 के जखोपुर पहुंचने की जानकारी मिलते ही इलाके में हड़कंप मच गया है। इस बाघ की तलाश और सुरक्षा के लिए कई विभागों की टीमों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की है। आइए जानते हैं इस घटना के बारे में विस्तार से।
घटना की जानकारी और तात्कालिक प्रतिक्रिया
बाघ ST 2303 की जखोपुर में उपस्थिति की सूचना मिलने के बाद, सरिस्का वन विभाग के रेंजर शंकर सिंह शेखावत मौके पर पहुंचे। वे बफर जोन के रेंजर भी हैं और इस बाघ के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं। इस बाघ को शांत करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को भी बुलाया गया है। हालांकि, टीम ने बाघ को शांत करने की तीन बार कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे।
इस बाघ की छवि कैमरा ट्रैप में कैद की गई है, जो बाजरे के खेतों में छुपा हुआ था। बाघ की स्थिति का पता लगाने के लिए ड्रोन कैमरा का उपयोग किया जा रहा है, ताकि बाघ को एक बार फिर शांत करने की कोशिश की जा सके। इलाके को पुलिस और वन विभाग की गाड़ियों से चारों ओर से घेर लिया गया है। जखोपुर में कोटाकासिम के एसडीएम सुभाष यादव, तहसीलदार धीरेंद्र कर्दम, किशनगढ़ बस DSP और कोटाकासिम पुलिस की टीम भी मौजूद हैं। इस बीच, स्थानीय ग्रामीणों की भी भीड़ जुट गई है, और लोग भी डर के साए में हैं क्योंकि बाघ के खेतों में छुपे रहने तक लोग खेतों में नहीं जा पा रहे हैं।
बाघ की यात्रा और पूर्व की घटनाएँ
बाघ ST 2303 स्वतंत्रता दिवस के दिन 15 अगस्त को सरिस्का के बफर जोन से बाहर आया। इसके बाद, यह बाघ मंडावर के कोर्ट से गुजरते हुए हरियाणा के झाबुआ के जंगलों तक पहुंच गया। झाबुआ के जंगलों ने इस बाघ को इतना भाया कि वह वहाँ कई दिनों तक ठहरा रहा। यहां बाघ को कैमरा ट्रैप में भी देखा गया और इसे झाबुआ के जंगलों में भी देखा गया।
सुरक्षा और बचाव प्रयास
बाघ की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए ड्रोन कैमरा का उपयोग किया जा रहा है। पुलिस और वन विभाग की टीमों ने बाघ की तलाश के लिए चौकसी बढ़ा दी है। इलाके में तैनात सुरक्षा बलों ने चारों ओर से घेराबंदी कर दी है ताकि बाघ को नियंत्रित किया जा सके और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सामाजिक प्रभाव और चिंताएँ
बाघ की उपस्थिति ने स्थानीय समुदाय में चिंता और डर का माहौल पैदा कर दिया है। खेतों में बाघ के छुपे रहने के कारण ग्रामीणों को अपनी कृषि कार्यों को रोकना पड़ा है। इस स्थिति ने न केवल लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि उनकी सुरक्षा को लेकर भी चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
भविष्य की योजना और उम्मीदें
बाघ ST 2303 को नियंत्रित करने और सुरक्षित रूप से वन क्षेत्र में वापस भेजने के लिए वन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीमें लगातार काम कर रही हैं। विशेषज्ञों की टीम द्वारा बाघ को शांत करने की कोशिशें जारी रहेंगी। भविष्य में, बाघ की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए बेहतर उपाय किए जाएंगे ताकि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके।
निष्कर्ष
जखोपुर में बाघ ST 2303 की उपस्थिति ने इलाके में तनाव और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। वन विभाग और पुलिस की टीमों की त्वरित प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय इस बाघ को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। बाघ के झाबुआ से आने की यात्रा और स्थानीय क्षेत्रों में उसकी गतिविधियों ने कई सवाल उठाए हैं और सुरक्षा के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
ग्रामीणों और स्थानीय प्रशासन को सलाह दी जाती है कि वे सुरक्षा निर्देशों का पालन करें और किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहें। बाघ की स्थिति पर नज़र रखना और वन विभाग द्वारा जारी की गई सूचनाओं का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।