Shahpura News: शाहपुरा में अनंत चतुर्दशी के अगले दिन एक अप्रिय घटना ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी। बुधवार सुबह गणेश उत्सव समिति के पंडाल में एक बकरी का कटा हुआ सिर और पैर मिलने से समुदाय में तनाव और आक्रोश फैल गया। यह घटना जलझुलनी एकादशी के दौरान जहाजपुर में हुए पथराव की घटना के ठीक बाद हुई, जिसने पहले से ही संवेदनशील माहौल में और अधिक तनाव पैदा कर दिया। हिंदू संगठनों और गणेश उत्सव समिति के पदाधिकारियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और शाहपुरा में पूर्ण बाजार बंद का आह्वान किया।
घटना के बाद तनावपूर्ण माहौल
सुबह पंडाल में बकरी का कटा हुआ सिर और पैर मिलने की सूचना से पूरे शहर में हलचल मच गई। यह खबर तेजी से फैली, और शहर के मुख्य बाजारों में व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं। गणेश उत्सव समिति के सदस्य और हिंदू संगठन इस घटना के विरोध में सड़कों पर उतर आए। लोगों ने पुलिस और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की। बाजार बंद के आह्वान के बाद से शहर में जगह-जगह प्रदर्शन होने लगे।
स्थानीय प्रशासन ने मामले को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। शाहपुरा के विभिन्न स्थानों पर पुलिस बल की तैनाती की गई, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। इस बीच, स्थानीय लोग घटना से नाखुश थे और उन्होंने पुलिस की प्रारंभिक जांच पर सवाल उठाए। पुलिस ने शुरुआती बयान में कहा कि यह किसी जानवर की हरकत हो सकती है, लेकिन स्थानीय लोगों को यह स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं लगा।
संदिग्ध महिला हिरासत में
घटना के कुछ घंटों बाद, स्थानीय लोगों ने एक महिला को संदिग्ध पाया, जो पंडाल के आसपास देखी गई थी। इसके बाद नाराज युवाओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध तेज कर दिया। स्थिति को बिगड़ता देख पुलिस ने उक्त महिला को कड़ी सुरक्षा के बीच हिरासत में लिया। महिला के घर के बाहर भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
एएसपी चंचल मिश्रा ने जानकारी दी कि महिला से पूछताछ की जा रही है और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और स्थिति को शांत करने की अपील की। पुलिस और प्रशासन की ओर से स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शहर में तनावपूर्ण माहौल अब भी बना हुआ है।
दिन भर जारी रहा प्रदर्शन
बुधवार सुबह से ही शाहपुरा के मुख्य बाजार में प्रदर्शन शुरू हो गया था। गणेश उत्सव समिति के सदस्यों और हिंदू संगठनों ने दोषियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन शुरू किया, जो देर शाम तक जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। दिन भर चले इस विरोध प्रदर्शन के दौरान शाहपुरा का पूरा बाजार बंद रहा और स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।
नाराज लोगों ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की। इस दौरान सैकड़ों लोग प्रदर्शन स्थल पर जुटे रहे। नगर परिषद सभापति रघुनंदन सोनी, बीजेपी नगर अध्यक्ष राजेंद्र बोहरा, विश्व हिंदू परिषद के विभाग प्रमुख धनराज वैष्णव, हिंदू जागरण मंच के जिला अध्यक्ष हनुमान वैष्णव, और पूर्व विधायक रामलाल गुर्जर सहित कई प्रमुख नेता भी इस दिनभर चले प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने गणेश पंडाल के पास हनुमान चालीसा और भजन का आयोजन भी किया, जिससे धार्मिक भावनाएं और अधिक तीव्र हो गईं।
जिला कलेक्टर और एसपी की शांति अपील
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत और एसपी राजेश कानवत ने शहरवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की। दोनों अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि मामले की गहन जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने लोगों से संयम बरतने और कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की अपील की, ताकि शहर में शांति बनी रहे।
पुलिस की सख्ती और सुरक्षा इंतजाम
घटना के बाद से शाहपुरा शहर में पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल भी भेजे गए हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए निगरानी बढ़ा दी है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। पुलिस का कहना है कि शहर में शांति बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।
जहाजपुर में कांग्रेस पार्षदों का सामूहिक इस्तीफा
इसी बीच, शाहपुरा जिले के जहाजपुर कस्बे में 14 सितंबर को हुई घटनाओं के बाद, जहाजपुर कांग्रेस नगर अध्यक्ष सादिक पठान और नगर पालिका के सात मुस्लिम पार्षदों ने सामूहिक रूप से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। उनका आरोप है कि 14 सितंबर को मुस्लिम समुदाय की दुकानों और केबिनों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट के बाद प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की, जिससे मुस्लिम समुदाय को न्याय नहीं मिल पाया।
इस्तीफा देने वाले पार्षदों का कहना है कि इस घटना के बाद न तो कोई कांग्रेस अधिकारी मुस्लिम समुदाय से मिलने आया और न ही किसी ने उनकी सहायता की, जिसके कारण उन्होंने दुःख में सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला किया। इस्तीफा देने वाले पार्षदों का आरोप है कि प्रशासन ने इस मामले में संतुलित और निष्पक्ष कार्रवाई करने की बजाय केवल एक पक्ष की सुनी, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग न्याय से वंचित रह गए।
इस सामूहिक इस्तीफे पर स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह घटना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। खासकर तब, जब आगामी चुनावों में मुस्लिम समुदाय की भूमिका अहम मानी जा रही है।